संत शिरोमणि गुरु रविदास Part 2

dr. j k garg
सच्चाई यही है कि संत रविदास जी के 40-41 पद गुरु ग्रन्थ साहब में मिलते हैं जिसका सम्पादन गुरु अर्जुन सिंह देव ने 16 वीं सदी में किया था | दादूपंथी की पञ्च वाणी परंपरा में भी गुरु रविदास जी की बहुत सी कविताये, दोहे और सूक्तियां शामिल है। कई इतिहास कार एवं विद्वान रविदास जी को मीरा बाई का गुरु भी मानते है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में मीरा के मंदिर के आमने एक छोटी छत्री है जिसमे मान्यताओं के मुताबिक रविदासजी के पदचिन्ह स्थापित है। समूचा राष्ट्र संत रविदासजी को उनके 643वें जन्म दिन पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता है |

उनका पैतृक व्यवसाय जूते बनाने का था और उन्होंने इसे सहर्ष अपनाया। वे अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे। निसंदेह रविदास जी ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। रैदास नाम से प्रसिद्ध संत रविदास का जन्म सन् 1388 (इनका जन्म कुछ विद्वान 1398 में हुआ भी बताते हैं) को बनारस के सीर गोवर्धन में हुआ था में हुआ था। उनके जन्‍म स्‍थल पर एक भव्‍य मन्दिर स्‍थ‍ित है और उनकी जयंती के मौके पर यहां तीन दिन तक उत्सव मनाया जाता है। वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क है जो नगवा में उनके यादगार के रुप में बनाया गया है जो उनके नाम पर “गुरु रविदास स्मारक और पार्क” बना है | वाराणसी में पार्क से बिल्कुल सटा हुआ उनके नाम पर गंगा नदी के किनारे लागू करने के लिये गुरु रविदास घाट भी भारतीय सरकार द्वारा प्रस्तावित है |

संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतिकरण—- डा. जे. के. गर्ग

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