4835 अपराधी विधायकों की नेतागिरी जाएगी भाड़ में..

जनप्रतिनिधि कानून 8(4) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा  निरस्त करने के बाद अब कई पार्टियों के नेताओं पर गाज गिर सकती है. भाजपा- कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं पर आपराधिक मामले अदालत में चल रहे हैं.एक आकड़े के अनुसार भारत के लगभग 31 प्रतिशत नेताओं पर आपराधिक मामले लंबित है. एडीआर के अनुसार 1448 विधायक, सांसद एवं विधान परिषद के खिलाफ मामला अभी कोर्ट में है.SC

इन्होंने चुनाव आयोग को दिये हलफनामे में इन मामलों का जिक्र भी किया है. इस से संबंधित पूरी रिपोर्ट राष्ट्रपति चुनाव के वक्त जारी की गई थी. एनईडब्ल्यू और एडीआर ने कुल 4835 सदस्यों की ओर से दाखिल हलफनामों का अध्ययन किया था. इनमें 772 सांसद और सभी राज्यों के 4063 विधायक और विधान परिषद सदस्य शामिल थे. अध्ययन में खुलासा हुआ कि 1448 के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. ये कुल 4835 का 31 फीसदी है.

1448 में से 641 के खिलाफ हत्या,हत्या की कोशिश,बलात्कार,डकैती,अपहरण और फिरौती जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं. छह सांसदों,विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने हलफनामों में रेप के आरोपों का जिक्र किया है. 141 विधायकों,सांसदों और विधान परिषद सदस्यों पर हत्या के आरोप हैं. 352 पर हत्या की कोशिश के,145 पर चोरी के,90 पर अपहरण के और 75 पर डकैती के आरोप हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अगर इन विधायकों, सांसदों और विधान परिषद के सदस्यों के लंबित मामले का फैसला उनके खिलाफ आता है तो उन्हें न सिर्फ सदस्यता गंवानी पड़ेगी बल्कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. http://mediadarbar.com

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