आततायी और असहिष्णु निरकुंश राज्य शक्ति पर सच्चाई और सद्दभाव की जीत का पर्व होली Part 1

dr. j k garg
भगवान क्रष्ण ने बताया कि स्त्री पुरुष को निष्काम भाव से सात्विक करते हुए उन्हें प्रभु के श्री चरणों में समर्पित कर देना चाहिये इसी वजह से आदि काल से सनातन धर्म में सात्विक, राजसी और तामसी तामसी प्रवर्तीयों में से सुखी जीवन के लिये सात्त्विक प्रव्रत्ति को ही श्रेष्ट माना गया है, राजसी प्रवत्ति को भी त्याग ने को कहा गया है वहीं तामसी प्रवत्ति को निक्रष्ट एवं पूर्ण रूप से ताज्य माना गया है | तामसी आदतों का मतलब है कुसंस्कार यानि ईर्ष्या, क्रोध, झूठ, फरेब, अनाचार,दुर्भावना, अभिमान, असहिष्णुता,अविश्वास, धोखा आदि सारी आदते तामसी प्रवत्ति और तामसी गुण हैं | होलिका दहन का का वास्विकता में मतलब है जीवन के रोम रोम में से समस्त दुष्कर्मों और तामसी आदतों का जड से समूल नाश और दहन | आप की मजबूत इच्छा शक्ति आपको सारी बुराईयों से बचा सकती है | तामसी प्रवत्ति होली की दिव्य अग्नि में भस्म कर देना ही सच्चा ‘होलिका दहन’ है। होली खेलने की सार्थकता तभी होगी जब हम परमात्मा में श्रदा रखते हुए सात्विक विचार, सकारात्मकता,स्नेह, प्रेम, सोहार्द, सहिष्णुता,सह्रदयता और करुणा के रंग में अपनी अंतरात्मा को रँग लेगें |

Dr J. K. Garg

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