सपनों की उडान भरी वंचित बालकों ने

jp1जयपुर। चित्तौडगढ का पुस्स्कार, उदयलाल व मधु, भरतपुर का साहरूख, मुकेश, कोमल, जयकिशोर व मीरा, अलवर का सौकत आदि बालकों ने सोमवार को यहां अपने संघर्षों की दास्तां सुनाई और सपनों की उडान भरी। मौका था-अंतररास्टीय संगठन सेव द चिल्डरन के सहयोग से राज्य के तीन जिलों अलवर, भरतपुर व चित्तौडगढ जिले के वंचित बालकोें की ओर से किए गए साझा प्रयासों से समाज में बदलाव लाने की मुहिम पर यहां एक होटल में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यषाला का।

कार्यषाला में बालकों ने बालविवाह, बालश्रम, लिंग आधारित भेदभाव, जाति आधारित भेदभाव, षिक्षा का अधिकार, कुपोसण, विभिन्न सरकारी प्रावधान के तहत अधिकारों के मुददे उठाए और अपने गांवों में बालमंच या बाल मंडल का गठन कर आषा की किरण के रूप में किए गए सकारात्मक बदलाव की तस्वीर पेष की।

चित्तौड से आए नन्हे बालक पुस्कर ने परिवार की गरीबी, पिता के षराब पीने व मां के खेत में काम करने तथा खुद के पढने की ललक का किस्सा सुनाकर कार्यषाला में मौजूद लोगों का दिल छू लिया। उसने दिल्ली में प्रधानमंत्री की पत्नी व अन्य नामी हस्तियों से मिलने की बातें भी बताई और कुषल इंजीनियर बनने की अपना सपना बताया। भरतपुर का सतीष भी बालमंच के प्रयास से अब दसवीं में पढ रहा है। अलवर के तिजारा से आए षौकतने गांव के बालकों को स्कूल से जोडकर उनको बालश्रम से छुटकारा दिलाया है। भरतपुर की मीरा बालविवाह रूकवाने में आगे आई है। इसी कुरीति के विरोध में भरतपुर का षाहरूख भी जुडा हुआ है। चित्तौड की मधु ने गांव में दसवीं का स्कूल खुलवाने में सफलता हासिल की है। भरतपुर के मुकेष ने बालमंच के माध्यम से स्कूल को क्रमोन्नत कराने के साथ चारदीवारी करवाने में सहयोग किया। भरतपुर की मासूम बालिका कोमल ने स्कूल में अपने एडमिषन की कहानी सुनाकर बालमंच की ओर से किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया। भरतपुर के जयकिषोर ने लडकियों से होने वाले भेदभाव के मुददे को उठाया। कार्यषाला में चित्तौड के मासूम बालक उदयलाल ने मुख्यमंत्री जीवनरक्षा कोष के जरिए हुए वाल्व के ऑपरेषन एवं अपनी पढाई के बारे में बताया।

कार्यषाला के मुख्य अतिथि वरिस्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोडा ने कहा कि हमें बच्चों की भावनाएं समझने की जरूरत है। मीडियापर्सन संवेदनषीलता से इसमें अपनी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि देष में मतदाता की बात भी नहीं सुनी जाती, फिर बच्चों की बात तो दूर है। बोडा ने कहा कि हम ही बालक को भेदभाव और हार-जीत सिखाते हैं जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे समाज के लिए हमें बच्चों से षुरूआत करनी होगी।

सेव द चिल्डरन के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रभात कुमार ने देष की आबादी में 48 फीसदी बालक हैं। इनके लिए सरकारों को ध्यान देने और उनके लिए बजट का निर्धारण करने की जरूरत है। उन्होंने बाल संरक्षण की संस्थागत गतिविधियों को बढाने पर भी जोर दिया। बाल संरक्षण आयोग के सदस्य व एमिड संस्था के संस्थापक नूर मोहम्मद ने कहा कि मेवात इलाके में वंचित वर्ग के बच्चों के साथ काम करने की वजह से बच्चों की आवाज मुखर हो रही है।उन्होंने बताया कि मेवात इलाके में बालिका षिक्षा के प्रति रूझान बढा है और अध्यापक भी इस काम में आगे आए हैं। प्रयत्न संस्था के सीईओ मलय कुमार, चित्तौडगढ कटस से धर्मवीर, कटस के उप कार्यकारी निदेषक अरूण तलवार, आश्रय केयर होम की सुषीलादेवी, सार्ड के जगदीप मोहंती, सेव द चिल्डरन की एडवोकेसी समन्वयक अपराजिता मिश्रा आदि ने कार्यषाला में विचार रखे।

– कल्याण सिंह कोठारी

  मीडिया सलाहकार

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