हिंदी हैं हम, हिन्दोस्तान हैं हम

ब्रह्मानंद राजपूत
पहचान है हमारी हिंदी,

हिन्दोस्तान की है ये बिंदी।

घर-घर बहती है हिंदी की धारा,

विश्व गुरु बनेगा हिन्दोस्तान हमारा,

यही है हर हिन्दुस्तानी का नारा।

ज्ञान और भाव की भाषा है हिंदी,

प्रेम का मधुर राग है हिंदी।

न मिटने देना इसके रंग को,

यह है हर हिन्दुस्तानी से विनती,

हिन्दुस्तान एक देश है, इसकी सांस है हिंदी

न रुकने देना इसके प्रबल प्रवाह को,

हमेशा महकाते रखना इसकी सुगन्ध को।

यही हर हिन्दुस्तानी से कहते हैं हम,

हिंदी है हम, हिन्दोस्तान हैं हम।

रचनाकार-
ब्रह्मानंद राजपूत, आगरा
(Brahmanand Rajput) Agra
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