B…खाम्बलिया में ट्रेन एक देड घंटे खड़ी रही, जहाँ से 77 km का सफ़र अभी भी शेष था. यहाँ से निकलने पर द्वारकाधीश मंदिर का शिखर और झंडा दूर से लहराता दिख रहा था.
1. डेढ़ घंटे की देरी से ३ बजे द्वारका पहुंचे तो जल्दी से नहा धो कर, एक ऑटो रिक्शा में में बेठ कर जब लोकल साईट सीइंग को निकले तो एक चौराहे पर कुछ बुलेट के इंजन से बने जुगाड़ दिखे जिनमे से कुछ तो दूध की बड़ी बड़ी केन से भरे थे तो कुछ गाँव की सवारी भर भर कर ले जा रहे थे. ये बिलकुल वैसे भट-भटियाओं जैसे थे जैसे दिल्ली के चाँदनी चोक में खड़े रहते थे, हम बचपन में इनकी सवारी अक्सर करते थे, जो भट भट करके चलते थे.
Dr. Ashok Mittal