
-सतीश शर्मा- उदयपुर / फतहसागर झील के सौंदर्य पर चांद जड़े जा रहे हैं। शहर में बीते महिनों अन्तर्राष्ट्रीय प्रस्तर कार्यशाला के दौरान देसी-विदेशी सैलानियों द्वारा तैयार की गई कृलाकृतियां झील किनारे जगह-जगह रखी जा रही हैं। कुछ रखी जा चुकी हैं और कुछ को रखने की तैयारी है। जहां-जहां इन्हें रखा गया है, वहां जगह को साफ-सुथरा कर पक्का निर्माण किया गया है। इससे उपेक्षित पड़े स्थानों को जीवनदान मिल गया है और झील का सौंदर्य निखर उठा है। कुछ स्थान ऐसे भी चिह्नित किए गए हैं, जो उजाड़ तो पड़े ही थे, वहां रह-रहकर अस्थाई अतिक्रमण होने की समस्या भी थी। पत्थर की सुन्दर कलाकृतियां रखने से इन स्थानों पर लोगों का आवागमन बढ़ेगा और जगह का सदुपयोग हो सकेगा। साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय प्रस्तर कार्यशाला के दौरान ये कलाकृतियां बनाने वाले शिल्पकारों की अथक मेहनत की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। हालांकि कार्यशाला के दौरान योजना बनाई गई थी कि इन्हें शहर के प्रमुख चौराहों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अलग-अलग रखा जाएगा लेकिन ज्यादातर को फतहसागर पाल पर रखा गया है। भ्रमणार्थियों और पर्यटकों सहित झील प्रेमियों का मत है कि आकर्षक प्रस्तर कलाकृतियों का यह बेहतर उपयोग है।
पत्थर की ये कलाकृतियां शिल्पग्राम में ‘अन्तर्राष्ट्रीय प्रस्तर कार्यशाला’ में तैयार की गई थीं। जिला प्रशासन की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में अनेक देसी-विदेशी शिल्पकारों ने भाग लिया था और कई दिनों तक अथक मेहनत कर कलाकृतियां तैयार की थीं। जिला प्रशासन की सोच थी कि इन कलाकृतियों को शहर में सार्वजनिक स्थलों पर रखा जाएगा। इससे पूरा शहर एक खुले म्यूजियम के रूप में नजर आएगा और देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनेगा। लेकिन, फतहसागर पाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने, झील की सुन्दरता बढ़ाने और प्रस्तर कलाकृतियों को चिर-सुरक्षित बनाने के लिए इन्हें झील किनारे रखा गया है। एक-दो कलाकृतियां फतहसागर किनारे बने पार्क में लगाई जाएंगी। एक कलाकृति को फतहसागर के बेकवाटर क्षेत्र में लगाया जाएगा, जहां पूर्व में निर्मित ढांचे को तोड़कर हाल ही चबूतरी बनाई गई है। एक-दो कलाकृतियां झील किनारे पानी में चट्टान पर स्थापित की गई हैं। प्रकृति की गोद में झील के सौंदर्य का लुत्फ उठाने आने वाले लोगों को ये कलाकृतियां खूब लुभा रही हैं।
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