जन जन के दुलारे अटल बिहारी वाजपेयी पार्ट 1

dr. j k garg
मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम की संकल्पशक्ति, योगीराज श्रीकृष्ण की राजनीतिक कुशलता एवं कूटनीति और आचार्य चाणक्य की निश्चयात्मिका बुद्धि के धनी व्यक्तियों में जन नायक अटलबिहारी का नाम शिखर पर लिया जाता हैं। अटलजी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्रसेवा हेतु अर्पित किया हैं। उनका तो मन्त्र है “ देश के लिए जियें और देश के लिए ही मरें, भारत माता का कण-कण शंकर है, वहीं पानी की बूंद-बूंद गंगाजल है”, उन्होनें अनेको बार कहा है कि “भारत के लिए हँसते-हँसते प्राण न्योछावर करने में मैं गर्व का अनुभव करूँगा”। जननायक अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद को किसी खास विचारधारा के पहरेदार के रूप में कभी भी स्थापित नहीं होने दिया। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था। अलगाववादियों से बातचीत के फैसले पर सवाल उठा कि क्या बातचीत संविधान के दायरे में होगी? तो उनका जवाब था, इंसानियत के दायरे में होगी। अटलजी वास्तव में शब्दों के जादूगर थे , उन्होनें कभी भी विरोधियों पर व्यक्तिगत हमले किये और न ही किसी का चरित्र हनन किया । विरोधी भी उनकी वाकपटुता और तर्कों के कायल रहे। 1994 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखने वाले प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी विपक्षी नेता अटल जी को सौंपी थी। किसी सरकार का विपक्षी नेता पर इस हद तक भरोसे को पूरी दुनिया में आश्चर्य से देखा गया था । काश: आज के माहोल में ऐसा हो पाता |

प्रस्तुतिकरण—डा. जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—-विभिन्न पुस्तके, मेरी डायरी के पन्ने आदि

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