विकास मानक पर उभरता राजस्थान

hawamahalजयपुर । भू-भाग की दृष्टि से 10.41 प्रतिशत क्षेत्रफल में फैला देश का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान सदैव प्राकृतिक चुनौतियों से जूझता रहा है। राज्य में देश की 5.51 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। यहां विशाल रेगिस्तानी भू-भाग में सालों सूखे एवं अकाल के हालात रहे हैं। देश में उपलब्ध जल में से मात्र 1.6 प्रतिशत जल की उपलब्धि, मानसून की अनिश्चितता एवं कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था की वजह से राज्य की आर्थिक वृद्घि दर में बहुत उतार-चढ़ाव आता रहा है।

मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने इन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बीच दूर दृष्टि, अनुशासन तथा पक्के इरादे के साथ राजस्थान के विकास को परवान चढ़ाने के संकल्प के साथ कार्य किया। आज प्रदेश में विकास से वंचित, गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे निर्धनतम व्यक्ति से लेकर गरीब, किसान, पिछड़े, अल्पसंख्यक वर्ग तथा राज्य के विकास में अपना योगदान देने वाले लोगों तक सुख एवं समृद्घि की चमक उजियारा फैला रही है। राज्य के सभी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए समावेशी विकास को सुनिश्चित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा व्यापक प्रयास किये जा रहे हैं जिसका सुफल राज्य के कोने-कोने तक पहुंच रहा है। समावेशी विकास को ही फ्लैगशिप कार्यक्रमों का प्रमुख आधार बनाया गया है। इसी वजह से राजस्थान कई क्षेत्रों में अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बन गया है।

राज्य में समयबद्घ एवं सतत् विकास को सुनिश्चित करने के लिये मिशन मोड एप्रोच अपनाते हुए पांच मिशनों का गठन कर विकास को गति प्रदान की गई है। गत चार वर्षों में प्रदेश में जनहित में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों, केन्द्र एवं राज्य के फ्लैगशिप कार्यक्रमों, जनकल्याणकारी योजनाओं की सफल क्रियान्विति के परिणामस्वरूप प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में काफी सुधार आया है। शहरों से लेकर गांवों तक सुनियोजित विकास के लिये मास्टर प्लान बनाकर उसकी सफल क्रियान्विति सुनिश्चित की जा रही है।

मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में प्रदेश के शानदार वित्तीय प्रबन्धन के तहत हमारी वित्तीय स्थिति तथा वित्तीय श्रृंखला के लिये किये गये सुदृढ़ प्रयासों की प्रशंसा देश के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तथा भारतीय रिजर्व बैंक ने भी की है। प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय प्रचलित मूल्य पर 53 हजार 735 रुपये पहुंच गई है। इसकी वजह से वर्ष 2009-12 में हमारा राज्य देश में 15वें स्थान पर पहुंचा। इसी अवधि में राज्य की औसत विकास दर 9.36 प्रतिशत रही। जहां राजस्थान 11वें स्थान पर है। राजकोषीय घाटा 3.91 प्रतिशत से घट कर वर्ष 2011-12 में 0.98 प्रतिशत रहा। वर्ष 2011-12 में राज्य का कुल ऋण भार जीएसडीपी का 28.93 प्रतिशत था जबकि 13वें वित्त आयोग द्वारा 39.93 प्रतिशत निर्धारित किया हुआ था।

11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान योजना आयोग द्वारा अनुमोदित आकार 71 हजार 732 करोड़ रुपये के विरूद्घ 93 हजार 951 करोड़ रुपये की राशि व्यय हुई जो अनुमोदित आकार से 30.97 प्रतिशत अधिक है। इसके तहत ऊर्जा, सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाओं को सर्वाधिक प्राथमिकता दी गई है। राज्य को विकास के उच्च आयामों तक पहुंचाने की दृष्टि से संसाधनों का आंकलन कर 1 लाख 94 हजार 283 करोड़ रुपये की 12वीं पंचवर्षीय योजना, योजना आयोग को प्रस्तुत की गई थी परन्तु राज्य में संसाधनों में आशातीत वृद्घि को देखते हुए योजना का आकार 1 लाख 96 हजार 992 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 7.70 प्रतिशत की आर्थिक वृद्घि दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

राज्य में शानदार वित्तीय प्रबंधन की वजह से ही योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये संसाधनों की भरपूर उपलब्धता हो रही है। साथ ही 11वीं पंचवर्षीय योजना के बेहतर क्रियान्वयन तथा सशक्त वित्तीय सूचकंाकों को प्राप्त करने में भी सफलता मिली है, जिसकी सराहना प्रधानमंत्री द्वारा भी की गई है। राज्य में सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये राज्य सरकार द्वारा गहन प्रयास किये गये हंै। जिसके परिणामस्वरूप राज्य में शिशु मृत्यु दर जो वर्ष 2008 में 63 से घटकर वर्ष 2011 में 52 रह गई है। वहीं मातृ मृत्यु दर 2004-06 में 388 से 318 हो गई है।

प्रदेश में 38.83 लाख बीपीएल परिवारों के लिये मुख्यमंत्री अन्न सुरक्षा योजना से गरीबों के घरों में दो जून रोटी मुहैया हुई है। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना से 9 करोड़ लोग लाभान्वित हुए हैं, इससे गरीब जनता की 1591 करोड़ रुपये की बचत हुई है। प्रदेश में राजस्थान जननी शिशु सुरक्षा योजना से 11.20 महिलाएं तथा 3.38 लाख नवजात शिशुओं को नया जीवन मिला है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष जैसी योजनाओं के साथ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की गई हैं।

मुख्यमंत्री पशुधन नि:शुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना, मुख्यमंत्री शहरी बीपीएल आवास योजना, अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी, राजस्थान लोक सेवाओं को प्रदान करने की गांरटी, सुनवाई का अधिकार तथा मुख्यमंत्री ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना, राजीव गांधी डिजीटल विद्यार्थी योजना, मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा 1 लाख छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना तथा राजस्थान ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से जन-जन को लाभ मिल रहा है। इससे प्रदेश में विकास का एक नया वातावरण भी बन रहा है।

आज राजस्थान स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर रहा है। स्कूलों में बच्चों के नामांकन, शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में बच्चों का प्रवेश, सर्वशिक्षा अभियान, बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन के साथ-साथ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी एवं निजी प्रयासों से विश्वविद्यालयों की स्थापना, इंजीनियरिंग, मेडिकल शिक्षा को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कॉलेजों तथा आई.आई.टी., आई.आई.एम. जैसे तकनीकी सस्थानों की स्थापना हुई है।

विगत चार वर्षों में प्रदेश में ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इसके परिणामस्वरूप राज्य की उत्पादन क्षमता में 4628 मेगावाट की वृद्घि हुई है। आज राज्य की ऊर्जा

उत्पादन क्षमता 11 हजार 168 मेगावाट हो गई है। निकट भविष्य में राज्य क्षेत्र में 960 मेगावाट और निजी क्षेत्र में 795 मेगावाट क्षमता की विद्युत उत्पादन परियोजनाओं का कार्य भी पूर्ण कर लिया जायेगा। राज्य में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं तथा समूचे ऊर्जा तंत्र को सुदृढ़ बनाने के निरन्तर प्रयास जारी हैं।

प्रदेश में वर्ष 2007-08 में कुल 39 हजार 753 गांवों में से 26 हजार 581 गांव सड़क से जुड़े हुए थे, जो कि वर्ष 2012-13 में 32 हजार 277 पहुंच गये हैं। राज्य में बीटी सड़कों की लम्बाई वर्ष 2007-08 में 1 लाख 20 हजार 39 कि.मी. थी, जो कि 1 लाख 44 हजार 400 कि.मी. पहुंच गई है। राज्य में सड़क तंत्र को सुदृढ़ करने की दृष्टि से 2 हजार 630 किलोमीटर लंबाई के 16 मेगा हाइवे के कार्य हाथ में लिये गये हैं, जिनकी लागत 3 हजार 590 करोड़ रुपये है।

राज्य सरकार द्वारा बांसवाड़ा-डूंगरपुर जैसे जनजाति बाहुल्य जिलों को रेलवे लाईन से जोडऩे के लिए रेलवे के साथ भागीदारी की गई है। इस प्रयोजन हेतु परियोजना लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा व परियोजना हेतु अवाप्त की जाने वाली भूमि की मुआवजा राशि का कुल 1 हजार 200 करोड़ रुपये का अंशदान रेलवे को देने हेतु स्वीकृति जारी की जा चुकी है।

वर्तमान में राज्य में पेयजल की दृष्टि से सतही जल स्त्रोतों से पानी उपलब्ध कराने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक लागत की 85 परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं, जिनसे 84 शहरों एवं 12 हजार 770 गांवों को लाभांवित करने का लक्ष्य है। इनमें से 31 शहरों तथा 2683 गांवों को अब तक लाभान्वित किया जा चुका है। शेष कार्य प्रगति पर है। प्रदेश में 39 हजार 751 गांव पीने योग्य पानी की सुविधा से जुड़े हुए हैं। अकाल एवं पानी की कमी की परिस्थितियों में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रेल एवं टैंकरों के द्वारा पानी उपलब्ध कराया गया है।

राजस्थान सड़क तंत्र के विकास, पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने, ऊर्जा के क्षेत्र में विस्तार, सामाजिक सुरक्षा की सफल क्रियान्विति, कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र को समुचित प्रोत्साहन देने के लिये एक आदर्श राज्य बनता जा रहा है। सेवाओं की अदायगी अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचाने के निरन्तर प्रयासों के साथ आज राजस्थान प्रगति के नित नये आयाम स्थापित करते हुए विकास के विभिन्न मानकों पर पूरी तरह से खरा उतर रहा है।

-प्रभात गोस्वामी

error: Content is protected !!