आटे को फोर्टिफाइड करने के लिए चक्कीयों को चिन्हित करने की परियोजना

जयपुर। राजस्थान में ग्राम स्तर पर फोर्टिफाइड आटा उपलब्ध कराने के लिए गांव-गांव में छोटी आटा चक्कीयों पर आवश्यक पोषक तत्व मिलाकर वितरित करने के लिए उदयपुर जिले के आदिवासी क्षेत्र सराड़ा एवं सलूम्बर में तीन वर्षीय पायलेट परियोजना प्रारम्भ की गई है। प्रमाणित एवं किफायती फोर्टिफाइड आटै से कुपोषण व विटामिन की कमी दूर करने के लिए चलाई जा रही इस योजना के अन्तर्गत साढ़े चार लाख आबादी वाले क्षेत्र में सघन जन-जागरूकता अभियान से फोर्टिफाइड आटे की तरफ ग्रामीण आकर्षित हो रहे है।
आई.आई.एच.एम.आर. द्वारा ग्लोबल एलायन्स फार इम्प्रूवड न्यूट्रिशियन (गेन-जिनेवा) के सहयोग से राज्य में पोष्टिक खाद्य आहार योजना के अन्तर्गत आटा, तेल, दूध आदि को फोर्टिफाइड करके सार्वजनिक, निजी एवं नागरिक संगठनों के संयुक्त प्रयास से उपलब्ध कराया जा रहा है। खाद्य फोर्टिफिकेशन परियोजना निदेशक डॉ. एम.एल. जैन ने बताया कि राज्य में कुपोषण और खून की कमी को दूर करने के लिए फोर्टिफिकेशन द्वारा आटा, दूध और तेल में आयरन, फौलिक एलिड, विटामिन बी और विटामिन-ए की सूक्ष्म पोषण मात्रा मिलाकर उत्पादन व वितरण का कार्य चले रहा है। उदयपुर जिले के ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्र में सितम्बर 2012 से प्रारम्भ की गई परियोजना में स्वयं सहायता समूहों, नुक्कड़ नाटकों एवं कठपुतली प्रदर्शन जैसे पारम्परिक मनोरंजक कार्यक्रमों से फोर्टिफिकेशन और इसके फायदों से फोर्टिफाइड आहार स्वास्थ्य का आधार के बारे में ग्रामीणों में उत्सुकता बढ़ने से इस ओर आकर्षण बढ़ रहा है।
भौरूका चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में चलाई जा रही परियोजना के तहत अब तक ग्रामीण क्षेत्रों की 375 आटा चक्कियों को चिन्हित कर फोर्टिफाइड आटा पीसकर वितरित किया जा रहा है। डॉ. जैन ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर की स्वतंत्र प्रयोगशाला द्वारा जांच-परख के बाद ही फोर्टिफाइड आटे की पूर्ति की जा रही है। पोषक तत्व मिलाने से आटे के रंग, गंध या स्वाद में कोई बदलाव नहीं होता है।
-कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
मो. 9414047744

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