लेकिन राजनीतिज्ञों की यहाँ सोच ही उलटी है। वे सोचते हैं कि ऐसा करने से उनकी साख गिर जायेगी , उनका वोट बैंक समाप्त हो जायेगा।
अरे धर्म और आस्था के कार्यक्रम को तो राजनीति से परे रखकर सोचो। ऐसा आरोप मोदीजी पर लगा है , पर मोदीजी ने अपने भाषण में कहीं कोई राजनीतिक बात नहीं कही सिवाय नाम लिए बगैर पाकिस्तान को चेताने के।समक्ष विपक्ष की एक ही चिन्ता थी कि दशहरे पर मोदीजी लखनऊ क्यों आ रहे हैं वे दशहरा दिल्ली में क्यों नहीं मना रहे ?
अब मोदीजी अखिलेश यादव या मायावती जी से तो पूछकर अपना कार्यक्रम तय नहीं करेंगे।एक रामलीला कमेटी के निमंत्रण को स्वीकार करने पर ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में इतना हड़कंप मचा है तो क्या यह समझा जाये कि इन राजनीतिक पार्टियों की जड़ें उत्तरप्रदेश में इतनी खोखली हो गयीं हैं कि मोदीजी के रावण दहन से उनमें भी आग लग जायेगी।
लखनऊ में मोदीजी का विरोध करके राजनीतिक पार्टियों ने अपने अन्दर पल रहे रावण को ही उजागर किया है।
जयहिन्द।
राजेंद्र सिंह हीरा
अजमेर।