तेजाजी ने नजदीक में ही ऊँट चराने वाले रैबारी आसू देवासी को बुला कर कहा “भाई मेरे प्राण निकलने वाले ही है तुम मेरे प्यार के प्रतिक इस रुमाल को पेमल को देकर उससे कहना कि में कुछ ही पलों का मेहमान हूँ| तेजाजी की मरनासन्न हालत को देख कर घोडी लीलण की आँखों से भी आंसू टपकने लगे तब तेजाजी ने और अपनी घोडी से कहा “लीलण आज तक तूने सुख दुःख में मेरा पूरा साथ दिया है, अब तू खरनाल जाकर समस्त परिजनों को अपनी आँखों से मेरी इहलीला के समाप्त होने के बारे में बता देना | आसू देवासी ने पनेर जाकर पेमल को तेजाजी के बारे में और कहाकि वे मरणासन्न हैं |
प्रस्तुतिकरण ——– डा.जे. के. गर्ग, सन्दर्भ—-विभिन्न पत्र पत्रिकाएँ, ग्रामीणों एवं तेजा भक्तो और भोपओं से बात चित,मेरी डायरी के पन्ने आदि | Visit our Bog—gargjugalvinod.blogspot.in