इस योग के दौरान श्राद्ध करने से पीढ़ियों पुराना कर्ज भी उतर जाता है।
पितृ पक्ष का आखिरी दिन अश्विन महीने की अमावस्या तिथि को होता है। इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं क्योंकि इस दिन उन सभी पितरों का तर्पण-श्राद्ध किया जा सकता है जिनके निधन की तिथि मालूम नहीं होती है। इस साल 6 अक्टूबर, बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या है।
खास बात यह है कि इस साल सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसा शुभ योग बन रहा है जो कई सालों में बनता है। साल 2021 की सर्वपितृ अमावस्या के बाद यह शुभ योग 8 साल बाद 2029 में बनेगा।
बन रहा है गजछाया योग
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पितृ पक्ष 2021 की सर्वपितृ अमावस्या पर गजछाया योग बन रहा है। इससे पहले यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। 6 अक्टूबर को सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सूर्योदय से लेकर शाम 04:34 बजे तक हस्त नक्षत्र में होंगे। यह स्थिति गजछाया योग बनाती है। धर्म-शास्त्रों के मुताबिक इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है। कहते हैं कि गजछाया योग में किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की अगले 12 सालों के लिए क्षुधा शांत हो जाती है।
गजछाया योग में करें यह काम
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श्राद्ध के लिए बेहद शुभ माने गए गजछाया योग में पितरों के लिए श्राद्ध करें और घी मिली हुई खीर का दान करें। ऐसा करने से पितृ कम से कम 12 सालों के लिए तृप्त हो जाते हैं। इसके अलावा इस समय में जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. उन्हें अन्न-कपड़े दान करें।
इस तरह करें श्राद्ध
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वैसे तो आप अपने सभी पितरों की श्राद्ध एक साथ सर्व पितृ अमावस्या को कर सकते हैं। लेकिन शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या को 16 ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ बताया गया है। श्राद्ध करते समय घर की दक्षिण दिशा में सफ़ेद वस्त्र पर पितृ यंत्र स्थापित करें। उनके निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप अर्पित करें। चंदन व तिल मिले जल से तर्पण दें। कुश के आसन पर बैठकर गीता के 16वें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद ब्राह्मणों के लिए जो भोजन बनाया है, उसमें से 5 हिस्से निकालें, देवताओं, गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों के लिए निकालें. इसके बाद ब्राह्मणों को खीर, पूड़ी, सब्ज़ी, मिष्ठान, लौंग-इलाएची व मिश्री आदि अन्य चीजें श्रद्धा पूर्वक खिलाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को वस्त्र-दक्षिणा देकर विदा करें और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।
दीप दान करें
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मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितर अपने पितृ लोक लौट जाते हैं। इसलिए अमावस्या के दिन दीप दान किया जाता है, ताकि उन्हें सही से रास्ता दिखाई दे। दीप दान के लिए सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीपक जलाएं। इस तरह पितरों को सम्मानपूर्वक भेजने पर वे संतुष्ट होकर जाते हैं और अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। जिससे परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां आती हैं।
ध्यान रखें ये बातें
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– श्राद्ध का भोजन पूरी शुद्धता से बनाएं और उसमें प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न करें।
– श्राद्ध हमेशा सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए. दोपहर के बाद नहीं करना चाहिए।
– श्राद्ध का भोजन जब भी ब्राह्मणों को खिलाएं तो दोनों हाथों से परोसें।
– जो सब्जियां जमीन के अंदर से उगती हैं उन्हें ब्राह्मणों को नहीं खिलाना चाहिए।
– श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त जो भी शुभ काम किए जाते हैं, उससे उन्हें तृप्ति मिलती है। इसलिए जरूरतमंद लोगों को सामर्थ्य के अनुसार खाना, कपड़े आदि बांटें।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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