ट्रांजिट उन्मुख विकास लाएगा बड़ा बदलाव

S L Talwar
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एक ऐसे दिन की कल्पना करिए जब आप सुबह सो कर उठे और काम पर जाने के लिए तैयार हो कर घर से निकले | रस्ते में लांड्री पर अपने कपड़े धोने के लिए डालते हुए जाएं, अपने पसंदीदा जगह से नाश्ता करे, बैंक/एटीएम से पैसे निकले और बस स्टॉप/मेट्रो स्टेशन/ऑटो रिक्षा स्टैंड/टैक्सी स्टैंड या को यातायात का साधन जो की आपको सुविधाजनक लगता हो उस तक पहुँच जाएं जिससे आप अपने दफ्तर पहुँच सके बिना अपना खुद का वाहन इस्तेमाल किये; और ये सब ५ से १० मिनट दूर हो आपके घर से | और इन सब से बड़ी बात, आप कुछ ही मिनटों में अपने दफ्तर पहुँच जाएँ | और जब आप अपने दफ्तर से वापस आने के लिए निकले तो आप लांड्री से अपने कपड़े उठाते हुए, गृहस्थी का सामान लेते हुए वापस अपने घर पहुंचे और पार्टी में जाने के लिए तैयार हो जाएँ और अपनी मनपसंद पार्टी की जगह पर पहुँच जाएँ जो की सिर्फ कुछ मिनट दूर होगी | यही है आपके लिए ट्रांजिट उन्मुख विकास (ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट) |

यह सब शायद थोड़ा अवास्तविक लगता है; घर, कार्यालय स्थल, खुदरा बाज़ार और यातायात जैसी सारी सुविधओं का एक ही जगह होना भारत में ज्यादा देखा नहीं है | टीओडी एक रास्ता है खास कर भीड़भाड़ वाले महानगरो के लिए जहाँ बेहतर भूमि के उपियोग के साथ हम चाहे तो आवास संकट पर अंकुश लगा सकते है | टीओडी का फयदा विदेशी देशो के विकास में काफी बड़े स्तर पर देखा जा सकता है जैसे की ऊ.एस., ऊ.के., फ्रांस आदि देशो में | एक टीओडी रहवासी, कर्मचारियों और संभावित ट्रांजिट यात्रियों की संख्या बड़ने के लिए परिकल्पित किया जाता है, जिसके पास परिवहन के लिए सुविधाजनक पहुँच उलब्ध हो | एक पूरक मिश्रण भूमि उपयोग क्षेत्र, गतिविधियों का मिश्रण, और सेवाएं एक दुसरे से करीब में ही मौज़ूद हो, जो की टीओडी रहवासियों को यातायात, काम करने, रोजमर्रा के काम, विश्राम और बुनियादी ज़रुरतो का सामन आस पास ही मिल जाएँ बिना स्वयं का वाहन इस्तेमाल किये | “टीओडी एक मध्यम और उच्च घनत्व आवास का विकल्प है जो की एक केन्द्र स्थित ट्रांजिट कॉरिडोर के नज़दीक ही उपस्थित हो, ताकि ट्रांजिट यात्री अपनी यात्रा चल कर ही शुरू और ख़तम कर दे जो की लगभग १० मिनट से कम की दुरी पर स्थित हो | जिसका उदेश्य हो सुरक्षित और आरामदायक रस्ते जो की जुड़े हो ट्रांजिट, आवास और बाकी इस्तेमाल की जगहों से | टीओडी की मोहर है एक आकर्षित पद यात्रा के माहोल की मौज़ोदगी का एहसास दिलाना | लोगो को टीओडी की ओर आकर्षित करने के लिए एक बेहतर परिकल्पित सञ्चालन प्रणाली, सुविधाएं, घर, सामुदायिक स्थान, प्लाज़ा, कार्यालय परिसर, गतिविधियों और स्मार्ट डिज़ाइन महत्वपूर्ण हिस्सा है |” यह मानना है श्री रुपेश गुप्ता, निदेशक जेएम हाउसिंग का | इसी मुद्दे पर विचार जोड़ते हुए श्री दुजेंदर भारद्वाज, निदेशक, मरीना सुइट्स कहते है कि “टीओडी ने विदेशी देशो में तेज़ी सेएक अदबुध विकास की प्रवर्ती का सबूत दिया है, जो की बेहतर और रहने लायक समुदाय बनाने में मददगार है | उच्च गुणवत्ता परिवहन प्रणाली के आसपास टीओडी सुगठित और चलने वाले सामुदायिक केंद्र का विकास करेगा | इसकी वजह से भविष्य में यातायात की दिक्कत या उत्तरजिविका के लिए किसी पर निर्भरता कम होगी और जीवन में तनाव भी कम हो जायेगा | इसीलिए टीओडी एक बड़ा बदलाव ला सकता है अगर उसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे भीड़ वाले शहरो में लागु कर दिया जाये तो |
“हमारे देश के बुनियादी सुविधओं के विकास में पीपीपी ढांचे ने अहम भूमिका निभाई है इसीलिए टीओडी पीपीपी ढांचे में सम्पूर्ण तरह से सही बेठेगा | सरकार को बुनियादी व पारवहन सुविधाएं अपने स्तर पर एक क्षेत्र में विकसित कर देना चाहिए और बाकी आवासीय और व्यावसायिक विकास के लिए निजी विकासकर्ता को मौका देना चाहिए | इस तरह से, हर तरीके का कार्य आसान हो जायेगा, साथ ही साथ यह हमारे देश के विकास में सहायक होगा और भीड़भाड़ भी कम करेगा जिस्से मिश्रण भूमि इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा और एक बहतर शहर बनेगा वहाँ के रहवासियों के लिए |” यह विश्लेषण दिया श्री कुशाग्र अंसल, निदेशक, अंसल हाउसिंग ने | टीओडी को पीपीपी ढांचे के द्वारा सफल बनाने के लिए यह बहुत ज़रूरी है की निजी विकासकर्ता को सरकार एकल खिड़की से अनुमति प्रणाली प्रदान करे, भूमि सस्ते दाम में दे और बहुत ध्यान से विकास के क्षेत्रो की योजना बनाये | श्री प्रवीण त्यागी, सीएमडी वीवीआईपी का कहना है की “ टीओडी विकासकर्ताओ को फ्लोर स्पेस इंडेक्स का पूर्ण इस्तेमाल करने की अनुमति देगा और सरकार को इससे काफी बड़ी राजस्व उत्पत्ति भी होगी | निजी निर्माणकर्ता को आकर्षित करने के लिए, सरकार एकल खिड़की अनुमति प्रदान करे ताकि निर्माणकर्ता अपना निर्माण कर सके और समय पर अपना उत्पादन प्रदान कर सके | बेहतर यातायात प्रबंध इस प्रणाली को काफी असरदार बना देगा और सरकार इससे एफडीआई के रस्ते भी खोल सकती है जो की उत्तम मुनाफा प्रदान करेगा |”

दिल्ली दिलवालो की:
दिल्ली का उदाहरण ले तो, टीओडी की इस वक़्त सक्त ज़रूरत है | दिल्ली में भिन्न शहरो के काफी लोग प्रवास करते है और इससे यहाँ की जनसँख्या बढ़ती जा रही है जिससे सड़को पर लोगो और गाड़ीयो का जमावड़ा बढ़ जाता है और इससे रोजमर्रा के यातायात पर बुरी तरीके से असर पढता है, इन्ही कारणों से इस क्षेत्र और इस क्षेत्र के निवासियों की दक्षता और प्रभावशीलता पर असर पड़ता है | पिछले वर्ष डीडीऐ ने करकरडूमा को टीओडी परियोजना घोषित किया था और हाल ही में २ और परियोजनाओ को इसमें जोड़ने की घोषणा की; पहली है पूर्वी दिल्ली और दूसरी है द्वारका | निर्माणाधीन त्रिलोकपुरी मेट्रो स्टेशन के आस पास, लेक व्यू कॉम्प्लेक्स को भूतपूर्व में योजनाबद्ध किया गया था | १०.२६ हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फेला हुआ है, जिसमे बहुमंजिला आवासीय व व्यावसायिक भवन होंगे | “दिल्ली काफी समय से प्रवास का केंद्र रहा है जिसके परिणाम स्वरुप यहाँ की जनसँख्या ज्यादा हो गयी है | टीओडी परियोजना दिल्ली के लिए योजनाबद्ध है जहाँ इसकी काफी ज़रूरत है, अगर एक बार टीओडी आ जाये तो यहाँ भीड़ कम हो जाएगी, जिससे की रहवासियों के लिए साँस लेने की जगह बन जाएगी | पूर्वी दिल्ली और द्वारका इस वक़्त के हिसाब से सही चुनाव किया गया है और हम उम्मीद करते है की डीडीऐ समय पर अपना कार्य पूरा कर लेगी |” यह कहना है श्री अमित चौधरी, एमडी, रिद्हम काऊंटी का | द्वारका एक अलग परियोजना है जो की ४ किलोमीटर लम्बे मेट्रो कॉरिडोर के साथ आएगी | डीडीऐ ने द्वारका को केंद्र हब बनाने की योजना बनाई है जिसके तीन हिस्से होंगे, व्यापर हब, मनोरंजन हब और पर्यावरण का मनोरंजक हब | यह परियोजना तीन अलग स्थानों पर आएंगी जो की २८ हेक्टेयर में फैला हुआ होगा |

हाउसिंग फॉर आल और स्मार्ट सिटीज़ के सन्दर्भ में देखे तो
काफी सारे सवाल उठते रहे है और अभी भी उठ रहे है की क्या हाउसिंग फॉर आल और स्मार्ट सिटीज़ मिशन सपना ही रहेगा या हकीकत में असलियत में तब्दील होगा | अगर हम टीओडी पर अच्छे से नज़र डाले तो दो महत्वपूर्ण विशेषताएं सामने आती है पहली मकानों की संख्या में इज़ाफा और दूसरा एक बेहतर विकसित क्षेत्र | “ हाउसिंग फॉर आल और स्मार्ट सिटीज़ मिशन को टीओडी के विकास से बढ़ावा मिलेगा जिसकी काफी आवश्यकता है, न केवल दिल्ली में पर बाकी और क्षेत्रो में भी | क्षेत्रो को पारगमन नेटवर्क के साथ जोड़ने के लिए अच्छी योजना बनानी होगी साथ ही ऊँची आवासीय इमारते और ज्यादा व्यावसायिक इस्थल, हाउसिंग फॉर आल का परिचय देती है और यह स्मार्ट सिटी की छोटी शुरुवात को भी दर्शाती है | आवास और दफ्तर की प्रदाय काफी बड़ेगी जो क्षेत्र में कीमतों को सही करने में मददगार होगी |” यह मानना है श्री विकास सहनी, सीएमडी प्रॉपर्टी गुरु का |

सुरक्षा और सामाजिक सरोकारों का जवाब
जिन क्षेत्रो की जनसँख्या ज्यादा है वो क्षेत्र ज्यादा सुरक्षित माने जाते क्योकि लोगो का आना जाना लगा रहता है | टीओडी का आधार है फ्लोर एरिया रेश्यो (एफऐआर) को बढ़ाना, इससे यह बात पुर्णतः स्पष्ट हो जाती है की घर और कार्यस्तल ज्यादा होने के कारण यहाँ रहने और आने जाने वालो की संख्या बढ़ जाएगी | कम जनसँख्या वाले क्षेत्रो में जहाँ रात में सड़के खाली होती है या जहाँ सिर्फ घर ही होते है कोई व्यावसायिक स्थान नहीं होता वहाँ जब टीओडी पूरी तरीके से लागू हो जायेगा तो लोगो मानसिक तोर पर अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगे | टीओडी निजी और पेशेवर जीवन में बेहतर प्रदर्शन करने में भी सहायक होगा क्योकि लोगो को कम तनाव, कम शाररिक दबाव, और खुद के जीवन के बारे में सोचने का लिए समय मिलेगा |” श्री विकास भसीन, एमडी, साया होम्स का कहना है की “हर किसी का यह जीवन का सपना होता है जहाँ दफ्तर, घर और मनोरंजन एक दुसरे के आस पास हो ताकि हम बाकी चीजों को ज्यादा समय दे सके | अगर टीओडी लागू हो जाये तो यह सपना साकार हो सकता है जो की लोगो की स्थिरता और प्रभावशीलता को बढ़ाएगा | दूसरी तरफ देखे तो, अगर ज्यादा लोग आस पास हो तो; लोग खासकर महिलाए इस क्षेत्र में यात्रा के दोरान ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगी | इस लिए इस परिकल्पना कर बहुत ज्यादा उम्मीदे टिकी हुई है और हम यह उम्मीद कर सकते है की न केवल अचल संपत्ति क्षेत्र पर बल्कि पुरे देश में एक बड़ा बदलाव आएगा |”
एस एल तलवार
वरिष्ठ पत्रकार

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