तर्क संगत बईमानी

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
एक सज्जन टेªन से जब नजदीक के षहर के लिए षासकीय यात्रा पर रवाना हुए तो मेल में सौ किलो मीटर के सफर के लिए न तो तुरन्त आरक्षण मिला और न ही साधारण डब्बे में घूसना संभव था । जब मजबूरन आरक्षित बोगी में धुसेे तो सामने टीटी को देखकर होष उड़ने लगे। टीटीने आते ही एक कच्चेे कागज पर जोड़कर दो सौ इक्यावन रुपए बना डालें। जो देना संभव नही था। हाथ पांव जोड़ कर सौदेबाजी कर निवेदन किया तो पचास रुपए में तोेड़ी हुई। जब रसीद मांगी गई तो टीटी बोले- क्यों । यात्री बोला- रेलवे का भला होगा । तो टीटी तर्क देने लगे आफिस में ठेकेदार हजार पॉच सौ रुपये देेेेेेेेेेेेेेेेेेता है। क्या उसको रसीद देेते हो। क्या उस पर इंकम टेक्स देते हो। उत्तर मिला नहीं । टीटी -बोले फिर हमसे किस बात की रसीद की उम्मीद करते हो और रसीद चाहिए ही तो फिर दो सौ इक्यावन रुपए लगेंगे । षेष दो सौ एक रुपए और लाओ तो बाबूजी हाथ जोड़ कर कहने लगे पचास रुपए सादर रख लीजिए। इसी में दोनों का भला है। हमारे देष में राष्ट्र हित के पहले स्वहित माना जाता है ।
एक पेषेन्ट जो एक दिन पहले भी बाहर गॉव से डाक्टर को दिखाने आया था । आज फिर से डाक्टर को फीस नहीं देना चाहता था । इस पर डाक्टर ने उसकी जेब से टिकिट निकाल कर बोला – कल बस वाले को किराया दिया था , तो आज क्यों दिया । यदि उसे रोज रोेज देते हो, तो मुझे रोज रोेेज फीस देने में क्यों सोचते हो । उसकी इस तर्क संगत बेईमानी के आगे मूक गरीब पेषेंट ने चुप्पी साधतेे हुए दूसरे दिन भी सौ रुपऐ मजबूरन हाथ में थमा दिए ।
एक स्टेनो मेडम को छोटे पत्र ही टाईप करना होते हैं। जो उसे 27 इंची रोलरवाले टाईपराईटर पर टाईप करने पड़ते थे। बेचारी ने मॉग की कि स्टेनो को 15 इंची रोलर वाला छोटा टाईपराईटर ,जिसकी उसको पात्रता है, उपलब्ध कराया जावे । इस पर अधिकारी बोले – जब बड़े छेद में से बड़ी बिल्ली निकल सकती है, तो छोटी भी निकल सकती है । ठीक इसी तरह 27 इंची रोलर पर बड़ा पत्र टाईप हो सकता है, तो इसमें छोटा पत्र भी टाईप हो सकता है । दूसरे दिन ट्रक में विभाग का सामान साहब ने रखवाने के बाद अपनी जीप ड्रायव्हर से लगाने का बोला। इसी बीच यूनियन लीडर आधमके बोले-सर जब ट्रक में सामान के साथ चपरासी,बाबू, छोटे साहब जा सकते है, तो बडे साहब भी जा सकते हैं फिर अलग से जीप किस लिए । साहब बोले – अधिकारी को उसके ओहदे के अनुसार वाहन की पात्रता है । नेेताजी बोले – छोटा टाईपरायटर के बजाए बड़ा टाईपराईटर वापरने का तर्क आपका ही था सर । उसी तरह मैं भी तर्क पूर्ण बात कर रहा हूूॅ । साहब को समझ आ गई और उन्होने अपनी स्टेनो के लिए प्राक्कन स्वीकृत करा कर 15इंची टाईपराईटर उपलब्ध करा दिया।
ट्रांसफर के लिए कई वर्षो से दौड़ रहे एक आवेदक कोे बाबू ने तर्क ंदिया । अभी तक आप बड़े आफिसों के चक्कर लगाकर हजारों रुपए खर्च कर चुके हो। कार्यालय जाने के लिए प्रति दिन अप डाउन पर हजारों रुपए खर्च कर रहे हैं। आए दिन आरक्षण के डब्बे में बैैठने पर टीसी सौ- दो सौ रुपए बिना रसीद रखवा लेते है। आज बिना रसीद दस हजार देकर लाखों रुपए आगामी वर्षो में व्यय होने सेे बचाऐं और बिचोलिये बाबू का युक्तियुक्त प्रस्ताव खुषी से मान लिया गया और आपसी सामंजस्य से सब सुखी हुए ।
कुछ लोगों का तो यहॉ तक मानना है कि भ्रष्टाचार से कार्य में बाधा नहीं आती वरन प्रगति होती है। इसे अपनाने वाले को न लाईन में लगना पड़ता है और न ही उसके कार्य रुकते हैं,वरन टाईम भी बचता है। टाईम इज मनी थोड़ा पैसा खर्च कर ज्यादा टाईम बचा सकते हैं।

( हेमंत उपाध्याय )
साहित्य कुटीर, ब्राह्मणपुरी ,खण्डवा…
9425086246 9424949839

error: Content is protected !!