आज जिंदा होती ‘दामिनी’ तो अपने नंबर देखकर हो जाती खुश

पिछले वर्ष दिसंबर में दिल्ली की सड़क पर चलती बस में गैंगरेप की शिकार हुई युवती भले ही आज हमारे बीच नहीं हो लेकिन उसकी याद आज भी हम सभी के जहन में है। आज भी उसके लिए हक की आवाज में कोई कमी नहीं आई है। वह एक सफल युवती थी, साथ ही अपने भविष्य के लक्ष्य को लेकर बेहद संजीदा थी। इस बात की तस्दीक कर रहा है वो रिजल्ट जो उसकी मौत के बाद जारी किया गया। अपने फिजियोथेरेपिस्ट की आखिरी परीक्षा में वह 73 फीसद अंक पाकर फ‌र्स्ट डिवीजन में पास हुई।

दिल्ली की सड़कों पर छह दरिंदों की दरिंदगी का शिकार बनी इस युवती ने अपने हर पेपर में औसतन 60 से 65 फीसद अंक प्राप्त किए। अपनी लाडली के इस एग्जाम में पास होने के बाद भले ही उसके परिवार वाले कुछ न कह पाए लेकिन उनके दिलों में उसको लेकर बहुत आदर और सम्मान है। उसकी मां को क्रिसमस का वह दिन आज भी याद है जब उसने कहा था सॉरी मम्मी।

उसके बीते हुए पलों को याद कर और इस रिजल्ट के जारी होने के बाद देहरादून के साई इंस्टीट्यूट के प्रमुख हरीश अरोरा काफी भावुक हो गए। इस इंस्टीट्यूट के हर प्रोफेसर के चेहरे पर आज मायूसी छाई हुई थी। उसने 1100 से में आठ सौ अंक प्राप्त किए। अरोरा ने बताया कि उसने फिजियोथेरेपिस्ट ऑर्थो में 200 में से 124 अंक, फिजियोथेरेपी न्यूरोलॉजी में 147 अंक, फिजियोथेरेपी कॉर्डियोलॉजी में 151 अंक, फिजियोथेरेपी मेडिसिन में 144 अंक, फिजियोथेरेपी बायोस्टेटिक में 74 अंक और क्लीनिक प्रोजेक्ट में 160 अंक हासिल किए।

उसके इस रिजल्ट के सामने आने के बाद हालांकि उसके माता-पिता के पास कहने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन उन्हें इसके लिए कहीं न कहीं अपनी बेटी के ऊपर गर्व जरूर दिखाई दिया। उसका यह रिजल्ट यह बताने के लिए काफी है कि वह अपने करियर के प्रति काफी संजिदा थी। साई इंस्टिट्यूट ने युवती के परिवारवालों को 1.8 लाख रुपये की वह सारी फीस लौटाने का फैसला किया है जो उसने इस चार वर्ष के दौरान अदा की थी। यह फीस एक फंग्शन के दौरान उसके परिवारवालों को लौटाई जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि उसके परिवार में से कोई न कोई इस राशि को लेने के लिए जरूर आएगा। उनके इन्कार करने की सूरत में इस राशि को गरीब परिवार की महिलाओं को शिक्षित करने के लिए लगाया जाएगा।

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