इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी-प्रथम महिला प्रधानमंत्री

प्रारम्भिक जीवन
indira gandhiइन्दिरा का जन्म19 नवंबर, 1917 को हुआ। वे नेहरूजी एवं कमला नेहरु की एकमात्र संतान थीं । उनकी परवरिश उनकी माताकी देखरेख में हुई | अपने बालकाल में ही इन्दिरा ने युवा लड़के-लड़कियों के लिएवानर सेनाबनाई, वानर सेना ने विरोध प्रदर्शन और झंडा जुलूस के साथ साथ कांग्रेस के नेताओं की मदद में संवेदनशील प्रकाशनों तथा प्रतिबंधित साम्रगरी का परिसंचरण करने का काम किया ,इस प्रकारभारतीय स्वतंत्रता संग्राममें छोटी किन्तु उल्लेखनीय भूमिका निभाई । उन्होंने पुलिस की निगरानी में रह रहे अपने पिता के घर से पुलिस की नजरों से बचाकर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज ( जिसमे 1930 दशक के शुरुआत की एक प्रमुख क्रांतिकारी पहल की योजना थी ), को अपने स्कूलबैग के माध्यम से बाहर पहुंचाया था।
सन् 1936 में उनकी माँ कमला नेहरू का बीमारी से लंबे संघर्ष के बाद स्वर्गवास हो गया। उन्होंने प्रमुख भारतीय, यूरोपीय तथा ब्रिटिश स्कूलों यथा शान्तिनिकेतन,बैडमिंटन स्कूल और ऑक्सफोर्ड में अध्यन किया |1930 दशक के अन्तिम चरण में इन्दिराजी ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंडकेसोमरविल्ले कॉलेजमें लन्दन से संचालित स्वतंत्रता के प्रति कट्टर समर्थक भारतीय लीगकी सदस्य भी बनीं। 16 मार्च 1942 को आनंद भवनइलाहाबादमें एक निजी समारोह में उनका विवाह फिरोज़ गाँधीसे हुआ |
सितम्बर 1942 में इन्दिराजी गिरफ्तार कर ली गयीं और बिना कोई आरोप के हिरासत में ले लिया गया और 243 दिनों तक के कारावास के बाद 13 मई,1943को उन्हें रिहा किया गया |
1944 में उनके जेयष्ट पुत्र राजीव का और 1946 मेंसंजय का जन्म हुआ ।
आजादी के बादभारत विभाजन से उत्पन्न अराजकता के दौरान उन्होंने शरणार्थी शिविरों को संगठित करने तथा पाकिस्तान से आये लाखों शरणार्थियों के लिए चिकित्सा सम्बन्धी देख भाल करने में भरपूर मदद की।
नेहरूजी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय के बाद इंदिरा अपने पिता के पास नई दिल्ली चली गयीं और तीन मूर्ति भवन में रह कर अपने पिता की विश्वस्त साथी, सचिव बनी और अपने पिता की देखभाल की। उनके दोनों पुत्र उन्हीं के साथ तीन मूर्ती भवन में ही रहते थे |
सन् 1958 में फिरोज़ को दिल का दौरा पड़ा, इन्दिराजी ने फिरोज गाँधी की बीमारी के समय एक पत्नीं धर्म निभाते हुए उनकी पूरी देखभाल की, 8 सितम्बर,1960को जब इंदिरा अपने पिता के साथ एक विदेश दौरे पर गयीं थीं, उस समय फिरोज़ गाँधी का निधन हो गया |
1960 के दौरान इन्दिराजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी अध्यक्ष चुनी गयीं
हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के मुद्दे पर दक्षिण के गैर हिन्दी भाषी राज्यों में दंगा छिड़ने पर वहचेन्नईगईं। वहाँ उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ विचारविमर्श किया, समुदाय के नेताओं के गुस्से को शांत किया और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण प्रयासों की देखरेख भी की।
1965 के भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय इन्दिराजी सेन्य अधिकारियों की चेतावनी के बावजूद घायलों की देखभाल करने एवं सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु युद्ध क्षेत्र में पहुंच गई, पाकिस्तान के सैनिक भी उसी इलाके के आसपास में थे इन्दिराजी की जान को गम्भीर खतरा हो सकता था अत उन्हें वापस जम्मू या दिल्ली लोट जाने को कहा गया किन्तु उन्होंने अपनी जान की चिन्ता किये बिना वहीं रह कर अपना काम जारी रक्खा, यह था उनकी देश भक्ति का जज्बा |
ताशकंदमें सोवियत रूस की मध्यस्थता से पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खानके साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे बाद ही लालबहादुर शास्त्री का निधन हो गया। तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के कामराजने शास्त्रीजी के आकस्मिक निधन के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारत की प्रथम महिला प्रधान मंत्री-इन्दिरा गाँधी
सन् 1966 में जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनीं | 1967 के चुनाव में कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों के फलस्वरूप को लोकसभा में मात्र 297 सीटें ही प्राप्त हुई एवं इन्दिराजी को मजबूरन मोरारजी देसाई को उपप्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री के रूप में लेना पड़ा।
1969 में देसाई के साथ अनेक मुददों पर असहमति के बादभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसविभाजित हो गयी। श्री देसाई ने कांग्रेस ने अलग होकर कांग्रेस (O) बना ली | इन्दिराजी ने समाजवादियों एवं साम्यवादी दलों से समर्थन प्राप्त कर अगले दो वर्षों तक शासन चलाया । उसी वर्ष जुलाई 1969 में ही इन्दिराजी ने क्रांतिकारी सहासिक कदम उठा कर बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इन्दिराजी ने भूतपूर्व राजा-महाराजाओं के प्रीपर्स भी बंद कर दिये |

पाकिस्तान का विभाजन और बगंलादेश का जन्म
पूर्वी पाकिस्तान में बगंबन्धु मुजुफर रहमान ने पच्चिम पाकिस्तान के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजाया, लाखों शरणार्थी भारत में पनाह लेने आ गये थे, इन्दिराजी ने उन्हें शरण दी और बंगलामुक्ति वाहिनी का समर्थन किया | भारत ने सोवियत संघ के साथ मित्रता और आपसी सहयोगसंधि पर हस्ताक्षर कर लिये थे, जिसके परिणामस्वरूप कालान्तर में भारत को सोवियतरुस से नेतिक, राजनैतिक और सैन्य समर्थन प्राप्त हुआ जो इन्दिराजी के कुटनीतिक चातुर्य का प्रमाण है | भारतीय सेना ने 3 दिसम्बर 1971 को बंगलादेशी मुक्ति वाहिनी के समर्थन में पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध मे भाग लिया और 16 दिसम्बर 1971 को पाक सेना ने आत्मसमपर्ण कर दिया इसके फलस्वरूप नये आज़ाद देश बंगलादेश का जन्म हुआ, भारत भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे शक्तिशाली देश बन गया | इन्दिराजी के घोर राजनेतिक विरोधी जनसंघ के नेता अटलबिहारी वाजपेयीजी ने इन्दिराजी को शक्तिमयी माता दुर्गा के समकक्ष बताया|

शिमला समझोता
बगंला देश के जन्म और पाकिस्तान की सेनाओं के आत्मसमपर्ण के बाद इन्दिराजी ने नये पाकिस्तानी राष्ट्रपतिज़ुल्फ़िकार अली भुट्टोको एक सप्ताह तक चलनेवालीशिमलाशिखर वार्ता में आमंत्रित किया | वार्ता के समापन पर उन्होंने पाकिस्तान के साथ शिमला समझौतेपर हस्ताक्षर किए, शिमला समझोतें के फलस्वरूप दोनों देशों ने कश्मीर विवाद को अन्तर्राष्ट्रीय विवाद के स्थान मात्र भारत-पाकिस्तान के बीच का मसला मान करकश्मीरविवाद को आपसी वार्ता और शांतिपूर्ण ढंग से मिटाने के लिए दोनों देश अनुबंधित हुए। शिमला समझोतें के कारण वर्षों तक भारत-पाक सीमा पर शांती बनी रही | वर्षों से ठप्प पड़े व्यापार संबंधों को भी पुनः सामान्य किया गया।

सिक्कम का भारत का प्रदेश बना
इन्दिराजी के प्रयासों से ही सिक्कम का भारत में विलय हुआ |

भारत परमाणु शक्तिवान देश बना
चीन की तरफ से परमाणु बम्ब के खतरे तथा विश्व की महाशक्तियों की दखलंदाजी को इन्दिराजी भारत की स्थिरता और सुरक्षा के लिए प्रतिकूल महसूस कर रही थी, इसी बात को मध्य नजर रख कर श्रीमती गाँधी ने भारत का अपना राष्ट्रीय परमाणु कार्यक्रम निर्मित किया। स्माइलिंग बुद्धाके अनौपचारिक छदम्म -छाया नाम से 1974 में भारत ने सफलतापूर्वक एक भूमिगत परमाणु परीक्षणराजस्थानके रेगिस्तान में बसे गाँवपोखरणके करीब किया। शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किये गये इस परीक्षण से भारत भी दुनिया का नवीनतम परमाणुबम्ब सम्पन्न शक्तिशाली देश बन गया।

अन्तरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत का प्रवेश
1980 में उनके ही कार्यकाल में भारत ने पहली बार अन्तरिक्ष युग में प्रवेश किया एवं भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित स्वदेशी राकेट से सेटेलाईट अन्तरिक्ष में सफलता पूर्वक भेज कर भारत को विश्व के अग्रणी देशों में शामिल करवाया | इन्दिराजी के प्रयासों से ही भारत के राकेश शर्मा सोवियत अंतरिक्षयान में बैठ कर अन्तरिक्ष की यात्रा करने वाले प्रथम भारतीय बनें | इन्दिराजी ने अन्तरिक्ष यान में बैठे हुए श्री राकेश शर्मा से बात की और उनसे पूछा कि अन्तरिक्ष से भारत कैसा लग रहा है | श्री शर्मा ने कहा कि भारत सबसे सुन्दर दिखता है |

भारत-चीन सम्बंध
1962 के भारत-चीन के युद्ध के 14-15 साल के अन्तराल के बाद इन्दिराजी ने 1976 मे चीन के साथ राजनेतिक एवं कुटनीतिक सम्बन्धों की पुन: स्थापना हेतु चीन में भारत के राजदूत को नियुक्त्त किया |
श्रीमती गांधी का मानना था कि एक मजबूत ओंर शक्तिशाली केंद्र से ही मजबूत,शक्तिशाली भारत का निर्माण किया जा सकता है |

विदेश नीति
इन्दिराजी की विदेश नीति का आधार भारत को श्रेष्ट देश बनाने पर केन्द्रित था ,यानी प्रो इंडिया था, गुटनिरपेक्षता की नीति का अनुसरण करते हुए वे गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों की नेता बनी रही, वे कभी भी अमेरिका के दबाव में नहीं आई |

हरित क्रांति

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

आजादी के बाद के प्रारम्भिक वर्षों में देश को खाद्यान्न की कमी से जूझना पड़ा था, भारी मात्रा में खाद्यान्न का आयत करना पड़ता था किन्तु 1960 के दशक में विशेषीकृत अभिनव कृषि कार्यक्रम और सरकार प्रदत्त अतिरिक्त समर्थन लागु होने के परिणाम स्वरूप अंततः भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर ही नहीं किन्तु अपनी आवश्कयता से अधिक उत्पादन कर इसे नियार्त करने की स्थिती में पहुंच गया था | इस उपलब्धि को अपने वाणिज्यिक फसल उत्पादन के विविधीकरण के साथहरित क्रांतिके नाम से जाना जाता है। इसी समय दुग्ध उत्पादन में वृद्धि से आयी श्वेत क्रांति से खासकर बढ़ते हुए बच्चों के बीच कुपोषण से निबटने में मदद मिली। ‘खाद्य सुरक्षा’, जैसे कार्यक्रम के दशक से ज्यादा समय तक चलने की वजह से गेहूं उत्पादन में तीनगुना वृद्धि तथा चावल उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई |
इन्दिरा गांधी ने सन् 1971 में गरीबी हटाओ के नारे के साथ चुनाव लड़ा इस नारे से उन्हें ग्रामीण और शहरी गरीबों से भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ एवं वर्षोँ से प्रताड़ित वर्ग को भी युगों बाद सत्ता में राजनेतिक भागीदारी प्राप्त हुई इससे शहरी व्यापारी वर्ग के मन ही मन में नाराजगी भी हुई ।
1974 में इन्दिरा जी की नितीयों के विरुद्ध जयप्रकाश नारायण,सतेन्द्र नारायण सिन्हाऔर आचार्यक्रपलानीजैसे नामी-गिरामी नेताओं एवं अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने इन्दिराजी एवं उनकी सरकार के विरुद्ध सक्रिय प्रचार करते हुए भारत भर का दौरा किया और जन आन्दोलन चलाया । राज नारायण (जो बार बार रायबरेली संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लड़ते और हारते रहे थे) द्वारा दायर एक चुनाव याचिका में कथित तौर पर भ्रष्टाचार आरोपों के आधार पर 12 जून,1975कोइलाहाबाद उच्च न्यायालयने इन्दिरा गांधी केलोक सभाचुनाव को रद्द घोषित कर दिया। अदालत ने उनके विरुद्ध संसद की सदस्यता छोड़ने तथा छह वर्षों तक के लिए चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबन्ध लगाने का आदेश भी दिया।

आपातकालीन स्थिति (1975-1977)
गाँधी ने व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने हेतु अशांति मचाने वाले ज्यादातर विरोधियों जन नेताओं को गिरफ्तार कर लिया | तदोपरांत मंत्रिमंडल की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने देश में व्याप्त अव्यवस्था और अराजकता को देखते हुए 26 जून1975को संविधान कीधारा- 352के प्रावधान के अनुसार आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी।
इन्दिराजी ने यकायक 1977 में चुनाव कराने की घोषणा कर दी ( चुनाव अभियान के दोरान ही उनके विश्वस्त साथी बाबु जगजीवनराम ने में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली और इन्दिराजी के विरोधीयों से हाथ मिला लिया )| शायद प्रेस सेंसरशीप के चलते उन्हें सही सूचनाये प्राप्त नही हुई और जनता ने चुनाव के जरीये अपने आक्रोश का इजहार कर उनके विरोधी जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से विजयी बनाया यहाँ तक इन्दिराजी खुद और उनके पुत्र संजय गाँधी भी चुनाव हार गये | इन्दिराजी के घोर विरोधी मोरारजी देसाई के नेतृत्व तथा जय प्रकाश नारायण के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में जनता दल की सरकार बनी | जनता पार्टी कई विचार धारा वाले पार्टियों का समूह ही था जो इन्दिरा विरोधी भावनाओं के कारण एक जुट हुए थे, धीमें-धीमें उनमे आपसी मतभेद उत्पन्न होते गये, तत्कालीन ग्रह मंत्री चरणसिंह ने इन्दिराजी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया, कुछ ही दिनों में अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया, उनकी गिरफ्तारी और लंबे समय तक चल रहे मुकदमे की वजह उनके विरुद्ध उपजा आक्रोश सहानुभूति मे बदलने लगा, लोगों का जनता सरकार से भी मोहभंग होने लगा श्रीमती गांधी एक कुशल राजनेता थी इसलिये आपातकाल के दौरान हुई “गलतियों” के लिए कौशलपूर्ण ढंग से क्षमा मांगना प्रारम्भ कर दिया जिसका जनमानस पर अनुकुल प्रभाव पड़ा,जून 1979 में देसाई सरकार ने इस्तीफा दिया और श्रीमती गांधी ने चौधरी चरणसिंह को बाहर से समर्थन दे उन्हें प्रधानमंत्री बनवा दिया |
कुछ समय बाद कांग्रेस ने सरकार से अपने समर्थन वापस ले लिया, चरणसिंह सरकार संसद मे अल्प मत मे आगयी और उन्हें त्याग पत्र देना पड़ा जिसके फलस्वरूप जनवरी 1980 मे आम चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और इन्दिराजी वापस प्रधानमंत्री बनी |
इंदिरा गाँधी को वर्ष 1983 – 1984 के लेनिन शान्ति पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था।
1981 में पंजाब में आतंकवाद की घटनायें चरम सीमा पर थी. आतंकवादी प्रथक खालसालेंड की मांग कर रहें थे, राष्ट्र की एकता-प्रभुसत्ता खतरे में पड़ने लगी, सितम्बर 1981 मेंजरनैल सिंह भिंडरावाले ने अपना अड्डा स्वर्ण मन्दिर परिसर,हरिमन्दिर साहिब के भीतर बना लिया था और वहीं से आतंकवादी हरकतों का संचालन हुआ करता था ऐसी अवस्था में मजबूर होकर दुखी मन से आतंकवादीयों से निबटने हेतु स्वर्ण मंदिर परिसर में सेना को न्यूनतम फ़ोर्स काम में लेने के आदेश के साथ प्रवेश करने का आदेश दिया । इस ऑपरेशन को ब्ल्यू स्टार का नाम दिया, इस ऑपरेशन में सरकारी अनुमान के अनुसार 4 अधिकारियों सहित 79 सैनिकों और 492 आतंकवादी (जरनैल सिंह भिंडरावाले सहित ) मारे गये | सिख समुदाय में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई एवं विशेष कर इन्दिरा गांधी के खिलाफ आक्रोश पनपा |
इन्दिराजी के सुरक्षा कर्मियों में से ही दो अंगरक्षकों सतवंत सिंहऔरबेअन्त सिंह, ने 31अक्टूबर,1984को अपने सेवा हथियारों से ही 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में ही इंदिरा गांधी की गोलियों से भून भून कर निर्मम हत्या कर दी, उस व्यक्त्त इन्दिराजीब्रिटिशअभिनेतापीटर उस्तीनोवको आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने हेतु साक्षात्कार देने के लिए जा रही थी |इन्दिराजी के अन्य अंगरक्षकों द्वारा बेअंत सिंह को तो गोली मार दी गई और सतवंत सिंह को गोली मारकरगिरफ्तारकर लिया गया।
श्रीमती गांधी को उनके सरकारी कार में ही अस्पताल पहुंचाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया लेकिन सुरक्षा कारणों से उनकी मृत्यु की घोषणा नहीं की गई, उस समय राष्ट्रपति जैलसिंह एवं उनके एक मात्र जीवित पुत्र (उनके दूसरे पुत्र संजय गाँधी की एक हवाई दुर्घटना में 1980 में ही निधन हो चुका था ) राजीव गाँधी भी कोलकत्ता में थे।
इन्दिराजी के निधन का भयावह समाचार सुन एम्स के बाहर भी हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई पुलिस वालों के लिए उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। हर तरफ इंदिरा गांधी की जय एवं इन्दिराजी अमर रहें के नारे गूंज रहे थे। ये बहुत बड़े तूफान की आहट थी। लोग रो रहे थे, बिलख रहे थे। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी इंदिराजी कोई मार भी सकता है । यही वो भीड़ थी जो रोते-रोते जब थक गई तो उनका विलाप गुस्से मे बदल गया। ये गुस्सा आगे क्या करने वाला होगा इस बात का किसी को कोई एहसास नहीं था। एक के बाद एक दुकानों के शटर गिर रहे थे , इंदिरा की मौत की घोषणा के बाद पूरे के पूरे बाजारों में सन्नाटा पसर गया। सड़कों पर चल रही गाड़ियां ना जाने कहां गायब हो गईं। ऐसा लगा जैसे कर्फ्यू लगा दिया गया हो लेकिन इस सन्नाटे के बीच सिख विरोधी नारे लगातार बढ़ते जा रहे थे।
इन्दिराजी का अंतिम संस्कार3 नवंबरकोराज घाटके समीप हुआ और इस जगह को कालान्तर मेंशक्ति स्थल का नाम दिया गया। उनके मौत के बाद,नई दिल्लीके साथ साथ भारत के अनेकों अन्य शहरों में भी सांप्रदायिक अशांती हो गई, बेकाबू भीड़ ने निरपराध लोगों को विशेष कर सिक्खों को मार डाला , यह अत्यन्तं अमानवीय कृत्य था और अवश्य ही इन्दिराजी की आत्मा इसे देख बिलख बिलख कर रोई होगी | इन्दिराजी कुछ समय पूर्व ही कहा था कि “If I die a violent death, as some fear and a few are plotting, I know that the violence will be in the thought and the action of the assassins, not in my dying “ .
क्रतज्ञ राष्ट्र उनकी 97 वीं जन्म जयंती पर श्रद्धा पुष्प अर्पित कर नमन करता है |
-डा.जे.के. गर्ग
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