याद करें प्रथम स्वतन्त्रता दिवस की कुछ भूली बिसरी घटनाओं को

डा.जे.के.गर्ग
हम सभी जानते हैं कि हमारे देश के स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने किया था | जब तय हो गया कि भारत 15 अगस्त को आज़ाद होगा तो जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र भेजा | इस ख़त में लिखा था, “ बापू 15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा | आप राष्ट्रपिता हैं | आपसे प्राथना है कि आप इसमें शामिल हो कर हम सबको अपना आशीर्वाद दें | गांधीजी ने इस पत्र का जवाब भिजवाया, “जब कलकत्ते में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे की जान ले रहे हैं, ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे सोच सकता हूँ और कैसे आ सकता हूं ? मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा.”
अत: हम सब को यह जान कर हमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि जब देश को 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी मिली तो बापूजी खुद आजादी के जश्न में शामिल नहीं हुए थे क्योंकि बापूजी आज़ादी के दिन दिल्ली से हज़ारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में गये हुये थे, जहां वे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए आमरण अनशन कर रहे थे |

डा. जे.के.गर्ग
जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ’ट्रिस्ट विद डेस्टनी’14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था | तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे | इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना | यह एतिहासिक भाषण हमारे मष्तिष्क पर तत्तकालीन भारत की दशा और स्वतंत्रता सेनानीयों के स्वप्नों का मानचित्र प्रस्तुत करता है इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे ही सोने चले गए थे | इस प्रसिद्ध भाषण में नेहरूजी ने कहा था “भविष्य हमें बुला रहा है | हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी,किसानो और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम गरीबी, अज्ञानता और बिमारियों से लड़ सकें, हम एक समृद्ध,लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश का का निर्माण कर सकें, और हम ऐसी सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके? हमे कठिन परिश्रम करना होगा | हम में से से कोई भी तब तक चैन से नहीं बैठ सकता है जब तक हम अपने वचन को पूरी तरह निभा नहीं देते,जब तक हम भारत के सभी लोगों उस गंतव्य तक नहीं पहुंचा देते जहाँ भाग्य उन्हें पहुँचाना चाहता है | हम सभी एक महान देश के नागरिक हैं,जो तीव्र विकास की कगार पे है, और हमें उस उच्च स्तर को पाना होगा | हम सभी चाहे जिस धर्म के हों, समानरूप से भारत माँ की संतान हैं, और हम सभी के बराबर अधिकार और दायित्व हैं | हम सांप्रदायिकता और संकीर्ण सोच को बढ़ावा नहीं दे सकते, क्योंकि कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं |
15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया | दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया |
हर स्वतंत्रता दिवस परभारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं | लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था | लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था |
भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के प्रेस सचिव कैंपबेल जॉनसन के मुताबिक़ मित्र देश की सेना के सामने जापान के समर्पण की दूसरी वर्षगांठ 15 अगस्त को पड़ रही थी, इसी दिन भारत को आज़ाद करने का फ़ैसला हुआ |
15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था | इसका फ़ैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ |
भारत 15 अगस्त को आज़ाद जरूर हो गया, लेकिन उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था | रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया |
15 अगस्त भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस है | दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ | ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त 1971 को आजाद हुवा वहींफ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आज़ाद हुआ |

बाबा साहिब अम्बेडकर ने कहा “ हम सबसे पहिले और सबसे आखिर में सिर्फ भारतीय हैं (“We are Indians, firstly and lastly.” ) | बापूजी ने कहा था कि आजादी जीवन दायनी संवास है और आजादी किसी भी कीमत पर मंहगी नहीं है ( “Freedom is never dear at any price. It is the breath of life. What would a man not pay for living?”)

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