राजस्थान के रिटायर मुस्लिम अधिकारियों को विचार करना चाहिये

राजस्थान के रिटायर मुस्लिम अधिकारियों को जरा समाज हित मे आगे बढकर सोचने पर विचार करना चाहिये।
दो हाई कोर्ट जज, चार IAS, छ: IPS, दो IFS व राजस्थान स्टेट सेवा व आर्मी के अनगिनत रिटायर्ड मुस्लिम अधिकारी प्रदेश मे मोजूद।

जयपुर। राजस्थान मे सिविल, न्यायीक व फौज की सेवा के अनेक सीनियर मुस्लिम अधिकारी रिटायर होते रहे है एवं होते रहेगे के साथ साथ आज एक बडी तादाद मे हमारे मध्य मोजूद है। उनमे से अधिकांशतः अधिकारी अपनी विभिन्न तरह की अपने अंदर मोजूद योग्यताओं का उपयोग कोई खास काम मे ना लगाकर निठल्ले की तरह घर बैठे है या फिर कुछेक अन्य फिल्ड मे निजी तौर पर भागदौड़ करते रहते है। उनमे से कुछ सियासत मे तो कुछ अपने स्तर की समाज सेवा मे लगकर टाईम पास करते नजर आते है। कुछेक अधिकारियों की रिटायरमेंट के बाद पोता-पोती को स्कूल लाने लेजाने के अलावा घर का जमा कचरा सुबह सुबह कचरा पात्र तक पहुचाने मे भी समय गुजरता है। लेकिन पुरे प्रदेश मे अभी तक एक भी अधिकारी ने ऐकेडमी, सिवील सेवा सहित नीट-जेई-क्लेट व अन्य छोटी बडी सेवाओं की कोचिंग, , डिफेंस ऐकेडमी या फिर अन्य शेक्षणिक संस्थान कायम करके चाहे व्यापारिक तौर पर ही सही पर कायम करने मे अन्य वतन भाइयो की तरह दिलचस्पी नही दिखाई है। कारण चाहे कुछ भी रहे हो, पर ऐसा अभी तक कुछ भी हो नही पाया है।
हालांकि काफी अधिकारी सियासत मे मसक्कत करते है तो कुछ अधिकारी कांटेक्ट बेस पर फिर से सरकार मे सेवा करने लगते है। यह सब उनके हित मे अच्छी बात हो सकती है। इस तरफ जाने के साथ साथ चाहे धन व इज्ज़त कमाने के लिये ही हो । अगर दो चार अधिकारी डिफेंस ऐकेडमी, स्कूल, नीट, जेई, क्लेट, या फिर अन्य प्रवेश परीक्षा के अलावा बाबू, टिचर या फिर छोटी बडी भर्ती की कोचिंग चाहे पहले छोटे स्तर पर ही शुरू करे लेकिन उससे अनेक फायदा समुदाय को भी होगा। अवल तो इनके जैहन व इनकी तमाम काबलियत का फायदा अवाम को मिलने के साथ हम मेसे अनेकों को रोजगार भी मिलेगा। इनके द्वारा एक संस्था खड़ी होने पर समुदाय के अन्य लोगो को एक नई दिशा मिलना तय है। इसके साथ साथ सभी को अर्थ लाभ भी होगा। सिविल सेवा के अलावा खास तौर पर शेखावाटी व मारवाड़ के क्षेत्र मे हमारे अनेक फौजी अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अधिकांश तो घर बैठ कर निठल्ले होते जा रहे है। या फिर उनमे से कुछ दूसरे संस्थान मे सूरक्षा इंचार्ज या होस्टल वार्डन बनकर रह जाते है। जबकि इनमे से एक भी अधिकारी मामूली डिफेंस ऐकेडमी खोलने की हिम्मत कर ले तो वो अकेला व्यक्ति ही समुदाय को बहुत कुछ दे सकता है।
अक्सर देखने मे मिला है कि अधिकांश रिटायर अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अपने रब की बारगाह मे हाजरी लगाने हज-ऐ-बैतूल्ला की जीयारत को जाते है। फिर नमाज की तरफ मूड़ जाते है। यह सब करना अच्छा व आवश्यक काम है। जो हर शख्स को निश्चित करना चाहिये। लेकिन यह सब करते हुये यह भी जरुरी है कि आपकी काबलियत से फैज भी सबको मिलना चाहिये। अगर आपके ज्ञान का कुछ अंश भी दूनीया मे फैज के लिये छोड गये तो उससे अवाम ता कयामत तक फायदा उठाती रहेगी।
|राजस्थान मे आज के दिन मोजूदा रिटायर मुस्लिम अधिकारियों मे दो राजस्थान हाई कोर्ट जज व अनेक हायर न्यायीक सेवा के अधिकारियों के अलावा चार भारतीय प्रशासनिक सेवा के व छ भारतीय पुलिस सेवा के , दो भारतीय वन सेवा के एव राजस्थान प्रशासनिक व पुलिस सेवा के अनगिनत अधिकारियों के अलावा फौज के सूबेदार से लेकर कर्नल स्तर अनेक रिटायर अधिकारियों के साथ साथ राजस्थान लोकसेवा आयोग के पूर्व चेयरमेन व सदस्यों की एक लम्बी सूचि मोजूद होने के बावजूद प्रदेश मे वो नही हो पा रहा है , जो इन आला अधिकारियों की योग्यता के मार्फत समाज मे बदलाव लाने के लिये होना चाहिये था।|
कुल मिलाकर यह है कि सिविल सेवा के अधिकारी तो सरकारी सेवा मे रहतें रहते सियासी लोगों के मध्य रहकर रिटायर होने पर सियासत मे दो दो हाथ करना चाहते होगे। ओर वो अगर चाहे तो जरुर करे। ओर इस फिल्ड मे भी करना भी चाहिये। लेकिन फौज से आने वाले अधिकारी तो डिफेंस ऐकेडमी, या फिर अन्य प्रकार की कोचिंग खोलने पर विचार कर ही सकते है। फौज के अनुशासन मे रहकर बहुत कुछ पाने वाले हमारे रिटायर अधिकारियों को किसी बनीया की नोकरी करने के बजाय अपना छोटा-बडा अपना संस्थान खड़ा करने पर विचार जरुर करना चाहिये।
अशफाक कायमखानी

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