21 जून कंकनाकृति सूर्यग्रहण विशेष आलेख

ज्योति दाधीच
ज्योतिष के क्षेत्र में ग्रहण को महत्वपूर्ण समय माना गया है क्योंकि प्रत्येक ग्रहण का गहन प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। चंद्रमा को मानव का मन तो सूर्य को मानव की आत्मा कहा गया है। इस प्रकार इन दोनों पर लगने वाला ग्रहण मानव जीवन को भी प्रभावित करता है और यही वजह है कि विभिन्न राशियों पर ग्रहण का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
सूर्य ग्रहण को खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान दोनों में ही बहुत महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। जिस प्रकार चंद्रग्रहण का महत्व है, उससे भी अधिक महत्व सूर्य ग्रहण का माना गया है क्योंकि चंद्र ग्रहण का प्रभाव थोड़े समय के लिए होता है। जबकि सूर्य ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक होता है।
कुछ लोगों का मानना है कि लगभग छह महीने तक सूर्य ग्रहण का प्रभाव महसूस हो सकता है। इससे पूर्व 26दिसंबर 2019 में सूर्य ग्रहण पड़ा था, जिसके बारे में अनेक विद्वानों का यह मानना रहा है कि उसी के प्रभाव से कोरोनावायरस जैसी समस्या शुरू हुई थी जबकि सप्तग्रही योग एक ही राशि मे होने से उक्त अनेक घटनाओ का महायोग निर्मित हुआ ।मेने फेसबुक पर 19दिसम्बर को 26दिसम्बर को घटने वाले सूर्यग्रहण (कंकनाकृति) पर फलित विवेचन विस्तार से दिया था। अब एक बार फिर सूर्य ग्रहण आ रहा है। तो यह क्या प्रभाव दिखाएगा, इसी गुत्थी को सुलझाने का प्रयास इस आलेख में करने का प्रयास कर रही हु क्योंकि दिसम्बर में घटित सूर्यग्रहण सप्तग्रही योगों से अनेक घटनाओ का विस्तारक बना और अभी कल घटने वाला योग भी शुभ दृष्ट नही ह क्योंकि 6 ग्रह वक्र चल रहे ह। आलेख लिखने का आशय जन मानस को भयभीत करना कदाचित नही ह ,ज्योतिषीय विवेचना मात्र ह,इसको पढ़कर आप यह जान पाएंगे कि यह सूर्य ग्रहण क्या है?क्यों इतना खास है और क्या है इससे जुड़ी विशेषता ,क्या करे उपाय,सावधानियां!!!!
🙏🙏🙏🙏🙏

साल के सबसे बड़े दिन यानी 21 जून योग दिवस को घटित होगा कंकण (चूड़ामणि) सूर्य ग्रहण!!!!

21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है और इसी दिन पड़ने वाला सूर्य ग्रहण बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य ग्रहण सूर्य के ही दिन अर्थात रविवार को पड़ रहा है, जिसकी वजह से इसको चूड़ामणि सूर्य ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को रविवार के दिन घटित होगा और भारत में भी दिखाई देगा। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि को यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में घटित होगा।
यह ग्रहण प्रातः काल 9:15:58 पर प्रारंभ होगा। इसका कंकण 10:17:45 से शुरू हो जाएगा तथा परम ग्रास अर्थात् मध्य भाग दोपहर 12:10:04 तक रहेगा और कंकण की समाप्ति दोपहर 2:02:17 पर होगी, जिसके बाद दोपहर 3:04:01 पर ग्रहण समाप्त हो जाएगा। इस प्रकार इस ग्रहण की कुल अवधि लगभग साढ़े तीन घंटे की होगी और उसमें भी कंकण होने की अवधि लगभग 38 मिनट होगी। इस प्रकार यह एक बड़ा सूर्य ग्रहण होगा जिसका विस्तृत प्रभाव अनेक स्थानों पर दिखाई पड़ेगा।
🙏🙏🙏🙏🙏

हिंदू पंचांग के अनुसार यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा और भारत में दिखाई देने वाला साल 2020 का यह एकमात्र सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत के अलावा प्रशांत और हिंद महासागर, मध्य दक्षिणी चीन, फिलीपींस, बर्मा, फ़िजी, दक्षिण पूर्वी यूरोप, दक्षिणी क्षेत्र को छोड़कर लगभग अफ्रीका में, ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्रों और पाकिस्तान तथा अफ़गानिस्तान में अर्थात् मध्य पूर्वी एशिया में भी दिखाई देगा।

इस साल 2020 में होंगें कुल 6 ग्रहण घटित होंगे कुछ

यह साल काफी खास रहने वाला है क्योंकि इस साल में कुल 6 ग्रहण घटित होने वाले हैं। इनमें पहला चंद्र ग्रहण 10 – 11 जनवरी को घटित हो चुका है। उसके बाद दूसरा चंद्र ग्रहण 5 – 6 जून को हो चुका है। अब 21 जून को सूर्य ग्रहण पड़ेगा और उसके बाद तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को होगा। साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को देखा जा सकेगा और साल के अंत में 14 दिसंबर को सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इस प्रकार इस साल 4 चंद्र ग्रहण और 2 सूर्य ग्रहण घटित होंगे और कुल मिलाकर इस एक साल में छह ग्रहण दिखाई देंगे। परन्तु इन सभी में 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण सबसे महत्व पूर्ण ह।

क्या होता है सूर्य ग्रहण
यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। इस क्रम में सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में से चंद्रमा होकर गुजरता है। ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधा नहीं आ पाता।
यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। इस क्रम में सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में से चंद्रमा होकर गुजरता है। ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक सीधा नहीं आ पाता। ज्योतिष के क्षेत्र में ग्रहण को महत्वपूर्ण समय माना गया है क्योंकि प्रत्येक ग्रहण का गहन प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। चंद्रमा को मानव का मन तो सूर्य को मानव की आत्मा कहा गया है। इस प्रकार इन दोनों पर लगने वाला ग्रहण मानव जीवन को भी प्रभावित करता है और यही वजह है कि विभिन्न राशियों पर ग्रहण का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

सूर्यग्रहण का सूतक काल विचार

सूर्य ग्रहण का सूतक लगभग 12 घंटे पहले मान्य होता है, इसलिए इस सूर्य ग्रहण का सूतक 1 दिन पहले अर्थात् 20 जून 2020 की रात्रि 9.15 से आरम्भ होगा।
💐🙏500 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग पुनः

21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण के दिन ग्रह एवं नक्षत्रों का ऐसा संयोग बनने जा रहा है, जो पिछले 500 वर्षों में नहीं बना। इस दिन एक खगोलीय घटना होने वाली है। सूर्य कर्क रेखा के ठीक ऊपर आ जाएगा। यही नहीं ये साल का सबसे बड़ा दिन भी होगा। सदी का दूसरा ऐसा सूर्य ग्रहण है जो 21 जून को हो रहा है। इससे पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण हुआ था।।
ग्रहण काल में क्या करें!!!💐💐💐

सूर्य ग्रहण प्रारंभ होने से पहले ही स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और संभव हो तो मंत्र जाप करने का संकल्प ले लें।

जब सूर्य ग्रहण का मध्य हो तो उस समय अपने इष्ट देव अथवा सूर्य देव की उपासना करें और उनके किसी मंत्र का जाप करें।

जब सूर्य ग्रहण समाप्ति के कगार पर हो तब दान करने का संकल्प लेकर दान करें।

सूर्य ग्रहण की समाप्ति पर दोबारा स्नान जरूर करें।

ग्रहण काल के दौरान आपको भगवान सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। उसके लिए आप आदित्य हृदय स्त्रोत्र या सूर्य अष्टक स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं या फिर आप सूर्य देव के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं।

ग्रहण काल से पूर्व ही पके हुए अन्न, कटी हुई सब्जी अथवा फलों, आदि को हटा देना चाहिए क्योंकि वह ग्रहण काल के दौरान अशुद्ध और संक्रमित हो सकते हैं।

यदि दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, अचार, चटनी, मुरब्बे, आदि कोई वस्तुएं घर में हों, जिनका दोबारा प्रयोग करना चाहते हैं तो उनमें तुलसी पत्र अथवा कुशा रख देना चाहिए।

Astro jyoti dadhich

ग्रहण काल में किसी भी धार्मिक ग्रंथ का पाठ किया जा सकता है।

ग्रहण काल में पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों पर स्नान करना और दान पुण्य करना विशेष फलदायी माना जाता है।

इसके अतिरिक्त श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सबसे उपयोगी माना जाता है और इसके जाप से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

चूड़ामणि सूर्य ग्रहण होने के कारण इस दिन दान पुण्य का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।कालतन्त्र के अनुसार इन योगों में घटित ग्रहण तांत्रिको मांत्रिकों, साधको के लिए विशेष सिद्दी दायक होता ह अधिक संख्या में मन्त्र जप कर साधक अपने इष्ट को समर्पित कर इष्ट की शक्ति बढ़ाने में सहायता करते ह ।ओर इष्ट कृपा प्राप्त करते ह।🙏💐🙏💐💐🙏🙏💐

यदि आपका जन्म लग्न अथवा जन्म राशि मिथुन अथवा सिंह है तो आपको सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष रुप से सूर्य उपासना करनी चाहिए।

जिन लोगों का जन्म मृगशिरा अथवा आर्द्रा नक्षत्र में हुआ है उनको भी सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य उपासना जरूर करनी चाहिए और आवश्यक दान करने चाहिएं।
💐💐💐💐💐विभिन्न राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव
1.इन राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभदायक 👉
मेष, सिंह, मीन और कुछ हद तक वृश्चिक
👉2.इन राशि वालों के लिए हानिकारक होगा
वृष, मिथुन, कर्क, तुला, कन्या, धनु, मकर और कुंभ

ग्रहण काल में क्या न करें
जन्मकुंडली में अगर किसी जातक के ग्रहण योग हो सूर्य राहु अथवा चन्द्र राहु की युति हो तो ग्रहण काल मे दान कर शांति के उपाय कर लाभ प्राप्त किया जा सकता ह।🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ग्रहण काल के दौरान क्या न करे:- भोजन बनाने और भोजन खाने से परहेज करना चाहिए।

छोटे बच्चों और बुजुर्गों को आवश्यक होने पर भोजन दिया जा सकता है।

ग्रहण काल के दौरान अपने घर के मंदिर को भी बंद रखें और किसी भी देवी देवता की मूर्ति को स्पर्श ना करें।

ग्रहण काल में शयन ना करें और इस समय में सहवास क्रिया से भी बचें।

ग्रहण काल में किसी भी प्रकार के सिलाई, कटाई, बुनाई का कार्य ना करें।

विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसका असर उनके गर्भ में पल रही संतान पर पड़ सकता है।

नाखून काटना, बाल काटना, दाढ़ी बनाना, तेल मालिश करना, आदि ग्रहण काल और सूतक काल के दौरान नहीं करने चाहिएं

सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण और बड़ी घटना है, जिसका प्रभाव प्रत्येक राशि के लोगों पर पड़ता है। यही वजह है कि बड़े-बड़े ग्रंथों में सूर्य और चंद्र ग्रहण के महत्व को बताया गया है और इस दिन दान पुण्य करना, पवित्र नदियों के जल मे स्नान करना चाहिए।

कंकना कृति सूर्य ग्रहण का फल एवं दुष्प्रभाव:-

यह एक कंकण चूड़ामणि सूर्य ग्रहण है, जो आषाढ़ मास में घटित होने वाला है। इस माह में सूर्य ग्रहण के घटित होने से कुछ स्थानों पर सूखा पड़ने और नदियों का जल प्रवाह कम हो जाने की स्थिति बन सकती है। भारत के पड़ोसी देशों, चीन, अफ़गानिस्तान और भारत के कश्मीर राज्य के कुछ भागों में राजनीतिक उठापटक तथा प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति बन सकती है। इसके प्रभाव से पैदावार की कमी होने का अंदेशा रहेगा। यह ग्रहण रविवार को होगा जिसकी वजह से वर्षा की कमी और खाद्यान्न के उत्पादन में कमी हो सकती है तथा प्रमुख राष्ट्रों के बीच तनाव और युद्ध जैसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है।
मिथुन राशि में सूर्य ग्रहण घटित होने के कारण केंद्रीय सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह समय थोड़ा सा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वर्षा कहीं अल्प होगी और कहीं अधिक वर्षा होगी। प्राकृतिक प्रकोप का असर होगा तथा पाकिस्तान के लिए भी यह समय काफी कठिन होने वाला है। यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में विशेष रूप से प्रभाव दिखाएगा, जिसकी वजह से फलों, पुष्पों और वस्त्रों का काम करने वाले व्यापारियों तथा मदिरापान करने वाले लोगों को इस ग्रहण के फल स्वरुप कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
यह ग्रहण गंड और वृद्धि योग के बीच घटित होगा, जिसकी वजह से साधू, सन्यासियों, डॉक्टरों, तांत्रिकों तथा दक्षिणी क्षेत्र में रह रहे लोग विशेष रूप से इससे प्रभावित होंगे। इस प्रकार यह सूर्य ग्रहण विभिन्न प्रकार के फल देने में सक्षम होगा इसका प्रभाव लगभग छह माह तक हो सकता है। क्योंकि यह ग्रहण भारत वर्ष में दिखाई देगा, इसलिए हमारे देश पर भी इसका व्यापक असर दृष्टिगोचर होगा।

जून का महीना खगोलीय घटनाओं के होते बहुत खास रहा ह क्योंकि इस महीने में चंद्र ग्रहण भी हो चुका है और अब सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, इस महीने में छह प्रमुख ग्रह बृहस्पति, शनि, मंगल, शुक्र और राहु, केतु वक्री गति में होंगे। राहु और केतु तो सदैव वक्री रहते हैं लेकिन अन्य ग्रहों के एक साथ वक्री होने की वजह से आने वाला समय किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के आने की ओर इंगित करता है। ऐसे में बड़े राष्ट्रों के मध्य सत्ता का संघर्ष और देश में आंतरिक समस्याओं में बढ़ोतरी होने का अंदेशा रहेगा।कुछ बड़े नेताओं का जाना और बाढ़ और भूकंप जैसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास मई के महीने में भूकंप भी आ चुका है। इस ग्रहण का प्रभाव लगभग जनवरी 2021 तक रहेगा। कोरोना संक्रमण के इस दौर में पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण कुछ हद तक कोरोना वायरस के संक्रमण में कमी लाने की ओर इशारा कर रहा है लेकिन हम सभी को जागरूक होकर अपने स्वास्थ्य के प्रति सभी आवश्यक उपाय करने चाहिए तथा प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए।
इस प्रकार से जून महीने में चंद्र ग्रहण और 6ग्रहों के वक्री होने के बीच पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण काफी प्रभावशाली होगा। हम सभी को ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें सही रास्ता दिखाएं और हम आने वाली समस्याओं से काफी हद तक सुरक्षित हो जाएं। भगवती इस संसार की रक्षा करे।🙏🙏🙏🙏
जय माताजी की🙏

एस्ट्रो ज्योति दाधीच,
तीर्थराज पुष्कर,
राजस्थान।

error: Content is protected !!