कार्तिक महीने की अमावस्या को ही क्यों मनायी जाती है दिवाली?—- दिलचस्प जानकारियां— भाग 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
माता काली का जन्म:– बहुत समय पहले एक राक्षस था जिसने लड़ाई में सभी देवताओं को पराजित किया और सारी पृथ्वी और स्वर्ग को अपने अधिकार में ले लिया। तब माँ काली ने देवताओं, स्वर्ग और पृथ्वी को बचाने के उद्देश्य से देवी दुर्गा के माथे से जन्म लिया था। राक्षसों की हत्या के बाद उन्होंने अपना नियंत्रण खो दिया और जो भी उनके सामने आया उन्होंने हर किसी की हत्या करनी शुरू कर दी। अंत में माता काली को उनके रास्ते में भगवान शिव के हस्तक्षेप द्वारा रोका गया। देश के कुछ भागों में, उस पल को यादगार बनाने के लिए उसी समय से ही यह दिवाली पर देवी काली की पूजा करके मनाया जाता है।

विक्रमादित्य का राज्याभिषेक:- राजा विक्रमादित्य का इसी दिन राज्यभिषेक हुआ था तबसे लोगों ने दिवाली को ऐतिहासिक रुप से मनाना शुरु कर दिया।

बौद्ध धर्म में दीवाली :–बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के समर्थकों एवं अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में उनके लाखों अनुयायीयों नेदीप जलाकर दीपावली मनाई थी।
जैन धर्म में दीवाली :–दीपोत्सव का वर्णन प्राचीन जैन ग्रंथों में मिलता है । कल्पसूत्र में कहा गया है कि महावीर-निर्वाण के साथ जो अंतरज्योति सदा के लिए बुझ गई है, आओ हम उसकी क्षतिपूर्ति के लिए बहिर्ज्योति के प्रतीक दीप जलाएं। 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामीजी को इस दिन बिहार के पावापुरी मै निर्वाण की प्राप्ति हुई थी जिसके उपलक्ष्य में जैनियों में यह दिन दीवाली के रूप में मनाया जाता है। महावीर-निर्वाण संवत् इसके दूसरे दिन से शुरू होता है इसलिए अनेक प्रांतों में इसे वर्ष के आरंभ की शुरुआत मानते हैं।

प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग

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