दोस्तो, नमस्कार। सिंधी समुदाय में परंपरा रही है कि षादी में दूल्हे का चेहरा सेहरे से ढंका जाता था। मेरे पिताजी व चाचाजी की षादी हुई, तो उनका चेहरा भी फूलों की माला बना हुआ सेहरा बांधा गया था। आजकल वह परंपरा समाप्त प्रायः हो गई है। सवाल उठता है पुराने समय में सेहरा बांधने की वजह क्या थी? जानकार बताते हैं कि इसके अनेक कारण थे। एक तो सेहरा इसलिए बांधा जाता था कि दूल्हे का चेहरा नजर न आए, ताकि बुरी नजर से बच जाए। शादी जैसे शुभ अवसर पर ईर्श्या या नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए यह परंपरा प्रचलित थी। इसके अतिरिक्त सेहरा दूल्हे के लिए एक तरह की विनम्रता और लज्जा का प्रतीक माना जाता था। विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है, जिसमें दूल्हा स्वयं को सरल और संयमित रूप में प्रस्तुत करता है। एक बात और। कुछ मान्यताओं के अनुसार, शादी के समय दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को पहले नहीं देखते। सेहरे के कारण दूल्हे का चेहरा ढंका रहता है, और मुख-दिखाई की एक खास रस्म के दौरान ही दुल्हन को उसका चेहरा दिखाया जाता है। सेहरा फूलों या मोतियों से सजाया जाता है, जिससे दूल्हे का स्वरूप और अधिक शुभ व राजसी दिखाई दे। यह विवाह की भव्यता को भी दर्शाता है। कुल जमा सिंधी समुदाय में सेहरे से दूल्हे के चेहरे को ढकने की परंपरा केवल सौंदर्य या आडंबर का हिस्सा नहीं थी, बल्कि यह परंपरा, सुरक्षा और आध्यात्मिकता का मिश्रण थी।