सहस्त्रबाहु ने भगवान की कठोर तपस्या करके 10 वरदान प्राप्त किए थे। इसके बाद उन्होंने चक्रवर्ती सम्राट की उपाधि धारण कर ली। सहस्त्रबाहु को भगवान विष्णु का 24वां अवतार माना गया है।
चंद्रवंशी क्षत्रियों में हैहय वंश सर्वश्रेष्ठ उच्च कुल का क्षत्रिय माना गया है। चन्द्र वंश के महाराजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्तवीर्य-अर्जुन भी कहा जाता है। उनका जन्म महाराज हैहय की 10वीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के गर्भ से होना बताया जाता है।
सहस्रबाहु जन्म नाम एकवीर तथा सहस्रार्जुन भी है। सहस्रबाहु भगवान दत्तात्रेय के भक्त थे और दत्तात्रेय की उपासना करने पर उन्हें सहस्र भुजाओं का वरदान मिला था इसीलिए उन्हें सहस्रबाहु अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत, वेद ग्रंथों तथा कई पुराणों में सहस्रबाहु की कई कथाएं पाई जाती हैं।
कौन थे भगवान दत्तात्रेय के भक्त सहस्रबाहु अर्जुन
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पौराणिक ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार कार्तवीर्य अर्जुन के हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजयी, सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम होने का वर्णन मिलता है।
सहस्रार्जुन जयंती क्षत्रिय धर्म की रक्षा और क्षत्रियों के उत्थान के लिए मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार प्रतिवर्ष सहस्रबाहु जयंती कार्तिक शुक्ल सप्तमी को दीपावली के ठीक बाद मनाई जाती है। इसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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