तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा पार्ट 3

dr. j k garg
अपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष को कुल 11 बार कारावास का दण्ड मिला । सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 में छह महीने के लिये क्रष्ण मन्दिर जाना पड़ा । 1930 में सुभाष कारावास में ही थे कि चुनाव में उन्हें कोलकाता का महापौर चुना गया। इसलिए सरकार उन्हें रिहा करने पर मजबूर हो गयी। वे जब कलकत्ता महापालिका के प्रमुख अधिकारी बने तो उन्होंने कलकत्ता के रास्तों का अंग्रेजी नाम हटाकर भारतीय नाम पर कर दिया | 1932 में सुभाष को फिर से कारावास हुआ। इस बार उन्हें अल्मोड़ा जेल में रखा गया। अल्मोड़ा जेल में उनकी तबियत फिर से खराब हो गयी। चिकित्सकों की सलाह पर सुभाष इस बार इलाज के लिये यूरोप जाने को राजी हो गये। 1934 ई. में सुभाष अपना इलाज कराने के लिए ऑस्ट्रिया गए थे | उस समय उन्हें अपनी पुस्तक टाइप कराने के लिए एक टाइपिस्ट की जरूरत थी | उन्हें एमिली शेंकल नाम की एक टाइपिस्ट महिला मिली | उन्होंने एमिली शेंकल से सन् 1942 में बाड गास्टिन नामक स्थान पर हिन्दू पद्धति से विवाह रचा लिया। वियेना में एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया। सुभाष ने उसे पहली बार तब देखा जब वह मुश्किल से चार सप्ताह की थी। उन्होंने उसका नाम अनिता बोस रखा था।

1938 में हरिपुरा अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुना गया । इस अधिवेशन में सुभाष का अध्यक्षीय भाषण बहुत ही प्रभावी हुआ। 1937 में जापान ने चीन पर आक्रमण कर दिया। सुभाष की अध्यक्षता में कांग्रेस ने चीनी जनता की सहायता के लिये डॉ॰ द्वारकानाथ कोटनिस के नेतृत्व में चिकित्सकीय दल भेजने का निर्णय लिया। 3 मई 1939 को सुभाष ने कांग्रेस के अन्दर ही फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। कुछ दिन बाद सुभाष को कांग्रेस से ही निकाल दिया गया। बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक अपने आप एक स्वतन्त्र पार्टी बन गयी।

संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतिकरण डा. जे. के. गर्ग
सन्दर्भ—विभिन्न पुस्तकें, समाचार पत्र आदि

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