बच्चों का सिज़ेरियन जन्म, चिकित्सा क्षेत्र में लूट का अमानवीय फंडा ?

gopal singh jodha
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बड़े बड़े प्राइवेट अस्पताल हो, या सरकारी अस्पताल, यह देखा, सुना जाता है,
कि… अधिकांशतः धनाढ्य एवं उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं के नोर्मल डिलिवरी बहुत कम,
ज्यादातर जटिल सिज़ेरियन आपरेशन होते हैं|
दूसरी तरफ गरीब, आर्थिक कमजोर परिवार,
इधर लेबरपेन हुआ, और कुछ समय में पुत्र-पुत्री की बधाइयां, मधुर किलकारियों के साथ ….
यह सही कहा जाता है, कि-
‘शिशु प्रजनन समय, जच्चा को ईश्वर एक तरह से दूसरा जन्म देते हैं’…
गर्भ में शिशु के विकास एवं जच्चा बच्चा के अच्छे स्वास्थ्य एवं सुरक्षा हेतु अच्छे खानपान,
हल्के शारिरिक श्रम के साथ
आजकल कइयों तरह के टीके लगाना जरुरी है, जो नोर्मल और सस्ते ही होते हैं ….
पर देखा यह जाता है, प्राइवेट एवं सरकारी डाक्टर उस गर्भस्थ स्त्री को प्रथम चिकित्सिक जांच से ही,
अपने महंगे ट्रीटमेंट का और बच्चे की स्थिति गर्भ में कमजोर एवं सही नहीं है…
ऐसी मानसिकता का निर्माण कर
उस गर्भस्थ माता को मानसिक तनाव देने का पाप तो करते ही हैं,
उसपर कइयों तरह के डाइग्नोसिस की सलाह दे, ठगी का खेल शुरु कर देते हैं,
जो, उन्हें लेबर पेन से करीब तीन चार दिनों तो कहीं सप्ताह भर पहले ही,
अपने अस्पताल एवं डिस्पेंसरी में उनके बेड/रुमचार्ज के साथ भर्ती कर,
महंगी जांचों, कीमती दवाइयों,
सीजेरियन आपरेशन के नाम हजारों रुपयों का कीट …
और, फिर बिना जरुरत ही पेट को चीरफाड़ कर बच्चे की पैदाइश करना,
उस बच्चे को विशेष उपकरण/ विशेष कक्ष में रखने की व्यय वसूली …
जन्मते मासूम का जांच के नाम सुइयों से रक्त निकालने में भी वो कसाई नहीं हिचकते,
वो कसाई, उन मासूम के भी नन्हें हाथों को बींदते हुए, ग्लूकोज की बोतलें चढा देते!
वे जच्चा के उस अनावश्यक आपरेशन में बहे खून की पूर्ति,
उस जच्चा के परिवार से की जाती है, एक हाथ में ग्लूकोज तो दूसरी ओर रक्त पूर्ति।
फिर … बच्चे के जन्म के एक सप्ताह बाद, वो लुटेरे उन जच्चा बच्चा को मुक्ति देते हैं।
सामान्यतया एक सप्ताह से दस दिनों तक उस कैद में रखने बाद,
अंत में भी साइक्लोजी ऐसी बैठा दि जाती है, कि …. वो परिवार, अपने बच्चे की नियमित जांच वहीं उसी स्थान पर करवाते,
और वे परिवार अन्य पहचान वालों को भी उसी डाक्टर, उसी होस्पीटल से ट्रीटमेंट की सलाह और, देते देखे पाये जाते हैं।
यह आजकल के डाक्टर रुपी कसाई का यही ऐसा रुप, पैसे बनाने के लिए ऐसे नीच कृत्य …
यह सही है, कि सभी डाक्टर अमानवीय नहीं,
खूब अच्छे डाक्टरों कारण आज भी उन डाक्टरों का वही सम्मान …
पर, काफी हद तक अधिकांशतः यही चल रहा है, कहीं लूट कम है, कहीं ज्यादा ….
यह लूट भी उस अस्पताल की छवि, डाक्टर की प्रसिद्धि पर निर्भर…
हाँ आज भी भले, मानव सेवा वाले डाक्टर खूब मिल जाएंगे,
और ऐसे भी डाक्टर खूब है,
जो वाजिब फीस और सस्ते ट्रीटमेंट के रुप में आमजन को राहत देते हैं,
वे थोड़ी सी फीस के बदले, पीड़ित की काफी दूसरी मदद भी कर देते देखे जाते हैं।
वो इलाज के लिए शहरों में आए,
उन ग्रामीण नागरिकों के लिए एक ईश्वरीय दूत जैसे राहत देते है|
इन अस्पताल मालिकों की पहुंच इतनी ऊंची होती है कि कोई इनके सामने कुछ नहीं कर सकता|

1 thought on “बच्चों का सिज़ेरियन जन्म, चिकित्सा क्षेत्र में लूट का अमानवीय फंडा ?”

  1. भाई आपके आलेख से मैं ही नहीं बल्कि हरेक समझदार,व बुद्धीजीवी वर्ग पूरी तरह सहमत हैं। लेकिन जब सरकार ही ऐसे मामलों को नजर अंदाज कर बैठी रहे तब बेचारी जनता तो करे भी तो कया। डाक्टर और दवाविक्रेता व कमपनियों की ऐसी तिकड़ी बन गई है कि सरकारी अफसर भी मलाई बटोर रहे हैं महंगी दवा मरीज और परिवार वालों को और मारे जा रही है। आप क्या मानते हैं कि, सरकार को सब कुछ पता नहीं है ? हर जगह आम जनता ही पिस रही है।.सस्ती दवा लिखने के निर्देश केवल कागजों में ही है। कोई बिरला ही डाक्टर लिखे बरना कोई सुनता ही कहाँ है, किसी की. जैसे कोई देखने वाला रहा ही नहीं।चूँकि, लूट में सभी हिस्सेदार जो बन गये हैं।आपको लेख के लिये बहुत बधाई।

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