खुशहाल जिन्दगी जीने के लिये कड़वी सच्चाइयों का सामना करना सीखें

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
अपनी जिंदगी को अशांत, दुखी एवम् अस्त-व्यस्त बना डालने का प्रमुख कारण हैं कुछ कड़वे सच को जानबुझ कर भूल जाना या उनकी अनदेखी करना इसलिये जरूरत इस बात की है कि जीवन में सच्चाईयों का सामना करते हुए जिंदगी के हर क्षण को प्रसन्नतापूर्वक जीयें | स्मरण रक्खें कि जैसा जीवन आप स्वयं के लिये तय करेंगे उसी में अपनी पूरी जिंदगी गुज़ारेंगे। निसंदेह खुद के जीवन को प्रसन्नतापूर्वक बनाने के लिये आप कडवी सच्चाईयों से कभी भी मुहं नहीं मोड़े ।
असफलता हाथ लग रही है तो निराश नहीं हों किन्तु यह मान कर चलें कि कि आपको अपने लिये कोई बड़ी सफलता हाथ लगने वाली है, जिस प्रकार अंधकारमयी अम्मावस के बाद पूर्णिमा की रोशनी आती ही है इसीतरह सफलता से पहले कुछ विफलताएं हाथ लगती ही हैं और ऐसे में निराश या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
हर वक्त अपने आपको व्यस्त रखने का तात्पर्य यह नहीं कि आप कोई रचनात्मक अथवा प्रोडक्टिव काम कर रहे हैं। बहुत बार हम किसी भी काम के बिना भी व्यस्त रह सकते हैं।
जो आप सोचते उसे क्रियान्वित करना बहुत जरूरी है क्योंकि सोचना और कुछ करना दोनों बातें बिल्कुल अलग होती हैं। जो सोच रहे हैं अगर आप उसे हकीकत की शक्ल नहीं दे रहे हैं तो ऐसी सोच का कोई मतलब नहीं है।
आपको अगर किसी परिचित अथवा अपरिचित ने नुकसान पहुंचाया है या आपको दर्द दिया है तो उसे दिल से माफ करें और आगे बढ़ जाएं। उसे माफ़ करने के लिये इस बात का इंतजार नहीं करें कि उसने आप से माफी मागीं है अथवा नहीं |
जीवन में जाने-अनजाने में उन लोगों से सम्पर्क, मुलाकात अथवा जान पहिचान हो जाती हैं जिनकी सोच नकारात्मक,ईर्ष्यालु एवम् दुर्षित होती है, ऐसे लोगों से जितना जल्दी हो उतना जल्दी पीछा छुड़ायें ।
आप जैसे हैं उसी रूप में अपने आपको स्वीकार एवं पसंद करें तथा खुद का ध्यान रक्खें | अपने आपको प्यार एवं पसंद करें। जरूरत पड़ने पर अपने आपको बिना किसी शर्त के क्षमा अथवा माफ़ करें | जीवन में सबसे जरूरी है कि आप खुद को पसंद करें। खुद का ध्यान रखें।
समाज में आपकी पहिचान आपके कार्यों एवं शख्सियत से होती है ना कि आपके पास उपलब्ध आपकी वस्तुओं या सामग्री से |
यदि आप सही तरह से अपना काम कर रहे हैं तो आपकी कर्तव्य निष्ठा ही आध्यात्मिकता है और सही मायनें में अपने धर्म का निर्वाह कर रहें हैं ।
कई लोगों के लिए कार्य क्षेत्र, युद्धक्षेत्र के समान रहता है। जहां वे सफलता अर्जित करने के लिये खुद से और दूसरों से लड़ते रहते हैं।
सहकर्मी कुछ मित्र बन जाते हैं, कुछ शत्रु । कुछ बार-बार दल बदल लेते हैं। कार्यालयों में जैसे विभिन्न मोर्चों पर लड़ाई चलती रहती है। फिर वह बाबू हो या बॉस। कई बार लड़ाई खुद के भीतर होती है, जो परफॉर्म करने के लिए होती है।
जीवन में स्थितयों मै प्रति क्षण परिवर्तन होता है या यों कहें कि हर पल हर चीज़ बदली है। कोई भी चीज़ सदैव के लिए नहीं है। पूर्णिमा की चांदनी के कुछ समय बात अमावस्या की अंधेरी रात आयेगी ही | इसलिए अपने अच्छे समय पर इतरायें नहीं |
प्रस्तुती—डा. जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने,विभिन्न पत्रिकायें आदि
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