तुम नहीं रहे इसका है गम, फिर भी लड़ते रहेंगे हम

मुनीरका बस स्टैंड पर फूल चढ़ाकर और पोस्टर चिपका कर श्रद्धांजलि दी गई। शब्दों में तल्खी थी लेकिन आवाज भर्राई हुई थी। सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई फिजियोथेरेपिस्ट युवती की मौत का सदमा मुनीरका बस स्टैंड पर जेएनयू के छात्रों के आवाज से झलक रहा था। इंडिया गेट के सभी रास्तों को बंद कर देने की वजह से जेएनयू के काफी छात्रों ने मुनीरका में ही प्रदर्शन किया। उन्होंने जेएनयू से बेर सराय होते हुए मार्च निकाला और मुनिरका के उस बस स्टैंड पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे जहां से सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई युवती बस में चढ़ी थी।

बस स्टैंड पर सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्रा पहुंचे और युवती के हत्यारों को फांसी देने की मांग की। छात्रों का कहना था कि दिल्ली क्या अब देश चुप नहीं बैठेगा। नेता अपनी बहन बेटियों की दुहाई देते हैं। लेकिन उनकी बहन बेटियां तो सुरक्षा गार्डो के घेरे में रहती हैं। वह झूठी सांत्वना दे रहे हैं बलात्कारियों को फांसी देने के प्रति उनकी कोई रुचि नहीं है, क्योंकि काफी जनप्रतिनिधि और उनके रिश्तेदारी ही बलात्कार के आरोपी है। महिलाओं को आजादी देने की बात की जाती है। लेकिन उन्हें झूठी आजादी दी गई है।

देश की ऐसी हालत है कि बलात्कारियों को फांसी देने के लिए हमें यह कामना करनी पड़ती है कि बलात्कार पीडि़त की मौत हो जाए। इसे विडंबना नहीं कहेंगे तो और क्या।

जेएनयू के छात्र छात्राओं ने मार्च निकाला और प्रदर्शन करने के बाद बसंत विहार थाने होते हुए जेएनयू वापस लौटे।

जिस बस स्टैंड पर युवती बस में चढ़ी थी उस बस स्टैंड को प्रतीक मान कर छात्र छात्राओं ने श्रद्धांजलि दी। यहां पर उन्होंने घटना के प्रति आक्रोश व्यक्त करने वाले और श्रद्धांजलि देने वाले पोस्टर लगाए। उन्होंने बस स्टैंड की दीवारों पर टेप की मदद से फूल चिपकाए।

– तुम नहीं रहें, इसका गम है पर

फिर भी लड़ते जाएंगे

– हम लड़ेंगे साथ, उदास मौसम के खिलाफ

– यू आर इंसपिरेशन फॉर अस

और हम शर्मिदा है जैसे स्लोगन प्रमुख थे।

जेएनयू के छात्रों के प्रदर्शन में मुनीरका निवासियों ने भी शिरकत की। उन्होंने भी बस स्टैंड पर आकर नारेबाजी की और बलात्कारियों को फांसी की सजा देने की मांग की।

जंतर-मंतर पर देर रात तक लोगों के आने का सिलसिला जारी था। सभी लोग सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को जल्द फांसी दिलाने की मांग कर रहे थे। साथ ही पीड़िता की आत्मा की शांति के लिए मोमबत्ती जलाकर प्रार्थना कर रहे थे। लोग एकजुट होकर मशाल जुलूस भी निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। कई लोग एक कतार में बैठकर मोमबत्ती जलाकर पीड़िता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे थे। कई लोग नारेबाजी कर आरोपियों के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे थे। प्रदर्शन में शामिल लोगों की आंखों में आंसू देखे गए। लोग शांतिपूर्वक बैठकर प्रार्थना करते रहे। देर रात तक लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा।

देश की आंखें नम, दिल में गम का गुबार

सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को लेकर जो आंखें अभी तक क्रोध से लाल थीं, आज उनसे आंसू बह रहे थे। होठ फड़फड़ा रहे थे, मगर आवाज नहीं निकल रही थी। चेहरे गमगीन थे। एक अनजाने से रिश्ते से जुड़ा कोई अपना सा.. जो चला गया था।

गैंगरेप की पीड़िता की मौत पर पूरा देश शोक में डूब गया। लोग सड़कों पर उतरे और अपना शोक व्यक्त किया। मन में गम का बोझ लिए लोग जंतर-मंतर पर उमड़ पड़े। जिसको मन की व्यथा कहने का जो तरीका समझ आया, शांति से उसने वह किया।

दिल्ली, जयपुर, पटना, मुंबई, बेंगलूर, कानपुर, लखनऊ..हर जगह लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। हालांकि, नई दिल्ली में कई लोगों ने इंडिया गेट की ओर रुख किया, लेकिन रास्ते बंद थे। वहां उन्हें टिकने नहीं दिया गया तो वे जंतर-मंतर जा पहुंचे। दोपहर 12 बजे तक जंतर-मंतर पर लोगों की काफी भीड़ हो गई थी। लोग लगातार आ रहे थे। कड़ाके की ठंड में देर रात तक जंतर-मंतर पर विभिन्न संगठनों का प्रदर्शन का दौर जारी रहा।

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