आततायी और असहिष्णु निरकुंश राज्य शक्ति पर सच्चाई और सद्दभाव की जीत का पर्व होली Part 5

dr. j k garg
होलीका दहन का वैज्ञानिक महत्व भी अनूठा है क्योंकि होलिका दहन के समय उत्त्पन वातावरण हमारे लिये सुरक्षा कवच का काम भी करता है | सर्दी के मोसम में कई तरह के वायरस और बैक्ट्रिया वातावरण में रहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिये हानि कारक होते हैं | पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर होलिका दहन की प्रक्रिया से वातावरण का तापमान 145 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक तक बढ़ जाता है जो बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक कीटों को नष्ट करने में प्रभावी भूमिका निभाता है। होलिकादहन के वक्त सभी नर नारी घेरा बना कर जलती हुयी होली को देखते हैं,जहाँ गर्मी की वजह से तापक्रम 145 डिग्री फेरनाइट से ज्यादा हो जाता है जिससे वातावरण के सारे वायरस और बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं | होलिकादहन के बाद लोग वहां की राख जिसे विभूति कहते हैं को चन्दन और आम के पत्तों के साथ मिला कर अपने मस्तष्क पर लगा कर उसका लेप करते हैं |

Dr J K Garg

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