शिवजी की पूजा-अर्चना में बेलपत्र और जल क्यों चढाया जाता है ?

shiv lingएक गाँव में एक गरीब शिकारी रहता था। वह जंगली जानवरों का शिकार कर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करता था। लेकिन उसे कभी कभार ही मुश्किल से शिकार मिलता था इसलिए उस पर उसके गाँव के महाजन का काफ़ी कर्ज़ हो गया । कर्ज़ वापस न करने के कारण एक दिन महाजन ने उसे पकड़कर कोठरी में बंद कर दिया और उसे खाने के लिए भी कुछ नहीं दिया। शाम को महाजन ने शिकारी को इस शर्त पर छोड़ा कि जब तक वह कुछ कमा कर नहीं लाता है तब तक उसे उसके घर जाने नहीं दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में बेचारा शिकारी अपने धनुष-बाण लेकर शिकार की तलाश में जंगल की तरफ़ चला गया। जंगल में उसे एक तालाब मिला, तालाब को देख कर उसने सोचा कि यहाँ पर पानी पीने के लिए ज़रूर जानवर आएंगे और उसे शिकार मिल जाएगा। यही सोचकर वह एक पेड़ पर चढ़ गया और अपने को छुपाने के लिए डालियों को काटकर उसकी पत्तियों से खुद को ढँक लिया। सौभाग्य से वह पेड़ बेल का था और उसके नीचे एक शिवलिंग भी था। डालियाँ तोड़ते समय बेल की कुछ पत्तियां शिवलिंग पर गिर गई। एक तरह से उससे शिव जी की पूजा भी हो गई।
आधी रात के बाद तालाब के पास एक हिरणी नज़र आई तो उसने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई। हिरणी की नज़र शिकारी पर पड़ी तो उसने शिकारी से उसे न मारने का अनुरोध किया। हिरणी का कहना था कि वह गर्भवती है और थोड़ी देर में ही वह बच्चे को जन्म देने जा रही है,हिरणी ने शिकारी से प्रार्थना कि क्यों वह बच्चे की हत्या का पाप अपने सिर पर लेता है, बच्चा जनने के बाद वह लौट आएगी, तब शिकार कर लेना। शिकारी ने उसे जाने दिया।
थोड़ी देर बाद एक दूसरी हिरणी आई तो उसने भी शिकारी से कुछ देर बाद आने की अनुमति मांगी। शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया। कुछ देर बाद तीसरी हिरणी दिखी तो उसने भी कुछ देर बाद आने की अनुमति मांग ली। शिकारी की समझ में नहीं आ रहा था कि शिकार करना उसका पेशा है और वह कर्ज़ में डूबा हुआ है, भूखा-प्यासा है, उसके परिवार के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है फिर भी वह हाथ आए शिकार को क्यों छोड़े जा रहा है? इसी उधेड़बुन में वह जितनी बार करवट बदलता बेल की कुछ पत्तियाँ टूट कर शिवलिंग पर गिर जातीं और माथे का पसीना भी चूं पड़ता।
इस तरह से वह रात भर जागता रहा। पौ फटने को हुई तो वह घबरा गया कि पूरी रात बीत गई और एक भी शिकार नहीं मिला। अब तो महाजन उसे फिर पकड़ लेगा? तभी उसने देखा कि तीनों हिरणियाँ पेड़ के पास आकर खड़ी हो गई हैं और उनके साथ एक हिरण भी है। हिरण ने शिकारी से कहा कि यह उसका परिवार है। तीनों हिरणियों ने उससे बाद में आने की अनुमति मांगी थी तो अपने वायदे के अनुसार वे आ गई हैं, तुम इनका शिकार कर लो लेकिन साथ में मुझे भी मार डालो क्योंकि इनके बिना मेरा जीवन निरर्थक हो जाएगा।

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

शिकारी ने सोचा कि ये पशु होकर भी त्याग और बलिदान की भावना रखते हैं और वह मनुष्य होकर भी स्वार्थी ही बना रह गया है । जीवों की हत्या कर परिवार का पालन करता है? निश्चित रूप से उसके मन यह भावना शिवलिंग की अनायास मे की गई पूजा से ही आई थी। तभी भगवान शंकर भी अवतरित हुए और शिकारी से कहा कि वह उसकी पूजा से प्रसन्न हुए, वह कुछ भी मांग ले।
शिकारी ने कहा कि उसने कोई पूजा नहीं की और वह नास्तिक है। इस पर भगवान शंकर ने बताया कि उसने शिवलिंग पर बेल और जल चढ़ाया था, यही उनकी पूजा है। इस पर शिकारी ने कहा कि उसे पशुओं की हत्या के काम से मुक्त कर दें और अपनी शरण में ले लें। भगवान ने उसे श्रृंगवेरपुर का राजा गुह्य बनने और त्रेता में भगवान राम की सेवा का अवसर मिलने का आशीर्वाद दिया।

शिवलिंग क्या है?
वातावरण सहित घूमती धरती या सारे अनंत ब्रह्माण्ड की axis ( अक्स) ही लिंग है। इसीलिए इसका आदि और अन्त को जानने का सामर्थ्य साधारण जनों में नहीं है यहाँ तक कि देवताओं के लिए भी यह अज्ञात ही है। सौरमण्डल के ग्रहों के घूमने की कक्षा (orbits) ही शिव तन पर लिपटे सांप हैं।

शिवलिंग का अर्थ होता है- शुभ प्रतीक बीज, शिव की स्थापना लिंग रूप में की जाती है, वही क्रमश: विकसित होता हुआ सारे जीवन को आवृत्त कर लेता है | जिस प्रकार शिव को आशुतोष भी कहा जाता है, वे अपने लिए कठोर एवं दूसरों पर शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले हैं |

शिवलिंग मंदिरों में बाहर क्यों?
जनसाधारण के देवता होने से, सबके लिए सदा सुगमता से पहुंच की जगह में रहे, ऐसा मानकर ही शिवलिंग को मन्दिरों में बाहर ही स्थापित किया जाता है,। शिव अकेले देव हैं जो गर्भगृह में भक्तों को दूर से ही दर्शन देते हैं। इन्हें तो बच्चे-बूढे-जवान जो भी जाए छूकर, गले मिलकर या फिर पैरों में पड़कर अपना दुखड़ा सुना कर हल्के हो सकते हैं। भोग लगाने अर्पण करने के लिए कुछ न हो तो पत्ता-फूल, या अंजलि भर जल चढ़ाकर भी शिव को खुश किया जा सकता है।
जे.के. गर्ग

सन्दर्भ—References——-cafe Hindu.com,sadar India People patrotic Plateform-S Mathur,Poonm Negi,Vinayk Vastu Times,Web Duniya, Aajtak, India Today, Wikipediya etc etc

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