यूँ पाये छुटकारा टेंशन से ?——भाग-1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
तनाव से बचने एवं तनाव पर नियन्त्रण रखने के प्रभावी और अचूक तरीके:——
रिलेक्सेशन एवं ध्यान (Meditation):——
शरीर को ढीला छोड़ने से शारीरिक तनाव दूर होता है इसलिए जब भी आप स्वयं को मानसिक या शारीरिक तनाव मे देखें, तुरंत शांत भाव से धैय्रपूर्वक बैठ जायें | मन को शांत कर कुछ समय तक ध्यान मुद्रा (Meditation) में बैठ जायें, मेडीटेशन करें, शांत भाव से कुछ समय तक अपनी आती-जाती स्वांस का अनुभव करें, अपने अंतर्मन में शांति, आनंद और खुशी का अनुभव विकसित करते चले जायें | धीमे-धीमे आप अपने आप को तनाव मुक्त्त पायेगें | स्वयं के प्रति सकारात्मकता का नजरिया अपनाएं, नकारात्मकता से खुद को कोसों दूर रक्खें |
अपने उपर हालात को हावी नहीं होने दें:—–
दुःख दायी बातों एवं घटनाओं को सहजता से स्वीकार करने की मानसिकता को अपने मन में विकसित करें | याद रक्खें जीवन में अनुकूल-प्रतिकूल परीस्थितियां तो आती-जाती ही हैं | जैसे मोसम बदलते रहते हैं वैसे ही परीस्थितियां भी बदलती रहती है, आप प्रक्रति के परिवर्तनमूलक स्वभाव को आत्मसात कर उसे मन से स्वीकार करें | हमेशा याद रक्खें कि जहाँ एक तरफ परीस्थतियों का विपरीत होना “ पार्ट ऑफ़ लाइफ है वहीं दूसरी तरफ परीस्थितियों को खुद पर हावी नहीं होने देना “आर्ट ऑफ़ लाइफ” है |जिन बातों से आपको तनाव होता है उनसे दूर रहें, यथा अगर आप राजनितीक विवाद या धार्मिक कर्म-कांडों से व्यथित हो जाते हैं तो इन पर विवाद ही नहीं करें | अगर कोइ समाचार या नाटक (सिरीयल ) आपको विचलित करता है तो अपना टी.वी. बंद कर दें | अगर बाहर जाते समय जाम हो जाये तो अपने आप पर झुझलायें नहीं वरन किसी अन्य मार्ग ( चाहे वो लम्बा ही क्यों ना हो ) से अपने गन्तव्य स्थान पर पहुचं जाएँ |
आपका अधिकारी आप को ऐसा काम करने को कहे जो आप करना नहीं चाहते या नहीं कर सकते तो उस वक्त साफ-साफ शब्दों में “ ना “ कह दें | अपनी भावनाओं/ विचारों को मन में रखकर मन ही मन में कुढ़ने के बजाय अपनी भावना सामने वाले को स्पष्ट शब्धों में बता दें | अगर किसी दोस्त, रिस्तेदार एवं परिचित का साथ आपके भीतर तनाव पैदा करता है तो अविलम्ब ऐसे व्यक्तिओं से दूर चलें जायें, उनसे निकटता नहीं बनाएं | अपने आपको समय और परीस्थिती के अनुसार बदले, समझोतावादी सोच अपनाये, दूसरों के विचारों का भी सम्मान करें | अपने आपको व्यस्त रक्खें—निकम्में नहीं बैठें—मस्त रहें :——–
ख़ाली बैठा हुआ आदमी उल्टा-सुलटा ही सोचता रहता है | परिणामत: हमारे यही अनर्गल विचार हमारे तनाव के कारण बन जाते हैं | इनसे बचने का एक ही रास्ता है अपने आप को हमेशा व्यस्त रखना | अपने आप को व्यस्त रखने हेतु सत्साहित्य पढ़े, ज्ञान अर्जन करें, रोज कुछ ना कुछ नया सीखें, समाज-सेवा करें, अपंगो-असहाय की मदद करें, लेखन करें, कोई न कोई हॉबी अपनाएँ, मित्रों से स्वस्थ और लाभदायक वार्तालाप करें आदि-आदि | निश्चय ही, खुद को व्यस्त रखना दुखों एवं तनावों से छुटकारा पाने का सीधा-साधा और सरल तरीका है | याद रक्खें कि निक्कमापन भी तनाव उत्त्पन्न करने का एक प्रमुख कारण है |
डा.जे,के.गर्ग
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