श्रीमती गांधी एक कुशल राजनेता थी इसलिये आपातकाल के दौरान हुई “गलतियों” के लिए कौशलपूर्ण ढंग से क्षमा मांगना प्रारम्भ कर दिया | 1980 मे आम चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और इन्दिराजी वापस प्रधानमंत्री बनी |खालीस्तान के समर्थन में जरनैल सिंह भिंडरावाले ने स्वर्ण मन्दिर के भीतर अपना अड्डा बना लिया था , ऐसी अवस्था में उन्होंने मजबूर होकर आतंकवादीयों से निबटने हेतु स्वर्ण मंदिर परिसर में सेना को प्रवेश करने का आदेश दिया, सिख समुदाय में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई और अधिकांश सिखों इन्दिरा गांधी के खिलाफ आक्रोश पनपा |इन्दिराजी ने अपनी म्रत्यु से कुछ समय पूर्व ही कहा था कि अगर मैं एक हिंसक मौत मरती हूँ, जैसा की कुछ लोग डर रहे हैं और कुछ षड्यंत्र कर रहे हैं, मुझे पता है कि हिंसा हत्यारों के विचार और कर्म में होगी, मेरे मरने में नहीं| इन्दिराजी के सुरक्षा कर्मी सतवंत सिंह और बेअन्त सिंह,ने 31अक्टूबर, 1984 को अपने सेवा हथियारों से ही नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में ही इंदिरा गांधी को गोलियों से भून भून कर मार डाला | श्रीमती गांधी को उनके सरकारी कार में ही अस्पताल पहुंचाते समय रास्ते में ही दम तोड़ दिया |