आठ लाख अनुयायीओं के साथ बाबासाहिब ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था यह ऐतिहासिक अवसर दीक्षा भूमी, नागपुर में 15 अक्टूबर 1956 को हुआ था बाबासाहेब ने ऊस समय पर 22 प्रतिज्ञाएँ निर्धारित कीं | बाबासाहेब ने इन प्रतिज्ञाओं या शपथों को निर्धारित किया ताकि वे अपने को हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक कर सके | ये 22 प्रतिज्ञाएँ हिंदू मान्यताओं और पद्धतियों की जड़ों पर गहरा आघात करती हैं | इन प्रतिज्ञाओं से हिन्दू धर्म,जिसमें केवल हिंदुओं की ऊंची जातियों के संवर्धन के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया, में व्याप्त अंधविश्वासों, व्यर्थ और अर्थहीन रस्मों, से धर्मान्तरित होते समय स्वतंत्र रहा जा सकता है |
प्रसिद्ध 22 प्रतिज्ञाएँ निम्न हैं:
मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ |
संकलनकर्ता—-जे.के.गर्ग
सन्दर्भ——गूगल. डाट कॉम