जिसे दुबारा शादी करनी है, वह पत्नी की अंत्येष्टि में भाग नहीं लेता

आम तौर पर जिस भी युवा व्यक्ति की पत्नी की मृत्यु हो जाती है, तो वह दुबारा शादी करने का विचार रखता है। यदि बच्चे न हों तो करता भी है। यदि उसका विचार न भी हो तो भी रिश्तेदार उस पर दबाव बनाते हैं कि वह दुबारा विवाह कर ले। क्या आपको जानकारी है कि पत्नी के निधन पर फिर विवाह करने का इच्छुक पति, पत्नी की अंत्येष्टि में भाग नहीं लेता। समझा जा सकता है कि ऐसा करके वह अपने संबंधियों व परिचितों को यह संदेश देता है कि वह फिर विवाह करना चाहता है, लिहाजा उसके लिए किसी युवती की तलाश की जाए। हालांकि पत्नी की अंत्येष्टि में भाग न लेना पति के लिए कितना कष्टप्रद है, यह वह ही समझ सकता है, मगर बुजुर्ग उसे सलाह देते हैं कि वह अंतिम संस्कार में न जाए, ताकि फिर शादी का रास्ता खुला रहे, फिर भले ही बाद में वह न करे।
इस सिलसिले मैने ज्योतिष में रुचि रखने कुछ लोगों से चर्चा की तो उन्होंने कुछ अलग ही मत प्रकट किया। उनका कहना था कि यदि किसी आदमी की जन्म कुंडली में दो शादियों का योग हो, तो भी अंत्येष्टि में भाग लेने के बाद दूसरी शादी का योग नष्ट हो जाता है। उसके बाद यदि वह चाहे तो भी उसकी दूसरी शादी नहीं हो सकती। अगर अंत्येष्टि में भाग नहीं लेता तो वैवाहिक संभावना का वर्तुल अधूरा ही रह जाता है, वैक्यूम रह जाता है और वह दूसरी शादी कर सकता है। उसमें बाधा नहीं आती। एक अन्य जानकार ने अलग ही मिथ बताया। वो यह कि जब पति अंत्येष्टि के दौरान उपस्थित नहीं होता तो देह संस्कार के दौरान पत्नी की आत्मा को पति के न दिखाई देने पर उससे संबंध विच्छेद हो जाता है। ऐसे में जब वह दूसरी शादी करता है तो पूर्व पत्नी की आत्मा उसे परेशान नहीं करती। वैसे इसके अपवाद भी हैं कि किसी को पत्नी की अंत्येष्टि में भाग लेने से मना किया गया, मगर वह नहीं माना। बाद में उसकी दुबारा शादी हो गई।

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