भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस : डॉक्टर्स डे

डा. जे. के.गर्ग
माँ हमारे जीवन की वो सबसे पहली डॉक्टर है जो जीवन भर हमारी देखभाल करती है | ईश्वर सबके जीवन की रक्षा खुद से नही कर पाते इसलिए इस धरती पर अपने दूत के रूप में डॉक्टर को भेज दिया। बीमारी से लड़ने की ताकत एक डॉक्टर ही हमे देता है। वो इन्सान डॉक्टर ही होता है जो रोते हुए आये मरीज को हँसाते हुए भेजता है। जीवन जीना एक कला है जिन्हें जीने के लिए माँ बाप के बाद एक डॉक्टर की ही सलाह की जरूरत पड़ती है। आधी से अधिक बीमारी तो डॉक्टर के सांत्वना से ही ठीक हो जाती है निसंदेह डॉक्टर इस संसार के वास्तविक हीरो होते है जो हमारे जीवन की रक्षा करते है।

डा. जे.के.गर्ग
माता पिता के बाद हमारे जीवन और स्वास्थ्य की देखभाल डॉक्टर ही करते है। एक डॉक्टर अपने मरीज के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहता है। वहीं उत्तम श्रेणी का डॉक्टर मरीज की बीमारी इलाज करने से पहिले उसके मन का इलाज करते है एवं उसे उसके उत्तम स्वास्थ्य के लिये लाभदायक सलाह मशवीरा भी देते है क्योंकि वो जानते है कि स्वास्थ्य लाभ में दवाई के साथ मरीज मे ठीक होने का आत्म विश्वास भी जरुरी होता है | हमें जीवन से प्यार करना भी डॉक्टर ही सीखाते है। सच्चाई मे डॉक्टर को कभी भी मरीज की जाति या धर्म और अमीरी गरीबी से मतलब नही होता उसके लिए सभी मरीज एक समान होते है। “बड़ी से बड़ी बीमारी को डॉक्टर अपने सुझबुझ से मरीज के सामने उस बीमारी को छोटा बनाकर अपने इलाज से उस बीमारी को खत्म कर देते है। अच्छा डॉक्टर हमे दवा का आदी नही बनाता बल्कि दवा से कैसे दूर रहे उसकी सलाह ज्यादा देता है। याद रखिये कि बीमारी के इलाज से पहिले मरीज के दिल के पहिले यह विश्वास जरूरी है कि मेरी बीमारी असाध्य नहीं है और में उपचार के साथ अपनी दिनचर्या और सोच में जरूरी बदलाव लाकर स्वस्थ हो जा हूँगा | निसंदेह जब हम अपने सारी उम्मीदें खो देते है तब हमारे जीवन में स्वास्थ्य लाने के लिए और वहाँ हमारा साथ देने के लिए केवल डॉक्टर के पास ही उस जीवन के इलाज के लिए जादुई शक्ति होती है। एक डॉक्टर की मुस्कराहट उसके दवाओ से कही ज्यादा असरदार होती है।

डॉक्टर्स की समाज के प्रति अमूल्य सेवा एवं योगदान के बारे में जनसाधारण को जागरुक करने के लिये प्रति वर्ष भारत में 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (डाक्टर्स डे) मनाया जाता है | भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चन्द्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिये 1 जुलाई को उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर इसे मनाया जाता है । 4 फरवरी 1961 में उन्हें भारत रत्नसे सम्मानित किया गया था। डॉ.बी.सी.रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। डा.रॉय ने 1911 में एक चिकित्सक के रुप में अपने चिकित्सा जीवन प्रारम्भ किया था। वोएक प्रसिद्ध चिकित्सक तथा प्रख्यात शिक्षाविद् होने के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी भी थे | महात्मा गांधी के सम्पर्क में आने के बाद वे भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के नेता बने और उसके बाद पश्चिमबंगाल के मुख्य मंत्री बने। इस दुनिया में अपनी महान सेवा देने के बाद 80 वर्ष की आयु में 1962 में अपने जन्मदिवस के दिन ही उनकी मृत्यु हो गयी। उनके सम्मान में वर्ष 1976 में उनकेनाम पर डॉ.बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रारम्भ किया गया।
संपूर्णं डॉक्टरों के सम्मान के दिन के रुप में डाक्टर्स डे को मनाया जाता है | डाक्टर्स डे पर जनमानस अपने डाक्टर को ह्रदय से धन्यवाद अर्पित करते हुए उनके प्रति सम्मान प्रकट करतेहैं | डाक्टर्स डे पर चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न पहलूओं के बारे गोष्टी,सेमीनार आयोजित किये जाते हैं | स्वास्थ्य देख-भाल संस्थानों के द्वारा सार्वजनिक जगहों और कई स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्तचिकित्सीय परीक्षण कैंप लगाए जाते हैं। समर्पित मेडिकल पेशे की ओर ज्यादा युवा विद्यार्थियों को बढ़ावा देने के लिये स्कूल और कॉलेज स्तर पर कुछ गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती है।मेल के द्वारा ग्रीटिंग संदेश, उन्हें फूलों का गुच्छा या बुके देकर, इ-कार्ड, सराहना कार्ड, अभिवादन कार्ड वितरण करने के द्वारा 1 जुलाई को मरीज अपने डॉक्टर का अभिवादन करते है।
पिछले कुछ समय से डाक्टर्स को मरीज़ों के सम्बन्धियों के क्रोध का सामना करना पड़ रहा है और यदा कदा वो डाक्टर्स से मारपीट भी करते हैं जिससे उनमें असुरक्षा की भावना पनप रही है |वहीं कुछ डाक्टर्स धन कमाने को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं | डॉक्टर्स डे के दिन डॉक्टरों को भी आत्म चिन्तन करते हुए अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझना होगा | डाक्टर्स को चिकित्साको मात्र पैसा कमाने का साधन नहीं मान कर उसकी जगह इसे मानवीय सेवा का अवसर बनाना चाहिये |

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