देवपितृकार्ये शनैश्चरी अमावस्या आज

राजेन्द्र गुप्ता
शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ और हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए। शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, देवपितृकार्ये शनैश्चरी अमावस्या होगी। इस बार देवपितृकार्ये शनैश्चरी अमावस्या शनिवार, 4 दिसंबर, को पड़ रही है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को शनैश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या कहते हैं। प्रत्येक अमावस्या तिथि, देव पितृकार्यों के लिए सर्वोत्तम तिथि मानी जाती है। यह तिथि अपने पूर्वजों को याद करने के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि है।

पितृ लोग में अत्यंत पीड़ा में रहते हैं पूर्वज
इस दिन जिन लोगों की शनि की साढ़ेसाती खतरनाक स्थिति में चल रही है या जन्म कुंडली में शनि पीड़ित है या लोग शनि महादशा से त्रस्त हैं या व्यक्ति घर परिवार में किसी भी प्रकार के पूर्वजों के दोष से पीड़ित हैं तो वह इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, दान-पुण्य के द्वारा अपने सभी संकटों से मुक्ति पा सकते हैं। मान्यता है कि मृत्यु के बाद जो आत्माएं पितृ लोक पहुंचती हैं, यह उनका एक प्रकार से अस्थाई निवास होता है और जब तक उनके भाग्य का अंतिम निर्णय नहीं होता, उन्हें वहीं रहना पड़ता है।

कहा जाता है कि इस अवधि में उन्हें भूख और प्यास की अत्यंत पीड़ा सहन करनी पड़ती है क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते। उनकी इस पीड़ा का निवारण तभी होता है जब भू लोक से उनके सगे-संबंधी, परिचित या उन्हें मानने वाला कोई भी उनके लिए श्राद्ध दान तर्पण करता है। वैसे श्राद्ध पक्ष में हमेशा उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है, जिस तिथि को दिवंगत आत्मा इस लोक से परलोक गमन करती है लेकिन यदि ऐसा संभव न हो और किसी कारण वह तिथि मालूम न हो तो प्रत्येक मास में आने वाली अमावस्या को या शनैश्चरी अमावस्या पर यह किया जा सकता है।

एक साल में 12 अमावस्या आती हैं। यदि निरंतरता में प्रत्येक अमावस्या को आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कुछ अमावस्याएं विशेष तौर पर सिर्फ श्राद्ध कर्म के लिए शुभ मानी जाती हैं। कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी अमावस्या के दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि
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मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि आरंभ- शुक्रवार, 3 दिसंबर को शाम 04:55 बजे से
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि समाप्त- शनिवार, 4 दिसंबर को दोपहर 01:12 तक

शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता-पिता और वृद्ध जनों का सम्मान होता है, उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न रहते हैं। वहीं दूसरी ओर, जिस घर में वृद्धों का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भाग जाती है।

जैसे-जैसे व्यक्ति वृद्ध होता है उसे भूख कम लगने लगती है। नींद कम आती है, वह काम वासना से विमुख हो जाता है। उसमें लोक कल्याण की भावना जाग्रत हो जाती है। ये सभी गुण देवताओं के हैं। कहने का तात्पर्य ये है की वृद्ध अवस्था में व्यक्ति देवत्व प्राप्त करता है। इसलिए हम सभी के लिए शनि कृपा प्राप्त करने के लिए वृद्ध जनों की सेवा सर्वोपरि है। शनि को दरिद्र नारायण भी कहते हैं, इसलिए दरिद्रों की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं।

शनि अमावस्या के दिन क्या-क्या करें
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असाध्य व्यक्ति को काला छाता, चमड़े के जूते-चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनि देव को उड़द की दाल से बने बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय हैं। अत: शनिवार को लड्डू का भोग लगाकर बांटना चाहिए।
शनिवार को तेल से मालिश कर नहाना चाहिए।
लोहे की कोई वस्तु शनि मंदिर में दान करनी चाहिए। वह वस्तु ऐसी हो जो मंदिर के किसी काम आ सके।
शनि मंदिर में बैठकर ॐ प्रां प्रीं प्रों शनैश्चराय नमः या ओम श्री शनि देवाय नमः या ओम श्री शनैश्चराय नमः का जाप करना चाहिए।
शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ और हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए। शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
शनि देव से संबंधित कथाएं पढ़ें।
नीलम रत्न के साथ पन्ना रत्न भी धारण करें।
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
शनि अमावस्या वाले दिन व हर शनिवार और मंगलवार को काले कुत्ते को मीठा पराठा खिलाएं।
कपूर को नारियल के तेल में डालकर सिर में लगाएं, भोजन में उड़द की दाल का अत्यधिक सेवन करें, झूठ, कपट, मक्कारी धोखे से बचें, रहने के स्थान पर अंधेरा, सूनापन व खंडहर की स्थति न होने दें।
शनि मंदिर में जाकर कम से कम परिक्रमा व दंडवत प्रणाम करें।
16 शनिवार सूर्यास्त के समय एक पानी वाला नारियल, थोड़े बादाम, कुछ दक्षिणा शनि मंदिर में चढाएं।
शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें।
शनि की शुभ फल प्राप्ति के लिए दक्षिण दिशा में सिराहना कर सोएं और पश्चिम दिशा में मुख कर सारे कार्य करें। इसके साथ ही अपने देवालय में शनि का आसन अवश्य बनाएं।
प्रत्येक शुभ कार्य में पूर्व कार्य बाधा निवारण के लिए प्रार्थना करके हनुमान व शनि देव के नाम का नारियल फोड़ें।
प्रत्येक शनिवार को रात्रि में सोते समय आंखों में काजल या सुरमा लगाएं व शनिवार का काले कपड़े अवश्य पहनें।
महिलाओं से अपने भाग्य उदय के लिए सहयोग, समर्थन व मार्गदर्शन प्राप्त करें तो प्रगति होगी।
अपनों से बड़े उम्र वाले व्यक्ति का सहयोग प्राप्त करें और अपनी से छोटी जाति व निर्बल व्यक्ति की मदद करें।
प्रति माह की अमावस्या आने से पूर्व अपने घर-दुकान की सफाई अवश्य करें और तेल का दीपक जलाएं।
शनि अमावस्या, शनि जयंती या शनिवार को बन पड़े तो शनि मंदिर में नंगे पैर जाकर पूजा करें।
घर बनाते समय काली टायल, काला मार्बल या काले रंग की कुछ वस्तु प्रयोग में लाएं।
खाली पेट नाश्ते से पूर्व काली मिर्च चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं।
भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें।
प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर तेल मसलें।
शनि अमावस्या के दिन मांस, मछली, मद्य तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल न करें।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076

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