सूर्यग्रहण से सम्बंधित कुछ सावधानियां व दिशा निर्देश

*1)*👉🏻 21 जून रविवार को इस सूर्य *ग्रहण का समय* सुबह 10:09 से दोपहर- 01:36 बजे तक का है ।
*2)*👉🏻 *ग्रहण कासूतक* 20 जून रात्रि 10:09 मिनिट पर लग जायेगा ।
उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बूढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करे ।
*3)*👉🏻 20 जून शनिवार को दोपहर 11:52 से ही अमावस्या शुरू हो रही है, उससे पहले ही तुलसी पत्र आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु) ।
*ध्यान रखें* कि रविवार या अमावस्या को कभी भी तुलसी पत्र नहीं तोड़ा जाता ,न ही खा सकते हैं।

*4)* 👉🏻21 जून सुबह पानी पीना है उसके लिए एक रात पहले 20 जून को सूतक लगने से पहले ही पानी में कुशा आदि डाल दें जिससे सूतक के कारण पानी अशुद्ध न हो, तुलसी पत्र इसीलिए नहीं डाल सकते क्योंकि 21 जून को रविवार है ।
सुबह सुबह पानी पी लीजिये, क्योंकि 2 घण्टे के अंदर अंदर यह पानी पसीने व लघुशंका आदि के द्वारा शरीर से बाहर चला जायेगा ।
*5)*👉🏻 प्रतिदिन की तरह सुबह को अपना माला जप पाठ आदि का दैनिक नियम पूर्ण कीजिये । उम्मीद है कि ग्रहण के पहले- पहले ही सब साधको का प्रतिदिन वाला माला जप का नियम पूर्ण हो जायेगा ।
*6)* 👉🏻सुबह पौने दस बजे एकबार लघुशंका आदि जा आइए, कुल्ला आदि कर लीजिए, क्योंकि इसके बाद आपको 3 घण्टे 27 मिनट तक लघुशंका नहीं जाना है ।
*नोट* : भारत में सबसे पहले ग्रहण मुंबई में सुबह 10 बजे शुरू हो जाएगा , इसीलिए इससे पहले पहले ही लघुशंका आदि से निवृत हो जाना चाहिए ।
*7)*👉🏻 आप प्रतिदिन जो भी मंत्र जपते हैं उनकी कम से कम 1-1 माला ग्रहण काल मे जरूर कर लेना चाहिए अन्यथा मंत्र अशुद्ध हो जाता है ।
गायत्री महामंत्र, स्वास्थ मन्त्र ,धर्मराज मन्त्र , रक्षा मंत्र, *गुरुमंत्र, ॐ कार मन्त्र , सूर्य मन्त्र (ॐ सफपह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः) आदि का जप करना चाहिए ।*
उत्तम स्वास्थ्य हेतु महामृत्युंजय मंत्र की माला भी जप लेना चाहिए । *8)* 👉🏻बुद्धि व मेधा शक्ति बढ़ाने हेतु जिन्हें ब्राह्मी घृत का प्रयोग करना है वो 80 माला “ॐ नमो नारायणाय” का जप करें ।
*9)* 👉🏻सूर्यग्रहण के समय आप केवल
*जप (बगैर माला के मुँह से बोलकर अथवा मानसिक रूप से अथवा माला पर), ध्यान, कीर्तन, आत्मचिंतन, ॐ कार उच्चारण , आदित्यह्रदय स्तोत्र का पाठ , गणेश अथर्वशीर्ष, अपराजिता स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं ।*
शास्त्र पठन व सत्संग श्रवण आदि उस समय उचित नहीं है । *अधिक से अधिक मौन रखकर जप करें वह ही श्रेष्ठ माना गया है ।*
*10)*👉🏻 जिन वस्त्रों को पहनकर ग्रहण में आप जप कर रहे हैं ग्रहण के बाद उन्हीं वस्त्रों सहित स्नान करना चाहिए, आसन व गौमुखी को भी धो लेना चाहिए, माला को गंगाजल अथवा गौझरण (गौमूत्र) से धो लेना चाहिए ।
*11)* 👉🏻तत्पश्चात ताज़े पानी से स्नान आदि करके सूर्य की स्वच्छ छवी के दर्शन , पूजन करें व सूर्य को विधि सहित अर्घ्य भी देना चाहिए ।
अगर ताज़ा पानी उपलब्ध नहीं हो सकता है तो एक रात पहले ही टँकी के पानी मे कुशा डाल दीजिये ।
*12)*👉🏻 ग्रहण के समय पूजा की जगह पर गंगाजल आदि रख लेने से जप का फल भी कई गुना ज्यादा मिलता है ।
*13)* ग्रहण के पहले जो कुशा, तुलसीदल, आदि खाद्य पदार्थों में डाली है वह ग्रहण के बाद निकाल लेना चाहिए ।
*आप सभी के उत्तम भविष्य के लिए मेरी ओर से मंगल कामनाएं🦚

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