दैनिक राषिफल पर अविष्वास क्यों?

हर आम ओ खास की दैनिक राषिफल देखने में रूचि होती है। चाहे उस पर विष्वास हो या नहीं। यकीन न हो तो भी एक बार देख ही लेते हैं। यकीन न होने के पीछे तर्क यह होता है कि अमुक राषि का दिनमान पूरी दुनिया के लोगों पर कैसे लागू हो सकता है? जैसे राषिफल आता है कि अमुक राषि के लोग आज मालामाल होंगे। बेषक उस राषि के लोगों के लिए वैसा योग होता तो है, मगर सभी के लिए भिन्न भिन्न होता है, क्योंकि सभी की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग अलग होती है। अगर मालामाल होने का योग लागू होता है तो भी सभी पर समान रूप से परिफलित नहीं हो पाता। इसे यूं समझिये। जैसे किसी दिन अमुक राषि के लोगों पर धन वर्शा का योग है, मगर सभी पर धन वर्शा होती नजर नहीं आती। असल में वर्शा तो सभी पर समान रूप से होती है, मगर उसका फल हर व्यक्ति की पात्रता के अनुसार मिलता है। जिसका पात्र एक लीटर का है तो उसे एक लीटर और जिसका पांच लीटर का है, उसे पांच लीटर जल मिलता है। गरीब भी मालामाल होता है, मगर पात्रता के अनुसार। जैसे उसके पास दस रूपये हैं तो उसे एक हजार मिलते हैं और जिसके पास पहले से एक हजार रूपये हैं तो उसे पचास हजार मिलते हैं। ऐसे में असमंजस होना स्वाभाविक है, षंका होना लाजिमी है।

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!