निसंदेहशिव सर्व समाज के सर्वमान्य देवता हैं |शिवरात्रि व्रत मनाने का अधिकार ब्राह्मण से लेकरचंडाल तक सभी को है| भोले बाबा के लिए सब एक समान हैं | भगवान शिव महायोगी भी कहलाते हैं, उन्होंने योग साधना के द्वारा अपने जीवन को पवित्रकिया है, वे असीमित गुणों के अक्षय भंडार हैं |शिवजी के परिवार में जब बिच्छू, बैल और सिंह, मयूर एवं सर्प, सर्प और चूहा जैसे घोर विरोधी स्वभाव के प्राणी भी प्रेमपूर्वक साथसाथ प्रेमपूर्वक रहते हैं तो क्यों नहीं हम हमारे समाज एवं देश में बिना किसी भेदभाव के गिरे हुओं को, पिछड़े हुओं को , विभिन्न धर्मों के अनुयायीयो को साथलेकर चल सकते हैं ?
प्रस्तुतिकरण—डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ——– विभिन्न पत्र पत्रिकायें, शिव भक्तों से प्राप्त जानकारियां एवं मेरी डायरी के पन्ने आदि