इन दिनों छत्तीसगढ के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम सरकार के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री व पंडोखर सरकार धाम खूब चर्चा में हैं। अंधविश्वास निर्मूलन समिति के श्यााम मानव ने उनको दिव्य शक्तियों को साबित करने की चुनौती दी है। चुनौती स्वीकार भी हो गई है। परीक्षण कब होगा पता नहीं, मगर इस प्रकरण से मुझे एक प्रसंग ख्याल में आ गया।
उससे तो यह संकेत मिलता है कि ऐसी षक्तियां हैं तो सही, जिनको भले ही वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध न किया जा सके। हुआ यूं कि मैं एक ज्यातिर्विद के पास गया भविश्य जानने। गया क्या, सच तो यह है कि ले जाया गया। मेरे वरिश्ठ मित्र की इच्छा थी कि आपके भविश्य के बारे में जानकारी ली जाए। वहां जाने पर ज्योतिशी जी ने कहा कि आपकी कुंडली त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि इसमें दिया गया जन्म समय गलत है। पहले आप अमुक ज्योतिशी के पास जाइये। वे आपको आपका वास्तविक जन्म समय बता देंगे। उसी के आधार पर कुंडली बना कर सही फलित बनाया जा सकता है। हम उन के पास गए। उन्होंने पूछा कि क्या कुंडली लाए हो तो मैंने अपने बेग में कुंडली निकाल कर दे दी। उन्होंने कुंडली को देखे बिना ही साइड में रख दिया। फिर लगे केलकूलेट पर कोई गणना करने। उन्होंने जन्म समय तो बताया ही, साथ ही जैसे ही मेरे पिताजी व दादाजी का नाम बताया तो मैं हतप्रभ रह गया। जन्म समय तो संभव है, गलत भी हो, मगर उन्हें मेरे पिताजी व दादाजी का नाम कैसे पता लगा, यह वाकई सोचनीय रहा। बाद में मैने कुछ अन्य से राय ली तो उन्होंने बताया कि ज्योतिशी जी ने कर्ण पिषाचिनी सिद्ध कर रखी होगी, जो कि सामने बैठे व्यक्ति के भूतकाल के बारे में कान में सब कुछ बता सकती है। सच क्या है, मुझे नहीं पता, मगर जरूर को ऐसी विद्या है, जो भूतकाल का ज्ञान करवा सकती है। मेरी इस धारणा को अंधविष्वास इसलिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि मैने जो देखा, उस पर अविष्वास करने का आधार है ही नहीं। यहां यह स्पश्ट कर दूं कि मै जिन वरिश्ठ मित्र के साथ गया था, उनको मेरे पिताजी व दादाजी के नाम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, अन्यथा यह संदेह किया जा सकता था कि उन्होंने ज्योतिशी जी को पहले से बता दिया होगा।