कामिका एकादशी आज

व्रत रख कर सुनें कथा, होंगी मनोकामनाएं पूर्ण
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आज यानी 28 जुलाई को कामिका एकादशी है। सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत पूजन किया जाता है। कामिका एकादशी के दिन पीले रंग का काफी बड़ा महत्व बताया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पीले फल-फूल से की जाती है।
सभी एकादशी व्रतों में से कामिका एकादशी को भगवान विष्णु का उत्तम व्रत माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव के पावन महीने श्रावण में आता है। कामिका एकादशी का व्रत विधान करके सभी लोग अपने कष्टों से मुक्त हो सकते हैं। यह व्रत रखने से व्यक्ति के मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

कामिका एकादशी का व्रत करते समय बरतें ये सावधानियां
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– कामिका एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
-घर में प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का बिल्कुल भी प्रयोग ना करेंं।
-सुबह और शाम एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही व्रत कथा सुनें।
-एकादशी की पूजा में हर तरीके से परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखेंं।
-कामिका एकादशी पर एक आसन पर बैठकर ? नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बाहर जाप जरूर करेंं।

होगी घर में होगी बरकत-
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-कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा उससे एक दिन पहले दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत नियम को लेकर शुरू हो जाती हैं।
-दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण न करें केवल फलों का ही सेवन करेंं।
-दशमी तिथि की रात को अगर संभव हो तो भगवान विष्णु के ओम नमो नारायणाय आदि मंत्रों का जाप अवश्य करें।
– सुबह सूर्योदय से पहले उठकर अपने स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए. पूजा करते समय साफ कपड़े पहनकर विष्णु भगवान का ध्यान करना चाहिए।
– पूर्व दिशा की तरफ एक पटरे पर पीला रेशमी कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करेंं।
-धूप-दीप जलाएं और कलश स्थापित करेंं।
– भगवान विष्णु को अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि अर्पण करें और स्वयं भी पीले आसन पर बैठ जाएंं।
– अपने दाएं हाथ में जल लेकर घर मे धन धान्य की बरकत के लिए भगवान विष्णु के सामने संकल्प लेंं।
– यदि सम्भव हो तो पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय कामिका एकादशी की व्रत कथा सुनें और फलाहार करेंं।
– शाम के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक जलाएंं।
– अब दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर तथा दक्षिणा देकर उसके बाद स्वयं खाना खाना चाहिएं।

ये महाउपाय करने से मिलेगा मनचाहा वरदान-
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– कामिका एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठे और स्नान करके हलके पीले रंग के कपड़े पहनें।
– 5 सफेद जनेऊ को केसर से रंगे और 5 स्वच्छ पीले फल लेंं।
– तुलसी की माला से पीले आसन पर बैठकर ‘नमो भगवते वासुदेवायÓ मंत्र का तीन माला का जाप करेंं।
– जाप के बाद पांचों जनेऊ और पीले फल भगवान विष्णु के मंदिर में अर्पण कर दें और मन की इच्छा भगवान विष्णु के सामने जरूर कहेंं।
– स्वयं प्रसाद के रूप में एक केला घर पर ले आएं और परिवार के सभी सदस्यों को देंं।

कामिका एकादशी की कथा
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कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन, कृपा करके श्रावण कृष्ण एकादशी का महत्व क्या है, सो बताइए।
श्रीकृष्ण भगवान कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी, वही मैं तुमसे कहता हूँ। नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा था कि हे पितामह! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की मेरी इच्छा है, उसका क्या नाम है? क्या विधि है और उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा करके कहिए।
नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! लोकों के हित के लिए तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो।
जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए। पापरूपी कीचड़ में फँसे हुए और संसाररूपी समुद्र में डूबे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।
हे नारद! स्वयं भगवान ने यही कहा है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं। विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से।
तुलसी दल पूजन का फल चार भार चाँदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। हे नारद! मैं स्वयं भगवान की अतिप्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूँ। तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सब यातनाएँ नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भू्रण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढऩे वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।

कामिका एकादशी : एक अन्य कथा
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प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर जी थे। क्रोधी ठाकुर का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और क्रोध में आकर ठाकुर से ब्राह्मण का खून हो जाता है। अत: अपने अपराध की क्षमा याचना के लिए ब्राह्मण की क्रिया उसे करनी चाहिए परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया और वह ब्रह्म हत्या का दोषी बन गया। परिणामस्वरूप ब्राह्मणों ने भोजन करने से इनकार कर दिया। तब उन्होंने एक मुनि से निवेदन किया कि हे भगवान, मेरा पाप कैसे दूर हो सकता है। इस पर मुनि ने उसे कामिका एकादशी व्रत करने की प्रेरणा दी। ठाकुर ने वैसा ही किया जैसा मुनि ने उसे करने को कहा था, जब रात्रि में भगवान की मूर्ति के पास जब वह शयन कर रहा था तभी उसे स्वपन में प्रभु दर्शन देते हैं और उसके पापों को दूर करके उसे क्षमा दान देते हैं।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076, 7976009175
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