चीनी उद्योग पर रहे नियंत्रण: अखिलेश

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गन्ना और चीनी उद्योग को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से चीनी मिलें मनमानी कर सकती हैं। इससे किसानों का शोषण होगा और उनमें आक्रोश उत्पन्न हो सकता है। यह बात उन्होंने शनिवार को यहां अपने सरकारी आवास पर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. सी रंगराजन के साथ बैठक में कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी उद्योगों को नियंत्रण मुक्त किए जाने से चीनी मिलें दूसरे क्षेत्रों और क्रय केंद्रों से गन्ना खरीद सकेंगी। ऐसे में संभावना यह भी है कि किसी एक गांव में कई चीनी मिलें अपने-अपने क्रय केंद्र स्थापित कर लें तथा किसी गांव में क्रय केंद्र स्थापित ही न करें। विनियमन मुक्त किए जाने से प्रभावशाली लोग छोटे व साधारण गन्ना किसानों से मनमाने ढंग एवं दर से गन्ने की खरीद कर मिलों को ऊंची दरों पर आपूर्ति कर मुनाफा कमाएंगे। ऐसे में गन्ने से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा।

लेवी चीनी के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रकरण भारत सरकार से संबंधित है। वर्तमान में चीनी मिलों से 10 प्रतिशत लेवी रेट पर चीनी ली जाती है। यदि केंद्र सरकार लेवी चीनी की व्यवस्था लागू रखना चाहती है तो चीनी मिलों से बाजार भाव पर चीनी क्रय करे ताकि चीनी मिलों की गन्ना मूल्य भुगतान क्षमता बढ़ सके। उन्होंने चीनी के आयात-निर्यात के संबंध में कहा कि उत्तरी राज्यों की चीनी मिलों को बंदरगाह तक चीनी पहुंचाने में अनुदान दिया जाना चाहिए ताकि निर्यात की सुविधा का लाभ इन्हें भी मिल सके।

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