दोस्तो, नमस्कार। आपकी जानकारी में होगा कि कई लोग चांदी या तांबे में रखे पानी को पीते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे कुछ फायदे होते हैं। स्वाभाविक रूप से ऐसा पानी में चांदी व तांबे के तत्व षामिल हो जाने की वजह से होता होगा, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसकी वजह से बर्तन का वजन कम होता है? हमें तो नजर नहीं आता कि बर्तन के वजन में कमी आई है, यानि बर्तन के तत्व में कमी नहीं आती तो षंका होना स्वाभाविक है कि कहीं यह केवल मिथ मात्र तो नहीं है?
चलिए, पहले यह जानते हैं कि चांदी व तांबे के बर्तन में रखे पानी से क्या क्या फायदे बताए गए हैं। बताया जाता है कि चांदी व तांबे के बर्तन में रखे पानी में चांदी यानि एजी और तांबे यानि कॉपर के आयन पानी में घुल जाते हैं। बर्तन में पानी डाल कर तुरंत पीने से ही उसमें आयन नहीं आते। लंबे समय तक पानी रखा जाए यानि 6 से 8 घंटे या उससे अधिक, तो उसमें थोड़ी मात्रा में कॉपर आयन घुलते हैं। यह प्रक्रिया ऑक्सीडेशन और जल में मौजूद खनिजों के कारण होती है। इसी प्रकार चांदी के आयन बहुत धीमी गति से घुलते हैं। लेकिन इनकी मात्रा तांबे की तुलना में कम होती है। चांदी व तांबे के आयन एंटी बैक्टीरियल गुणों वाले होते हैं।
तांबा रोगाणुओं खासकर ईकोली और सल्मोनेला को नष्ट कर सकता है। तांबा पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है और गैस, अपच जैसी समस्याओं में राहत देता है। इससे त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त न्यूरो ट्रांसमीटर के निर्माण में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क का कार्य बेहतर होता है। डब्ल्यू एच ओ के अनुसार दिन में कम से कम 2 मिली ग्राम तांबा सुरक्षित माना जाता है। यदि बहुत अधिक मात्रा में लिया जाए तो यह कॉपर टॉक्सिसिटी का कारण बन सकता है, जिससे उल्टी, पेट दर्द, लीवर पर असर आदि हो सकते हैं।
इसी प्रकार चांदी के आयन आम तौर पर नॉन-टॉक्सिक माने जाते हैं। सिल्वर आयन कई रोगजनकों को निष्क्रिय करने में सक्षम होते हैं।
आयुर्वेद में ‘सिल्वर वॉटर’ या चांदी के बर्तन का उपयोग मानसिक शांति और प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता था। यदि लंबे समय तक अधिक मात्रा में सिल्वर का सेवन किया जाए तो इससे आर्गेरिया नामक स्थिति हो सकती है, जिसमें त्वचा नीली-रंगी हो जाती है, हालांकि बर्तन से इतना अधिक सिल्वर लेना संभव नहीं होता।
बताया जाता है कि रोजाना 6 से 8 घंटे तक पानी को तांबे-चांदी के बर्तन में रख कर पीना सुरक्षित और लाभदायक माना जाता है, लेकिन बहुत लंबे समय तक पानी स्टोर न करें। विषेश रूप से तांबे के बर्तन में 24 घंटे से अधिक नहीं।
अब सवाल यह कि क्या बर्तन का वजन कम होता है? इसका जवाब यह है कि तकनीकी रूप से हां, परन्तु यह कमी बहुत ही सूक्ष्म और नगण्य होती है, इतने कम स्तर पर कि वह मानव तुला से मापी नहीं जा सकती, खासकर सामान्य उपयोग में। अगर रोजाना कुछ माइक्रोग्राम तांबा घुल भी जाता है, तो भी कई वर्षों तक उपयोग करने पर ही बर्तन के वजन में कोई मापन योग्य बदलाव आ सकता है।
