कार्तिक महीने की अमावस्या को ही क्यों मनायी जाती है दिवाली?—- दिलचस्प 4

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
अन्य गाथाएं:— जानकारियां— भागईसा पूर्व चौथी शताब्दी में रचित कौटिल्य अर्थशास्त्र के अनुसार कार्तिक अमावस्या के अवसर पर मंदिरों और घाटों (नदी के किनारे) पर बड़े पैमाने पर दीप जलाए जाते थे।
इतिहास के शोधकर्ताओं के अनुसार 500 ईसा वर्ष पूर्व मोहनजोदड़ो सभ्यता में खुदाई के दौरन मिट्टी की एक मूर्ति में देवी के दोनों हाथों में दीप जलते दिखाई देते हैं। जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त भी दीपावली का पर्व मनाया जाता था।
पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय ‘ओम’ कहते हुए समाधि ले ली।
मुगल काल में दीवाली:—
दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में दौलतखाने के सामने 40 गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाश दीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहाँगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे। मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर दीपावली को त्योहार के रूप में मनाते थे और वे इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते थे। शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लाल किले में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे।
दिवाली धार्मिक पर्व के साथ विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाने, खुशी, अंधकार को मिटा कर प्रकाश स्थापित करने का पर्व है जो पूरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों पर मनाया जाता है |
प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के गर्ग

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