मनायें होली को नवीन रूप में

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
होली का पर्वहमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता है जो अनेकों सामाजिक विषमताओंके बीच भीसमाज मेंएकताका संचार करता है | वास्तविकता मेंहोली के विभिन्नरंगोंकी बौछार हमारे मन में एक सुखदअनुभूति उत्पन्न करतीहै| होली अंहकार के साथ हमारेसारेकुसंस्कारों की त्यागनेके साथ साथप्रेम-सोहार्द, आनंद,सहजता ,सहिष्णुता एवंसुख प्राप्ति का पावन उत्सव है |
हिरण्यकश्यप की अपार शक्ति के आगे नन्हे-मासूम प्रह्लाद की क्या बिसात थी ?दानवी होलिका मात्रएक स्त्री नहीं थी बल्कि वह तो ईर्ष्याएवं समस्त दुष्कर्मों की प्रतिमुर्ती थी,लेकिन अंत में जीत तो भक्ति, विश्वासएवं सत्य की ही हुई |
झूठ- फरेफ़, ईर्ष्या, लालच और मदान्धताका दानव आज भी हमारे वह आपके अंतस्थल में जिंदा है | इन सभी बुराईयों को हमेशां के लिए नष्ट करने के लिए सर्वप्रथम हमें खुद सच्चाई, सोहार्द, स्नेह के सन्मार्ग पर चल कर अपने बच्चों तथा युवाओं के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना होगा तथाअपने बच्चोंमें अच्छी शिक्षा,अच्छे संस्कारों को प्रतिस्थापित करना होगा |
तो क्या आप भी अपने अंतर्मन और सच्चे दिल से तैयार हैं इस होलिका दहन पर अपनी बुराईयों को जला डालने का संकल्प लेने के लिए? यह सही है कि ऐसा हम-आप ऐसा एक दिन में नहीं कर सकते हैं, परन्तु ऐसे पवित्र संकल्प को धारण करना भी महत्वपूर्णहोगा , हो सकता है हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति में शत-प्रतिशत सफल नहीं हो पाएं |हमें शीघ्र सफलता भी नहीं मिले किन्तु हम सभी को सतत प्रयास करना ही होगा |
अब तय आपको ही करना है कि इस होली पर भी आप विगत वर्षों की होली के भाति सिर्फ घासफूस जलाने ही जा रहे हैं या फिर अपनी बुराइयों को जलाने का संकल्प भी लेने जा रहे हैं?
डा. जे. के. गर्ग—श्रीमती विनोद गर्ग,
संदीप-मनीषा-आरुष, सुरभी-मुनीष-अर्ची-आन्या एवं निमिष-सुरीना-निरीना
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