विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 17 मई विशेष
उच्च रक्तचाप को लेकर अपना वहम मिटाते रहें
भारत में किए एक सर्वे के अनुसार 29 प्रतिशत लोग हाईपरटेंशन की बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 25 प्रतिशत व शहरी क्षेत्र में 33 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। पचास साल से कम उम्र तक महिलाओं में यह रोग पुरुषों के मुकाबले तीस प्रतिशत कम पाया गया है, परन्तु पचास साल की उम्र के बाद महिलाओं व पुरुषों में समान रूप से पाया गया है।
आश्चर्य जनक रूप से पाए गए हाईपरटेंशन के मरीजों में से केवल 42 प्रतिशत को इस बीमारी के बारे में पहले से जानकारी थी व केवल 38 प्रतिशत लोग ईलाज ले रहे थे। इनमें से केवल बीस प्रतिशत मरीजों का ब्लडप्रेशर नियंत्रत था, जबकि अस्सी प्रतिशत का ब्लडप्रेशर अनियंत्रित पाया गया। 37 प्रतिशत लकवे के, 24 प्रतिशत हार्ट अटेक के, 25 प्रतिशत किडनी फैलर मरीज हाईपरटेंशन की वजह से पाए गए!
देश में नब्बे प्रतिशत मरीजों में ब्लडप्रेशर के ज्यादा होने का कारण पता नहीं चलता है। इसे प्राइमरी या असेंसियल हाईपरटेंशन कहते हैं। सैकंडरी हाईपरटेंशन का मुख्य कारण किडनी की बीमारी होना होता है। किडनी और बीपी का संबंध वैसा ही है जैसे ‘मुर्गी व अण्डाÓ , कहना मुश्किल होता है कि ब्लडप्रेशर के गड़बड़ रहने से किडनी प्रभावित हुई या किडनी की गड़बड़ी के कारण ब्लडप्रेशर ज्यादा रहने लगा।
लक्षणों को कर देते हैं नजरअंदाज—-
शुरुआती अवस्था में ब्लड प्रेशर ज्यादा होने पर सिर दर्द रहने लगता है, थकावट होने लगती है, घबराहट होना या नाक से खून आना इसके लक्षण होते हैं। सामान्य रूप से देखा गया है कि अधिकांश लोग थकान और घबराहट या सिर दर्द को अपने दैनिक काम-काज का हिस्सा अथवा रुटीन समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं।
तुरंत बदले लाइफ स्टाइल——
यह ध्यान देने की बात है कि जब भी फैमिली डाक्टर या जनरल डाक्टर से आपको बी.पी की बीमारी होने का पता चले तो तुरन्त ही ब्लडप्रेशर स्पेशलिस्ट से सम्पर्क करें। विशेषज्ञ से यह जानने की कोशिश करें कि यह किस अवस्था में है। बीपी की वजह से शरीर के अन्य किसी अंग पर कितना प्रभाव पड़ा है। डैमेज होने वाले अन्य टारगेट अंग की जांच कराई जा सकती है। अपनी लाइफ स्टाइल पर गौर किया जा सकता है। जरूरत के अनुसार उसे बदला जा सकता है। बीपी नियंत्रण में नहीं होता है तो फिर दवाइयां शुरू की जा सकती हैं।
अच्छी नींद लेवें—————-
आप यदि हाईपरटेंशन के रोगी है तो आपको प्रतिदिन तीस मिनट व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। अपना वजन नियंत्रण में रखे, शराब का सेवन ना करें, धूम्रपान व तम्बाकू चबाना बंद करें, घी, तेल, तली हुई चीजें कम लेवें, सब्जियां व फल ज्यादा लेवें, नारियल पानी लेवें, तनाव बिल्कुल नहीं लेवें, अच्छी नींद लेवें, योगा नियमित करते रहें।
क्या कहते हैं डाक्टर:-
बी पी है तो दवाई समय से लेवें————-
हाईपरटेंशन के मरीज को नियमानुसार टाइम से दवाइयां लेनी चाहिए। ब्लडप्रेशर की दवाई का खाने से कोई संबंध नहीं होता, उसका संबंध टाइम से होता है। कई मरीज ब्लड प्रेशर नियंत्रण में आने के बाद दवाई बंद कर देते हैं, ऐसा अपनी मर्जी से नहीं करना चाहिए, क्यों कि कुछ दवाइयां जैसे क्लोनिडिन एकदम से बंद करने से बीपी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिससे लकवा, ह्रदयाघात, या किडनी फैलर जैसी स्थिति बन सकती है।
– डॉ. रणवीर सिंह चौधरी,ब्लड प्रेशर व किडनी स्पेशलिस्ट मित्तल हॉस्पिटल, अजमेर
नियमित जांच कराते रहें———
आंखों पर हाईपरटेंशन का तेजी से असर होता है। आंखों की नसें बहुत की बारीक होती हैं। हाईपरटेंशन की वजह से वे डैमेज हो जाती हैं। इससे आंखों से खून आने लगता है। आंखों की रोशनी जा सकती है। सलाह यही है कि बीपी नियमित रूप से जांचते रहें।
डॉ. विनीत चंडक, नेत्ररोग विशेषज्ञ
नमक का अतिरिक्त सेवन ना करें———-
हाईपरटेंशन का ह्रदय पर इसका सीधा असर होता है। बचाव का आसान तरीका है कि तनाव से जहां तक संभव हो अपने को बचाएं। नमक का अतिरिक्त सेवन ना करें। नियमित व्यायाम करते रहें। मुस्कुराते रहे कोशिश करें दिल सुरक्षित रहे।
डॉ. विवेक माथुर, ह्रदयरोग विशेषज्ञ, मित्तल हॉस्पिटल अजमेर।
सन्तोष गुप्ता
प्रबंधक जनसंपर्क
मित्तल हॉस्पिटल, अजमेर
हाईपर टैंशन के बारे में आज प्रकाशित पोस्ट मे अच्छी जानकारी और सुझावों के लिये बहुत धन्यवाद।