मजबूत इच्छा शक्ति की जीत का पर्व होली Part B

अन्याय पर न्याय, कटुता पर मधुरता, झूठ फरेब पर सद्दभावना और मजबूत इच्छा शक्ति की जीत का पर्व होली Part B

डा. जे.के.गर्ग
होलीका दहन का वैज्ञानिक महत्व भी अनूठा है क्योंकि होलिका दहन के समय उत्त्पन वातावरण हमारे लिये सुरक्षा कवच का काम भी करता है | सर्दी के मोसम में कई तरह के वायरस और बैक्ट्रिया वातावरण में रहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिये हानि कारक होते हैं | पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर होलिका दहन की प्रक्रिया से वातावरण का तापमान 145 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक तक बढ़ जाता है जो बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक कीटों को नष्ट करने में प्रभावी भूमिका निभाता है। होलिकादहन के वक्त सभी नर नारी घेरा बना कर जलती हुयी होली को देखते हैं,जहाँ गर्मी की वजह से तापक्रम 145 डिग्री फेरनाइट से ज्यादा हो जाता है जिससे वातावरण के सारे वायरस और बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं | होलिकादहन के बाद लोग वहां की राख जिसे विभूति कहते हैं को चन्दन और आम के पत्तों के साथ मिला कर अपने मस्तष्क पर लगा कर उसका लेप करते हैं |

होली के जलते हुए कोयलों पर गेहूँ की बालियों को भुन कर नई फसल के लिये परमात्मा को धन्यवाद देते हुये पापड़ खीचें भी भुन कर खाते हैं | नई फसल के आजाने से किसानों सहित जनमानस के चहेरे पर खुशी और उल्लास लाती है

होली के पर्व का सामाजिक पहलू भी है क्योंकि होली परिवार, आस-पडोस,समाज, विभिन्न समुदाय और वर्ग को स्नेह-सोहार्द के अटूट बंधन में बांधता है और उनके बीच में पनपे अविश्वास, शंका, विवादों को मिटाकर पारस्परिक रिस्तों को फेवीकोल के जोड़ जैसा मजबूत बनाता है ।

निसंदेह झू फरेफ़, ईर्ष्या, लालच और मदान्धताका दानव आज भी हमारे वह आपके अंतस्थल में जिंदा है | इन सभी बुराईयों को हमेशां के लिए नष्ट करने के लिए सर्वप्रथम हमें खुद सच्चाई, सोहार्द, स्नेह के सन्मार्ग पर चल कर अपने बच्चों तथा युवाओं के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना होगा तथा अपने बच्चोंमें अच्छी शिक्षा, अच्छे संस्कारों को प्रतिस्थापित करना होगा |
तो क्या हम और आप अपने अंतर्मन और सच्चे दिल से तैयार हैं इस होलिका दहन पर अपनी बुराईयों को जला डालने का संकल्प लेने के लिए? यह सही है कि ऐसा हमआप ऐसा एक दिन में नहीं कर सकते हैं, परन्तु ऐसे पवित्र संकल्प को धारण करना भी महत्वपूर्णहोगा, हो सकता है हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति में शत-प्रतिशत सफल नहीं हो पाएं और हमें शीघ्र सफलता भी नहीं मिले किन्तु हम सभी को सतत प्रयास तो करना ही होगा |

Dr. J. K.Garg,
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