सादगी सज्जनता की प्रति मूर्ति प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू एवं उनके जीवन के प्रेरणादायक संस्मरण पार्ट 6

क्या राष्ट्रपति अपने कर्मचारी से माफी मांग सकता है

dr. j k garg
राष्ट्रपति भवन में कार्यरत तुलसी से एक दिन सुबह उनके कमरे में झाड़ पोंछ करते वक्त उसके हाथ से राजेन्द्र प्रसाद जी के डेस्क से एक हाथी दांत का पेन नीचे ज़मीन पर गिर गया और पेन टूट गया जिससे स्याही कालीन पर फैल गई। चुकिं यह पेन उन्हें किसी ने भेंट किया था और यह पेन उन्हें प्रिय भी था। राजेन्द्र बाबू ने अपना गुस्सा दिखाने के लिये तुलसी को तुरंत अपनी निजी सेवा से हटा दिया, उस दिन वे बहुत व्यस्त रहे, मगर सारा काम करते हुए उनके ह्रदय में एक कांटा चुभता रहा और वे सोचने लगे कि उन्होंने तुलसी के साथ न्याय नहीं किया है। शाम को राजेन्द्र बाबू ने तुलसी को अपने कमरे में बुलाया तब तुलसी ने राष्ट्रपति को सिर झुकाए और हाथ जोड़े खड़े देखा तो वह हक्का बक्का हो गया, राष्ट्रपति ने धीमे स्वर में कहा, “तुलसी मुझे माफ़ कर दो।” तुलसी इतना चकित हुआ कि उससे कुछ बोला ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने फिर नम्र स्वर में दोहराया,”तुलसी, तुम क्षमा नहीं करोगे क्या?” इस बार सेवक और स्वामी दोनों की आंखों में आंसू आ गये। ऐसी थी उनकी मानवीयता और बड़प्पन |

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