65 बर्ष की उम्र में पूर्व सरपंच बद्री प्रसाद अहिरवार 5000 फलदार बृक्षों को दे रहा संरक्षण

पलेरा टीकमगढ़ -भारत सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए विभागीय तौर पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी 5000 पेड़ लगाना असंभव सा लगता है लेकिन मध्य प्रदेश टीकमगढ़ जिले के विकासखंड पलेरा ग्राम अंतर्गत धसान नदी के किनारे बसे ग्राम बेला के रहने वाले 65 वर्षीय श्री बद्री प्रसाद अहिरवार द्वारा जो काम किया गया है इस कार्य की समीक्षा मध्य प्रदेश सरकार एवं 12 सरकार को करना चाहिए l इस महान किसान की बगियाँ में आजतक कोई भी जनप्रतिनधि , अधिकारी ,नेता , समाजसेवी पत्रकारों की उपस्थिति न होने के कारण ऐसी प्रतिभाएं छुपी रहती है।
बुंदेलखंड के समाजसेवी आदर्श शिक्षा रत्न से सम्मानित श्री संतोष गंगेले कर्मयोगी द्वारा अपने भ्रमण के दौरान उनकी निगाह हरे – भरे बगीचा की सुंदरता पर पहुंची तो पता चला की पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ाने वाले श्री बद्री प्रसाद अहिरवार ग्राम बेला के बारे में उनके बागवान में पहुंचकर उनका पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया इस अवसर पर बद्री प्रसाद अहिरवार द्वारा आप बीती बताते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 10 वर्ष पूर्व उनका बेटा उमाशंकर शादीशुदा दो बच्चों का पिता था और अचानक उसका निधन हो गया मेरी दो बेटियां थी मैं बहुत विचलित हुआ और मैंने आध्यात्मिकता की ओर जोड़ने का प्रयास किया तो अचानक मेरे मन में स्वर्गीय उमाशंकर अहिरवार कोजीवित देखने के लिए उसके नाम से अपने घर में एक वृक्ष पुत्र वधू और नाती के साथ लगाया खुशी रात मुझे प्रकृति से ऐसी प्रेरणा मिली की धसान नदी के किनारे शासकीय बंजर भूमि खाली पड़ी होने के कारण मैंने उस पर फलदार वृक्ष लगाना शुरू किया जिसमें 5000 आंवला के पौधों का रोपण किया नींबू केला संतरा अनार और जैसे कई प्रजातियों के पौधों का 5 हेक्टेयर भूमि में लग बागबान तैयार किया साथ में 4 जैविक खाद बनाने के लिए गड्ढे खोदकर के आसपास गोबर कूड़ा कचरा पत्तियां इकट्ठा करके खाद तैयार करके बच्चों में डाला और पंप लगाकर पानी से पेड़ों की सुरक्षा की जिससे लगभग 5000 पेड़ तैयार हो गए इसी प्रकार से बद्री प्रसाद ने बताया कि उनके द्वारा अन्य आसपास के खेतों में जमीन में 3000 से अधिक वृक्ष लगा चुके हैं आज उनके पास लगभग 10 ग्रामों की किसान उनके बाग बगीचा को देखने आते हैं उनसे सलाह लेते हैं और वह पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहे हैं l
समाजसेवी संतोष गंगेले कर्मयोगी को उन्होंने भेंट वार्ता के दौरान बताया कि उन्होंने वर्ष 1975 में झांसी विश्वविद्यालय से b.a. पास किया था लेकिन नौकरी ना करके राजनीति का रास्ता तय किया और लगभग 20 वर्षों तक ग्राम सरपंच का पदभार ग्रहण करके जनता की सेवा की कभी भी एक रुपए का हिसाब इधर का उधर नहीं हुआ जीवन में उन्होंने क्षेत्र में गरीब कन्याओं के विवाह के लिए शामियाना टेंट हाउस खुला था जिसमें वह गरीब बेटियों की विवाह के लिए अपने सामियाना देकर उनके पीले हाथ कराते रहे हमेशा उन्होंने गरीबों की मदद की और भारत सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में निष्पक्षता बरती l पलेरा -जिला टीकमगढ़ की मिडिया को चाहिए की कृषक जो बद्री प्रसाद अहिरवार 65 वर्ष की उम्र में भी अभी खेत किसानी का काम बहुत अच्छी तरीके से करते हैं सुबह 5:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक अपने रोपित वृक्षों को पौधों को पुत्रों से ज्यादा प्यार करते हैं / उनकी देखरेख सुरक्षा करते हैं खाद पानी की व्यवस्था करके उनका संरक्षण कर रहे हैं ऐसे महान महापुरुष को मध्य प्रदेश सरकार एवं भारत सरकार को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए आमंत्रित करना चाहिए जिससे कि भारत में उन्नत खेती एवं पर्यावरण के लिए वह नजीर बन कर उनके कार्य करने के तरीके पूरे प्रदेश उद्देश तक पहुंच सके

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