रक्षा बंधन —जन चेतना सामाजिक सद्दभाव और सामाजिक क्रांति का माध्यम

डा. जे.के.गर्ग
महाभारत में भी इस बात का उल्लेख आता है कि एक बार भगवान कृष्ण से युधिष्ठिर ने पूछा कि मैं सभी संकटों का सफलता पूर्वक सामना कर उन संकटों पर किस प्रकार से विजय प्राप्त कर सकता हूँ तब भगवान क्रष्ण ने कहा राखी के रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे पांडव और अपनी हाथ की कलाई पर बन्धवा कर युद्ध में विजय प्राप्त कर सकता है और रेशमी धागा बंधवाने वाला व्यक्तिर जीवन में आने वाली हर आपत्ति से मुक्ति पा सकता हैं।
जब भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्रसे शिशुपालका वध किया तब उनकी तर्जनी अंगुली में चोट आ गई थी तब द्रौपदी ने अविलम्ब अपनी साड़ी फाड़कर भगवान क्रष्ण की उँगली पर पट्टी बाँध दी थी । यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा को घटित हुई थी | उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर वे द्रोपदी के आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतारेंगे । कोरवों की राज्यसभा में दुशासन दुवारा सबके सामने द्रोपदी के चीरहरण के समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा कर अपने वचन को निभाया था। महाभारत के अन्दर ही द्रौपदी द्वारा कृष्ण को एवं कुन्तीद्वारा अपने पोत्र अभिमन्युको राखी बाँधने का उल्लेख भी मिलता हैं।

ऐसा भी कहा जाता है कि यूनान के बादशाह सिकन्दर की पत्नी ने राजा पोरष को राखी बाँधकर अपना मुँह बोला भाई बनाया और युद्ध के समय राजा पोरषसे सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। राजा पोरष ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।
राजपूत जब भी युद्ध करने हेतु युद्ध स्थल पर जाते थे तब राजपूत महिलाएँ अपने पतियों के ललाट पर कुमकुम से तिलक लगाने के साथ साथ उनके हाथ की कलाई पर रेशमी धागा भी बाँधती थी क्योंकि उनका विश्वास था कि रेशम का धागा उनके पति को युद्ध में विजयश्री दिलवायेगा | मुग़ल काल के दौर में जब मुग़ल बादशाह हुमायूँ चितौड़ पर आक्रमण करने बढ़ा तो राणा सांगा की विधवा रानी कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर हुमायूँ से चितौड़ की रक्षा का वचन ले लिया। हुमायूँ ने इसे स्वीकार करके चितौड़ पर आक्रमण का ख़्याल दिल से निकाल दिया और कालांतर में मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज निभाने के लिए चितौड़ की रक्षा हेतु मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए रानी कर्मवती और मेवाड़ राज्य की रक्षा की । अत: सच्चाई तो यही है कि प्राचीन काल में भारत में रक्षाबन्धन का पर्व सिर्फ बहन-भाई तक ही सीमित नहीं था, अपितु भाई अपनी सगी बहिन के अलावा परिवारएवं आसपास के पडोस में रहने वाली सभी छोटी बड़ी बहनों से राखी बंधवा था,यहाँ तक पुरोहित भी अपने जजमान को राखी बांधते थे | भोतिकता एवं एश्वर्यप्रदर्शन के माहोल में पिछले कुछ सालों में घटित निर्लज निर्भया बलात्कार कांड से सारा देश हिल गया था , हजारों नरनारीयों,युवक युवतियों ने देश भर प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया,सरकार ने बलात्कार,अपहरण,योनाचार एवं स्त्री सुरक्षा-अस्मिता हेतु कठोर कानून भी बनाये किन्तु इन सब कोशिशों के बावजूद बलात्कार,अपहरण जैसी नारकीय घटनाओं में कोई कमी नहीं आई वरन ऐसी घटनायें दिन प्रति दिन बढती ही रही | सच्चाई यही है कि ऐसी अमानवीय घटनाओं को कानून,पुलिस या सरकार के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता है| हमारे देश के लिये कलंक बन चुकी इन विभत्स घटनाओं को
रोकने का एक मात्र रास्ता जन जाग्रति,जन अभियान,जन चेतना और सामाजिक चेतना ही है | समाज में व्याप्त नारी की असहजता एवं असुरक्षा को देखते हुए क्या यह तर्क संगत नहीं होगा कि राखी के पावन उत्सव पर बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो वह अपने भाई से यह शपथ और वचन लेकर राखी बांधे कि“भैया,जैसे आप मुझे पवित्र और स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते हैं एवं मेरी रक्षा का संकल्प लेते हैं वैसे ही आप इस राखी को मुझ से बंधवाते समय अपने मन में और मुझसे यह प्रतिज्ञा करो कि आप केवल मेरी ही नहीं किन्तु भारत की प्रत्येक नारी एवं युवती को बहन की तरह निर्मल,पवित्र और स्नेह पूर्णदृष्टि से ही देखोगे तथा हर माता व बहन की लाज एवं अस्मिता की रक्षा भी करोगे।“जब हर बहन अपने भाई से ऐसी ही प्रतिज्ञा करवायेगी तो अवश्य ही वो समय धीमें धीमें ही सही किन्तु आयेगा जरुर जब देश की हर माता-बहनें एवं बेटियां सुरक्षित रहेगीं जिसके फलस्वरूप भविष्य में अपहरण,यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक दुखद घटनायें घटित नहीं
होंगी ।

वर्तमान समय में जब हम समर्द्ध परिवार बुजुर्ग माताओं-पिताओं को अपना शेष जीवन जीने के लिये वृ्द्ध आश्रम जाते हुए देखते हैं तो उस समय हम सभी के दिल में दुःख और विषाद उत्पन्न होता है एवं ह्रदय कराह उठता है| इस समस्या का समाधान करने और माता-पिता के बुढ़ापे को सुखद बनाने हेतु हम रक्षा बंधन के पर्व का बेहतरीन तरीके से उपयोग कर सकते हैं | रक्षा बंधन के दिन प्रत्येक पुत्र-पुत्री, परिवार के सभी अनुज परिजन अपने अपने माता-पिता और अग्रजो की कलाई पर राखी बांध कर यह शपथ लें कि वें अपने माता पिता और परिवार के सभी बड़े-बूढ़े यथा माता-पिता, दादा-दादी,नाना-नानी आदि की सभी तरह से देख भाल करेगें,उनकी समस्त सुख सुविधाओं का ख्याल रखेंगे एवं उनके प्रति हर प्रकार के दायित्वों का निर्वाह निष्ठा पूर्वक करते हुए उनकी सेवा सुश्रुषा करेगें जिससे उनका शेष जीवन निर्विघ्न एवं सुखद बनें| यही शपथ एवं प्रण परिवार के बुजेगों का सुरक्षा कवच बनेगा |
अतः आइये ! इस रक्षाबन्धन के पर्व पर राष्ट्र रक्षा का संकल्प करें।सभी भारतीयों को एक दूसरे से रक्षा सूत्र में बांधे एवं राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र कल्याण हेतु कार्य करने का सकंल्प भी करें| यदि आप इन विचारों से सहमति रखते हैं तो आईये आज ही इसी क्षण से बहन-बेटियां की सुरक्षा और अस्मिता एवं हमारे वर्द्ध माता-पिता के खुशहाल-स्वस्थ जीवन हेतु जन जागरण सामाजिक चेतना अभियान का शुभारम्भ कर इस हेतु प्रकाश दीप जलाकर हमारे समाज में विध्यमान अंधकार-कालिमा को नष्ट करने के यज्ञ को सफल करें| इन भावनाओं को अपने स्तर पर फेसबुक,ट्विटर,सोशल मिडीया,प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम,लोकल चेनल्स,स्वयं सेवी संस्थाओं , स्कूलों,कॉलेजों,धार्मिक आयोजनों,सामाजिक आयोजनों पर प्रचारित और प्रसारित करें| इस संदेश का ऑडियो बनाये,वीडियो बनाकर यूटूयुब पर अपलोड करें,पारस्परिक वार्तालाप करें|स्थानीय प्रशासन से सहयोग लें|राज्य सरकारों से अनुरोध करें कि वे सभी शिक्षण संस्थाओं में परिपत्र भेज कर इस वर्ष 15 अगस्त को मनाये जाने वाले रक्षा बंधन पर्व पर बहिनों दुवारा अपने भाईयों से प्रतिज्ञा पत्र भरवाएं |

प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के. गर्ग

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