गॉधी जयंति की छूट

हेमंत उपाध्याय
गॉधी जयंति का अवकाष, रवीवार का अवकाष, व एक स्थानीय अवकाष मिलाकर तीन दिन की छूट्टी कल से लगने वाली थी। हम गॉधी भवन तरफ घुमने निकले वहॉ की एक स्टाल पर लिखा था गॉधी जयंति पर 20 प्रतिषत की छूट ।एक बोर्ड लगा था ‘‘ चार दिन के लिए कामगार की जरुरत है। दोस्त ने काम करने की इच्छा जाहिर की दुकानदार ने उसे तुरन्त काम पर रख लिया व चार दिन की मजदूरी भी देने का वादा किया।
चार दिन बाद दोस्त को उदास देखकर मैने पूछा- क्या चार दिन काम करा लिया मजदूरी नहीं दी। दोस्तष्बोला – काम तो उसने साडे तीन दिन ही कराया पर मजदूरी पूरे चार दिन की दी।
मैंने कहा-हुआ क्या है। दोस्त ने कहा- पहले आधे दिन दुकान पर जाते से ही उसने मुझे हर खादी के सामान की पुरानी स्लीप निकालने व उसके बदले 25 प्रतिषत बढ़ा कर नए भाव की स्लीप लगाने का काम दिया। उसके बाद ग्राहक को हर सामान की बाढ.ाचढा़ कर तारीफ करना व स्लीप की कीमत बताने के बाद उससे 20 प्रतिषत छूट काट कर कीमत बताना। हर कपड़े पर 20 प्रतिषत की छूट की लालच में उसका सारा माल बिक गया।
हस्तकरघा व खादी का सामान होने से उसको न तो दुकान का किराया देना पड़ा और न ही बिजली बिल । सब सरकार ने अपनी ओर से व्यवस्था की थी । बाद में यह भी पता चला कि सामान उसने स्थानीय बाजार से ही खरीदा था और माल बिकने के बाद थोक भाव से भुगतान करने व सरकारी अधिकारियों को कमीषन देने के बाद भी वो अच्छा खासा कमा कर ले गया सिर्फ दुकान का फलेक्स का बोर्ड उसका था जो उसने थैली में रख लिया व अपने प्रदेष को रवाना हो गया।
मेरी उदासी का कारण यह है कि मेरा विष्वास गॉधीजी पर तो आज भी है पर गॉधी जी के नाम से दूकान व सरकार चालाने वालों व छूट की लालच देकर धंध करने वालों पर से उठ गया है ।

हेमंत उपाध्याय साहित्य कुटीर, गणगौर साधना केन्द्र , पं रामनारायण उपाध्याय वार्ड 43 खण्डवा मप्र 450001
lekhakhemant17@gmail.com gangourknw@gmail.com

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